Monday, April 29, 2024
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विश्व का पहला ऊँ आकार का मंदिर बन कर हुआ तैयार, मंदिर से जुड़ी हैं ये प्रमुख बातें

राजस्थान के पाली जिले में महादेव को समर्पित विश्व का पहला ऊँ आकार का मंदिर बन कर तैयार हो चुका है। मंदिर का भूमी पूजन वर्ष 1995 में हो चुका था। लेकिन इसके निर्माण कार्य में 28 वर्षों का समय लगा है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें और साथ ही मंदिर की विशेषताओं के बारे में भी जानेंगे।

Aditya Mehrotra Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: February 11, 2024 10:11 IST
Om Shaped Shiva Temple- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Om Shaped Shiva Temple

Om Shaped Shiva Temple​: हिंदू धर्म में ऊँ की ध्वनी बड़ी ऊर्जावान मानी जाती है। यह वातावरण को सकारात्मक बनाने में भी मददगार है। इसी के साथ शास्त्रों में ऊँ की ध्वनि में अकार, उकार और मकार समाहित हैं। यह ध्वनि प्राकृतिक गुणों को भी दर्शाती है जो सत,रज और तम गुण का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी ऊँ आकार की तर्ज पर विश्व का पहला मंदिर हाल ही में राजस्थान के पाली जिले में बनकर तैयार हुआ है। 

सूत्रों के मुताबिक इस मंदिर को बनने में पूरे 28 वर्ष लगें हैं। इस मंदिर का भूमि पूजन वर्ष 1995 में ही हो गया था। अगामी 19 फरवरी 2024 को इस मंदिर में रखी प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। बता दें कि यह मंदिर बहुत ही भव्य और महादेव को पूर्णतः समर्पित है। आइए इस मंदिर से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें और इसकी विशेषताओं के बारे में जानते हैं।

मंदिर की इस दिन होगी प्राण प्रतिष्ठा

मंदिर के निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद अब इसमें रखी प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का धार्मिक अनुष्ठान 19 फरवरी 2024 को होगा। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए यहां 10 फरवरी से 18 फरवरी तक शिव पुराण की कथा भी की जाएगी। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा मे देश भर से साधु-संत सहित श्रद्धालुओं का आना होगा। 

मंदिर की प्रमुख विशेषताएं

  • ऊँ आकार के इस मंदिर के प्रेणता श्री अलखपूरी सिद्धपीठ परंपरा के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर महेश्वरानंद महाराज ने 40 वर्ष पूर्व इस मंदिर के निर्माण का सपना देखा था।
  • इस योग मंदिर का परिसर लगभग 250 एकड़ में है। मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव की 1008 प्रतिमाएं और 108 कक्ष हैं।
  • मंदिर नागर शैली के अनुरूप बनाया गया है और इसमें उत्तरी भारतीय वास्तु कला का भी ध्यान दिया गया है। शिव मंदिर होने के साथ ही साथ यहां सात ऋषियों की समाधि भी मौजूद है।
  • ऊँ आकार के इस मंदिर का शिखर 135 फीट ऊंजा है। मंदिर के सबसे ऊपर वाले भाग में शिवलिंग है और इस पर ब्रह्मांड की आकृति बनी है।
  • मंदिर के निर्माण में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह एक तरह के लाल पत्थर होते हैं और इनकी आयु कई वर्षों तक होती है।
  • इसी के साथ इस योग मंदिर में नंदी महाराज की भी एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है, यहां सूर्य देव का मंदिर भी है जो अष्टखंड में बना हुआ है। 
  • इस शिव मंदिर को चार खंड़ों में विभाजित किया गया है, इसका एक हिस्सा जमीन के अंदर है और बाकी के तीन भागों को जमीन के ऊपर बनाया गया है। मंदिर के बीचों-बीच स्वामी माधवानंद की समाधि है।

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