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राम नाम जपते हैं, लेकिन इसका सही अर्थ बहुत कम लोगों को है पता, आइए जानते हैं इसकी महिमा

राम नाम जपने से कई लाभ आपको प्राप्त हो सकते हैं। लेकिन क्या आप राम नाम का अर्थ जानते हैं, अगर नहीं तो आज इसी बारे में हम आपको जानकारी देंगे।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Jun 22, 2024 17:53 IST, Updated : Jun 22, 2024 17:53 IST
श्री राम- India TV Hindi
Image Source : FILE श्री राम

भगवान राम की कथा तो हम सब ने सुनी है, बहुत से लोग राम नाम का जप भी करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इस नाम का असली अर्थ क्या है, और इसे जपने से क्या परिणाम हमको प्राप्त होते हैं। अगर नहीं, तो आज हम राम नाम की महिमा के बारे में आपको विस्तार से अपने इस लेख में जानकारी देंगे। 

राम नाम की महिमा और अर्थ

आज के समय में लोगों को लगता है कि दशरथ पुत्र श्री राम को ही पहली बार यह नाम दिया गया था। उससे पहले इस नाम का कोई अस्तित्व नहीं था। अगर आपको भी ऐसा लगता है तो आप गलत हैं, क्योंकि हिंदू शास्त्र के जानकारों का मानना है कि राम नाम राम से भी पहले अस्तित्व में था। भगवान राम से भी पहले लोग राम नाम का जप करते थे। 'रमन्ते योगिन: यस्मिन् स राम:', शास्त्रों में वर्णित इस कथन का अर्थ है, रोम-रोम में जो बसा हुआ है रमा हुआ है वही राम है। 'घट-घट वासी राम' आपने आम बोलचाल में कभी न कभी किसी के मुख से ये शब्द जरूर सुने होंगे। लेकिन इसका अर्थ समझने में अक्सर लोग गलती कर देते हैं। इसलिए आपको राम नाम का असली अर्थ पता होना जरूरी है। आइए जानते हैं कि आखिर राम नाम का असली अर्थ है क्या। 

राम नाम का अर्थ

राम नाम संस्कृत भाषा में मौजूद दो शब्दों के मेल से बना है रम् और घम। रम् का अर्थ है रमना, मन लग जाना, समा जाना। घम का अर्थ है ब्रह्मांड का रिक्त स्थान या शून्य। यानि कि जो कण-कण में व्याप्त है वो राम है, जो ब्रह्मांड में हर जगह स्थित है वो राम है। संसार के हर प्राणी में जो ब्रह्म तत्व है वो राम है। भगवान राम और राम नाम में कौन बड़ा है इससे जुड़ी एक रोचक कहानी हमको शास्त्रों में मिलती है।

श्रीराम बड़े ये राम नाम 

एक बार देवताओं की एक सभा में ये बहस चली की राम बड़े कि उनका नाम। सभी ने कहा प्रभु राम बड़े क्योंकि उनके जरिये ही इस नाम को प्रतिष्ठि मिली है, जबकि नारद जी इस बात पर अड़ गए कि श्रीराम नहीं राम नाम बड़ा है। लेकिन उनकी किसी ने सुनी नहीं। सभा समाप्त हुई तो नारत मुनि हनुमान जी से बोले कि विश्वामित्र जी को प्रणाम मत करना क्योंकि वो पहले एक राजा थे, प्रणाम सिर्फ ऋषि-मुनियों को ही किया जाता है। हनुमान जी ने वैसा ही किया। विश्वामित्र जी को हनुमान जी का प्रणाम न करने खल गया, वो नाराज हो गए और श्रीराम से कहा कि, मैं तुम्हारा गुरु हूं और मेरा आदेश है कि, हनुमान का वध कर दो। राम जी गुरु की बात को नहीं टाल सकते थे इसलिए वो हनुमान जी का वध करने का विचार बना चुके थे। 

यह सब देखकर हनुमान जी ने, नारद जी से सहायता मांगी, क्योंकि उन्होंने ही विश्वामित्र को प्रणाम करने से मना किया था। तब नारद जी ने हनुमान जी से कहा कि, तुम राम नाम का जप करना शुरू कर दो। हनुमान जी ने ऐसा ही किया और राम जी का एक भी बाण हनुमान जी को छू नहीं पाया। श्रीराम जी द्वारा लगातार हनुमान जी को मारने की कोशिश हो रही थी लेकिन, राम नाम के जप से उनपर इसका कोई असर नहीं हो पा रहा था। नारद ने विश्वामित्र से कहा कि, राम जी को रोक लें। विश्वामित्र ये देखकर चकित थे कि भगवान राम के अस्त्र भी राम नाम जप रहे हनुमान पर असर नहीं कर पा रहे हैं। विश्वामित्र ने फिर राम जी को रुक जाने को कहा। सब समझ गए थे कि नारद जी ने ये सारी माया यह सिद्ध करने के लिए की थी कि राम से भी बड़ा राम का नाम है। 

राम नाम जप के फायदे

अगर आप राम नाम का जप करते हैं तो समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा आपको प्राप्त होती है। 'राम' को महामंत्र की संज्ञा दी गई है। इसे जपने से आपके ज्ञान चक्षु खुलते हैं, ब्रह्मांड में मौजूद गूढ़ रहस्यों का भी आपको पता चलता है। साथ ही आपके स्वास्थ्य के लिए भी राम नाम का जप अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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