इस बीच लद्दाख में चाइनीज आर्मी की एक साजिश का खुलासा हुआ है। समाचार एजेंसी एएनआइ ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई ताजा झड़प से पहले चीन ने लद्दाख इलाके में लड़ाकू विमान तैनात किए थे।
भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति नजर आ रही है। चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
पूर्वी लद्दाख में चीनी फौज के दुस्साहसपूर्ण घुसपैठ के बाद सैन्य तनाव दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच कूटनीतिक व सैन्य स्तर पर अभी तक हुई कई दौर की वार्ताओं का कोई नतीजा नहीं निकला है। दूसरी तरफ चीन की चालबाजियां भी बढ़ती जा रही हैं।
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच रविवार को दोनों देशों के शीर्ष कमांडरों के बीच 5वें चरण की बातचीत हुई। सैन्य कमांडर स्तर की यह बातचीत करीब 11 घंटे तक चली।
भारत और चीन के बीच गलवान में तनाव के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आज दो दिवसीय दौरे पर लद्दाख पहुंचे। राजनाथ सिंह सेना के विशेष प्लेन से लेह के पहुंचे। रक्षामंत्री का ये दौरा प्रधानमंत्री के दौरे के करीब पंद्रह दिन बाद हो रहा है।
पैंगोंग सो और देपसांग समेत पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले सभी स्थानों से समयबद्ध तरीके से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए भारतीय और चीनी सेना के कमांडरों के बीच मंगलवार को करीब 14 घंटे तक मैराथन बातचीत हुई।
कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के पीछे हटने और चीनी पक्ष से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से बातचीत को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं।
चीन ने गलवान घाटी में अप्रैल 2020 के यथास्थिति को मानते हुए पीछे हटने का फैसला लिया और फिलहाल पेट्रोलिंग प्वॉइंट 14 से अपने सारे स्ट्रक्चर और गाड़ियों को हटा लिया है। वहीं पेट्रोलिंग प्वॉइंट 15 पर चीन ने लगभग अपनी बीस टेंट और करीब 200 जवानों को पीछे किया है।
इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को भारतीय सेना की फिजिकल वेरिफिकेशन में यह पता चला है कि चीन की सेना ने अस्थाई टेंट हटा लिए हैं
एलएसी पर चीन से तनातनी के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक लेह पहुंचकर ड्रैगन को डायरेक्ट मैसेज दिया। पीएम मोदी ने बॉर्डर पर तनाव के बीच आज फॉरवर्ड लोकेशन्स का दौरा किया।
यांग जिलानी के दावे पर अभी तक चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने भी कुछ नहीं लिखा है लेकिन गलवान घाटी में चीनी सेना को भयंकर नुकसान हुआ है ये तो तय है।
जिनपिंग सरकार ने गलवान में 40 से ज्यादा सैनिकों की मौत को छिपाया जिससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पूर्व दिग्गजों और मौजूदा जवानों के बीच इस कदर नाराजगी बढ़ती जा रही है कि वो कभी भी सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह कर सकते हैं।
चाइनीज़ सोशल मीडिया पर एक तस्वीर आग की तरह वायरल हो रही है। चीनी मीडिया में दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर गलवान घाटी की है जहां भारत की पांच पोजिशन दिखाई जा रही है। इस बीच चीन का सरकारी मीडिया का भी सुर बदल गया है।
भारत के कड़े रुख ने चीन के होश ठिकाने लगा दिए हैं। चीन ने पहले भारत की दोस्ती देखी थी, स्वागत देखा था और अब गुस्सा देख रहा है। पहले दूरसंचार विभाग ने चीन को अपने प्रोजेक्ट से अलग किया, फिर रेलवे ने अपने आप को चीन से अलग किया।
लद्दाख में एलएसी पर एक ओर चीन अपनी ढाई चाल चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने भी नया फ्रंट खोलने की साजिश रची है। खुफिया सूत्रों से खबर मिली है कि पाकिस्तान ने पीओके में गिलगित बाल्टिस्तान में अपनी आर्मी की दो डिवीजन को तैनात कर दिया है।
एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत-चीन के बीच कमांडर लेवल की कल यानी मंगलवार को मैराथन बैठक हुई। दोनों देशों के बीच ये बैठक करीब 12 घंटे तक चली। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में सहमित बनने की उम्मीद है।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से झड़प कैसे शुरू हुई, आखिर कैसे 10-10 चीनी सैनिकों पर भारत का एक-एक जांबाज भारी पड़ा। उसकी इनसाइड स्टोरी बताया पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने।
एक शीर्ष सांसद ने कहा है कि चीन ने भारत के साथ लगती सीमा पर पूर्व नियोजित सैन्य घुसपैठ जारी रखी हुई है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि बीजिंग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी का इस्तेमाल हर दिशा में आक्रामकता दिखाने के लिए किया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने गुरुवार को कहा कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमेरिका दुनिया भर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर रहा है।
भारत ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के लिए बीजिंग को जिम्मेदार ठहराते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि चीन मई के शुरू से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिक और युद्ध सामग्री जुटा रहा है तथा चीनी बलों का आचरण पारस्परिक सहमति वाले नियमों के प्रति पूर्ण अनादर का रहा है।
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