Sunday, April 28, 2024
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दारुल उलूम देवबंद ने दिया 'गजवा-ए-हिंद' पर फतवा, NCPCR ने प्रशासन से कहा- FIR दर्ज करें

दारुल उलूम देवबंद ने अपने फतवे में गजवा-ए-हिन्द को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध बताते हुए इसे महिमामंडित किया है। बता दें कि सुन्न अल नसा नाम की किताब में गजवा-ए-हिंद पर पूरा एक चैप्टर है।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: February 22, 2024 18:00 IST
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Image Source : PTI FILE दारुल उलूम देवबंद ने 'गजवा-ए-हिंद' पर फतवा दिया है।

सहारनपुर: इस्लामिक शिक्षा के केंद्र दारुल उलुम देवबंद ने गजवा-ए-हिन्द को मान्यता देने वाला फतवा जारी किया है। दारूल उलूम देवबंद ने ये फतवा अपनी वेबसाईट के माध्यम से जारी किया है। इसमें गजवा-ए-हिन्द को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध बताते हुए महिमामंडित किया गया है। इसमें कहा गया है कि गजवा-ए-हिन्द में मरने वाले महान बलिदानी होंगे। इस पूरे मामले को देखते हुए NCPCR ने सहारनपुर के प्रशासन को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। बता दें कि मुख्तार कंपनी द्वारा प्रकाशित सुन्न अल नसा नाम की किताब का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस किताब में गजवा-ए-हिन्द को लेकर एक पूरा चैप्टर है।

क्या लिखा है गजवा-ए-हिन्द के चैप्टर में?

गजवा-ए-हिन्द के चैप्टर में हजरत अबू हुरैराह ने हदीस के बारे में बताते हुए कहा है कि अल्लाह के पैगंबर ने ‘भारत पर हमला’ करने का वादा किया था। इसमें कहा गया है, ‘अगर मैं जिंदा रहा तो इसके लिए मैं खुद को और अपनी धन सम्पदा को कुर्बान कर दूंगा। मैं सबसे महान बलिदानी बनूंगा।’ इसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि देवबंद की मुख्तार कंपनी ने इस किताब को प्रिंट किया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए सहारनपुर के डीएम और एसपी को एक नोटिस जारी कर FIR दर्ज करने को कहा है।

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Image Source : PTI FILE
सुन्न अल नसा नाम की किताब में गजवा-ए-हिंद पर पूरा एक चैप्टर है।

‘इस्लामिक कट्टरपंथ को मिल रहा बढ़ावा’

NCPCR ने कहा है कि दारुल उलुम देवबंद मदरसे में बच्चों को भारत विरोधी शिक्षाएं दे रहा है, जिससे इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है। आयोग ने इसे किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का उल्लंघन करार दिया है। NCPCR ने CPCR अधिनियम की धारा 13 (1) TJ) के तहत मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि इस तरह के फतवे की सामग्री से देश के खिलाफ नफरत फैल सकती है। आयोग ने जिला प्रशासन से दारुल उलुम की बेवसाइट की जांच करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इसके जरिए देश की जनता को गुमराह किया गया है, इसलिए जांच करके इसे तुरंत ब्लॉक किया जाए।

‘यदि प्रशासन ने एक्शन नहीं लिया तो…’

NCPCR ने साथ ही चेताया है कि जल्द ही इसको लेकर कोई एक्शन नहीं लिया गया तो खुद जिला प्रशासन भी समान रूप से इसके लिए जिम्मेदार होगा। आयोग ने कहा, ‘दारुल उलुम देवबंद में बच्चों को ये पढ़ाया जा रहा है कि किस तरह से ‘गजवा-ए-हिन्द’ किया जाए। जो भी गजवा-ए-हिन्द के लिए अपनी जान देगा वो सर्वोच्च बिलदानी कहा जाएगा। ये संस्था पूरे दक्षिण एशिया में मदरसों को संचालित करती है। इस तरह से बच्चों को भारत पर हमले के लिए उकसाना बहुत ही खतरनाक है। इस मामले में हमने जिला प्रशासन से देश द्रोह की धाराओं के तहत केस दर्ज करने को कहा है।’

सहारनपुर के डीएम ने कही ये बात

सहारनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र सिंह ने बताया कि NCPCR से निर्देश प्राप्त हुए हैं और उन्होंने बारिश स्कूल शिक्षक को इस बारे में पत्र भेज दिया है। सिंह ने कहा कि देवबंद के CO और SDM को इस संबंध में निर्देशित कर दिया गया है कि तुरंत इसमें कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि NCPCR ने माना है कि यह बच्चों के लिए उनके विकास के लिए सही नहीं है और इसी को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई के लिए एक पत्र भेजा गया था जो उन्हे मिल चुका है। डीएम ने कहा कि उन्होंने कार्रवाई के आदेश कर दिए हैं। (रिपोर्ट: खालिद हसन)

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