Saturday, April 20, 2024
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अगर टीम पर न लगता बैन तो शायद ये खिलाड़ी तोड़ देता डॉन ब्रैडमैन का भी रिकॉर्ड!

बैरी रिचर्ड्स का अंतरराष्ट्रीय करियर सिर्फ 4 टेस्ट मैचों तक सीमित रहा, सभी मैच एक ही प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ एक ही श्रृंखला में खेले, फिर भी उन्हें दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक के रूप में जाना जाता है।

Priyanshu Sharma Written by: Priyanshu Sharma
Updated on: January 22, 2021 12:59 IST
Don Bradman Statue and Bary Richards- India TV Hindi
Image Source : GETTY Don Bradman Statue and Bary Richards

क्रिकेट के खेल ने वैसे तो कई अच्छे, बेहतर, महान या महानतम खिलाड़ी देखें हैं। सचिन से लेकर ब्रैडमैन, कैलिस, मुरलीधरन और न जाने कितने ही ऐसे नाम हैं जिन्होंने इस खेल में सर्वश्रेष्ठ की परिभाषा को अपने खेल से गढ़ा है। लेकिन शायद ही कोई ऐसा क्रिकेटर होगा जिसने बैरी एंडरसन रिचर्ड्स की तरह अपने बेहद छोटे अंतरराष्ट्रीय करियर में ही क्रिकेट की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी हो। 'बेहद छोटे अंतरराष्ट्रीय करियर' का मतलब यहां 100, 50 या 20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों से नहीं बल्कि महज 4 मैचों से है। बैरी रिचर्ड्स का अंतरराष्ट्रीय करियर सिर्फ 4 टेस्ट मैचों तक सीमित रहा, सभी मैच एक ही प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ एक ही श्रृंखला में खेले, फिर भी उन्हें दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक के रूप में जाना जाता है। लेकिन आखिर ऐसा क्या है की डॉन ब्रैडमैन भी बैरी रिचर्ड्स को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ दाएं हाथ का सलामी बल्लेबाज मानते थे। 

दक्षिण अफ्रीका के डरबन में जन्मे रिचर्ड्स नेशनल टीम के सिलेक्टर्स की नज़रों में तब आए जब उन्होनें पश्चिमी प्रांत की फर्स्ट क्लास टीम के खिलाफ शतक लगाया। इसके बाद उन्होंने 1964-65 में एमसीसी के दौरे के खिलाफ दक्षिण अफ्रीकी कोल्ट्स इलेवन के लिए खेला और 1966-67 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया तब बैरी ने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट डेब्यू किया।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था डेब्यू

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 22 जनवरी 1970 को जिस सीरीज में रिचर्ड्स ने टेस्ट डेब्यू किया वही उनके जीवन की पहली और आखिरी अंतरराष्ट्रीय सीरीज साबित हुई । 4 टेस्ट मैचों में, दाहिने हाथ के सलामी बल्लेबाज, रिचर्ड्स ने 7 पारियों में 2 शतक और 2 अर्द्धशतक के साथ 508 रन बनाए, जिसमें उन्होंने 140 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर और 72.57 के औसत से रन बनाए। रिचर्ड्स ने दूसरे टेस्ट में अपना पहला शतक जमाया, और उन्होंने सिर्फ 116 गेंदों पर यह कारनामा किया, जो उस समय के मुताबिक बेहद ही तेज़ स्ट्राइक रेट माना जाता था। 

जब अफ़्रीकी टीम पर लगे बैन ने खत्म कर दिया रिचर्ड्स का अंतरराष्ट्रीय करियर

1968 में, रिचर्ड्स ने काउंटी चैम्पियनशिप में कुल 2395 रन बनाए जिसके लिए उन्हें विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया। क्रिकेट की दुनिया में बैरी के ब्रैडमैन के बाद दूसरा सबसे महान बल्लेबाज़ होने की बात कही जाने लगी थी। लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने क्रिकेट के इस उभरते सितारे का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर महज 7 हफ्ते में ही ख़त्म कर दिया । दक्षिण अफ्रीकी सरकार की रंगभेद नीतियों के कारण दक्षिण अफ्रीका को 1970 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बैन कर दिया गया था। ये बैन साल 1991 यानी 21 साल तक बना रहा। जब साउथ अफ्रीका सरकार ने रंगभेद के खिलाफ अपनी नीति को बदला। इसके बाद ही 10 नवंबर 1991 को साउथ अफ्रीकी टीम की फिर से क्रिकेट में वापसी हो पाई। 

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वो कमबैक जिसने दुनिया में रिचर्ड्स की बल्लेबाज़ी का लोहा मनवाया

अफ्रीकी टीम पर लगे बैन के बाद रिचर्ड्स ने हार नहीं मानी और आने वाले सालों में रिचर्ड्स ने शेफील्ड शील्ड के साथ दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए विदेशी खिलाड़ी के रूप में खेलना शुरू किया। उस वक़्त शायद ही किसी को पता था कि यह रिचर्ड्स के करियर का निर्णायक क्षण होगा। दुनिया की सबसे तेज 'पर्थ' की पिच पर खेलते हुए बैरी ने एक ही दिन में नाबाद 325 रन बनाए। लेकिन आखिर इस पारी में ऐसा क्या खास था जो इसे बाकी तिहरे शतकों से अलग बनाता है। दरअसल रिचर्ड्स ने ये कारनामा डेनिस लिली, ग्राहम मैकेंज़ी, टोनी लॉक और टोनी मान जैसे गेंदबाजों के खिलाफ किया था।  रिचर्ड्स ने उस पारी में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ 356 रन का स्कोर बनाया और उस सीजन में 10 मैचों में 109.86 की औसत से 1538 रन बनाए। बैरी ने अपने आक्रामक स्ट्रोक खेलने के अंदाज़ के साथ दुनिया भर के दर्शकों को रोमांचित किया और ग्लॉस्टरशायर, हैम्पशायर, नेटाल और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए काउंटी खेला। नेटाल के लिए खेलते हुए, उन्होंने Currie Cup के 4 सीज़न 1971-72, 1972-73, 1973-74 और 1975-76 में, क्रमश 1089 रन, 1064 रन, 898 रन और 868 रन बनाए। 

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जब पैकर वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट में गरजा रिचर्ड्स का बल्ला

इसके बाद साल 1977 में कैरी पैकर वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट में रिचर्ड्स को दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ अपनी प्रतिभा दिखने का सही मौका मिला।  उन्होंने वर्ल्ड इलेवन के लिए 5 सुपरटेस्ट खेले, इन 5 मैचों में बैरी ने 79 के औसत से 554 बनाकर दुनिया में अपना लोहा मनवाया। जिसमें पर्थ में 207 के सर्वश्रेष्ठ स्कोर के साथ 2 शतक शामिल थे।

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फर्स्ट क्लास में जड़ डाले 80 शतक 

इस सब के अलावा भी रिचर्ड्स के नाम कुछ बेहद ख़ास कारनामे हैं। रिचर्ड्स 9 बार लंच से पहले शतक बनाने में सफल रहे और साथ ही उन्होंने 15 बार सीज़न में 1000 रन भी बनाए। रिचर्ड्स की काबिलियत का अंदाज़ा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है की उन्होंने 339 फर्स्ट क्लास मैचों की अपनी 576 परियों में 54.74 के औसत से 28,538 रन बनाए, जिसमें 80 शतक और 152 अर्धशतक शामिल हैं। बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी में भी उन्होंने 7-63  के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ 77 विकेट चटकाए हैं और बतौर फील्डर 367 कैच भी लपके हैं। भले ही रिचर्ड्स को दुनिया के सामने वो कारनामा दिखाने के मौका न मिला हो जिसके वो हक़दार थे लेकिन कहते हैं की प्रतिभा किसी परिस्थिति की मोहताज़ नहीं होती और ये बात बैरी रिचर्ड्स पर बेहद सटीक बैठती है जिन्होंने हालात के विपरीत जाकर दुनिया में अपने खेल का डंका बजाया।

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