
Shani Jayanti 2025: शनि जयंती 2025 में 25 मई को मनाई जाएगी। हर वर्ष वैशाख माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। यह दिन शनि देव की पूजा के साथ ही दान-पुण्य के लिए भी बेहद खास माना गया है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन कुछ ऐसे उपाय भी हैं जिन्हें करने से आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन पितरों के निमित्त किए गए उपायों से पितृ दोष से भी आपको मुक्ति मिलती है।
पिंडदान और तर्पण
शनि जयंती के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए आपको पवित्र नदी या अपने घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। इसके साथ ही “ॐ पितृदेव्यै नमः” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करते समय आपको पितरों के निमित्त पिंडदान करना चाहिए। इस दिन जल में काले तिल, कुशा, दूध मिलाकर तर्पण देना विशेष फलदायी होता है।
जरूरतमंदों को भोजन कराना
पितरों की तृप्ति के लिए शनि जयंती के दिन आपको ब्राह्मण या जरूरतमंद को खीर, पूरी, चने की दाल, कद्दू, इमली आदि खिलाना चाहिए। भोजन में इस दिन तिल और काला नमक का प्रयोग करना चाहिए। अगर आप अनाथालय या किसी वृद्ध आश्रम में जाकर भोजन का दान करें तो शनि देव और पितरों की आप पर असीम कृपा होती है।
पीपल पूजन और दीपदान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है। इसलिए शनि जयंती के दिन आपको पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और पीपल की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद पितरों की शांति के लिए पार्थना करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से कई पीढ़ियों के पितरों को शांति मिलती है।
इन मंत्रों का करें जप
शनि देव और पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन कुछ मंत्रों का भी आप जप कर सकते हैं।
पितरों की शांति के लिए मंत्र- ॐ श्री पितृभ्यः नमः।
शनि ग्रह के मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः।/ ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
यदि आपके कुल में पितृ दोष है तो कई तरह की समस्याएं जीवन में आ सकती हैं। ऐसे में शनि जयंती के अवसर पर अगर आप ऊपर बताए गए उपायों को करते हैं तो पितृ दोष से आपको मुक्ति मिल जाती है। ऐसा करने से जीवन की बाधाएं भी दूर होने लगती हैं।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)