सरकार ने इससे पहले सुरक्षा बलों पर पहली बार पथराव करने वालों के खिलाफ मामला वापस लेने के आदेश दिए थे...
कुल चार हज़ार तीन सौ सत्ताइस पत्थरबाज़ों के खिलाफ चल रहे केस को वापस लिया गया है। महबूबा मुफ्ती ने इस संबंध में जारी आदेश पर बुधवार को हस्ताक्षर किए है। ये वो नौजवान हैं जो पत्थरबाज़ी के मामले में पहली बार पकड़े गये हैं। हालांकि सरकार पहले ही दिन से
गौरतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर मसले पर केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि के सुझाव पर विचार करते हुए यह फैसला उठाया गया है ताकि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए वार्ता जारी रखने हेतु सभी हितधारकों में विश्वास बढ़े।
एक बयान में कहा गया है, यह सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्तियों, संगठनों की हानिकारक गतिविधियों को अधिक प्रभावशाली तरीके से हतोत्साहित करेगा। प्रवक्ता ने कहा कि इस अध्यादेश को लागू करने के दो मकसद हैं। पहला मकसद सार्वजनिक
पथराव की घटनाओं में कमी का कारण अलगाववादी नेताओं पर एनआईए के कसते शिकंजे को माना जा रहा है। इसी क्रम में कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के संबंध में उनके खिलाफ चल रहे एक दशक से
जम्मू-कश्मीर मानवाधिकार आयोग ने पत्थरबाज फारुख अहमद डार को 10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। फारुख अहमद डार को सेना ने उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजी करते हुए पकड़ा था।
अनंतनाग में करीब एक घंटे तक छिटपुट झड़पें जारी रहीं। बारामुला जिले के सोपोर और पट्टन शहरों में भी ईद की नमाज के बाद झड़पों की खबरें मिली हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "सुरक्षा बल इन स्थानों पर पत्थरबाजों से निपटने के लिए अत्यधिक सावधानी बरत रह
यह विचार विक्टर फोर्स के जनरल आफिसर कमांड मेजर जनरल बी एस राजू के मन में आया जब उन्होंने युवा पत्थरबाजों से मुलाकात की जिन्हें आतंकवादियों के खिलाफ विभिन्न अभियानों के दौरान सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने के क्रम में पकड़ा गया था।
कश्मीर के शोपियां जिले में घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान पथराव कर रही भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में आज एक छात्र की मौत हो गई, जबकि 10 अन्य नागरिक घायल हो गए।
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