Thursday, March 28, 2024
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भारतीय फुटबॉल टीम के कोच बोले- माराडोना के खिलाफ खेलना काफी डरावना था

भारतीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच इगोर स्टीमाक ने डिएगो माराडोना को याद करते हुए अपनी श्रद्धंजलि दी है।

IANS Reported by: IANS
Published on: November 27, 2020 15:45 IST
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Image Source : AP भारतीय फुटबॉल टीम के कोच बोले- माराडोना के खिलाफ खेलना काफी डरावना था 

स्पिलिट (क्रोएशिया)| भारतीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच इगोर स्टीमाक ने डिएगो माराडोना को याद करते हुए अपनी श्रद्धंजलि दी है। स्टीमाक ने कहा है कि माराडोना फुटबाल के राजा थे। अपने बेहतरीन खेल से दुनिया को दीवाना बनाने वाले माराडोना का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

एआईएफएफ डॉट कॉम ने स्टीमाक के हवाले से लिखा है, "डिएगो माराडोना -- फुटबाल के राजा, लेजेंड। कोई कैसे उन्हें एक शब्द या एक विशेषण में बयां कर सकता है? मैंने कई साल तक अपने देश का प्रतिनिधित्व किया, कई क्लबों के लिए खेला, मैं अभी भी इस महान खिलाड़ी की छाया से अभिभूत हूं।"

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स्टीमाग दो बार माराडोना के खिलाफ खेले हैं। फीफा विश्व कप 1994 से पहले अर्जेटीना और क्रोएशिया के बीच में एक दोस्ताना मैच में स्टीमाक ने माराडोना का सामना किया था।

क्रोएशिया के पूर्व डिफेंडर ने कहा, "उनका संतुलन और तेजी ऐसी थी जिससे हर डिफेंडर डरता था। जब वह दौड़ रहे हों तो उन्हें रोकना काफी मुश्किल था। उनका बिना देखे पास देना डरावना था। हमने जाग्रेब में एक दोस्ताना मैच खेला था। इसके बाद उन्हें 1994 फीफा विश्व कप में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका जाना था। उनके गैब्रिएल बातिस्तुता और क्लाउडियो कानिगिया के दिए गए लंबे पास एक दम सटीक रहते थे।"

उन्होंने कहा, "वह मैदान पर हर जगह थे। कई बार वह राइट फ्लैंक से डिफेंडर को पीछे छोड़ देते थे। अगली बार वह आपको फॉरवर्ड के साथ वन टू वन खेलते हुए दिख जाते थे। उनके सामने टिकना बहुत बड़ा काम था। एक सेंट्रल डिफेंडर के तौर पर, मेरे लिए यह असल परीक्षा थी। अच्छी बात थी कि हम उस दिन 38,000 दर्शकों के सामने प्रभाव छोड़ सके, लेकिन माराडोना का उस रात प्रदर्शन शानदार था।"

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इससे पहले दोनों ने 1992-94 में स्पेनिश लीग में एक दूसरे का सामना किया था। भारतीय कोच ने कहा, "1992-93 स्पेनिश लीग में। मेरे पास उनके खिलाफ खेलने का एक और मौका था। उस समय वह सेविला के लिए खेल रहे थे। माराडोना का दिल साफ था। वह अपने आप को जाहिर करने के लिए दूसरी बार नहीं सोचते थे। वह नहीं सोचते थे कि लोग उनके बारे में क्या कहेंगे। वह अपनी शर्तो पर जिंदगी जीते थे।"

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