Saturday, April 27, 2024
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Bengal SSC Scam: पार्थ चटर्जी के कैबिनेट से बाहर होने के बाद जांच में आएगी तेजी, होंगे नए खुलासे!

Bengal SSC Scam: ED के अधिकारी एक के बाद एक नए सबूत जुटाते जा रहे हैं। ईडी अधिकारियों का अब मानना है कि पार्थ चटर्जी राज्य में शिक्षकों की भर्ती के लिए घोटाले में शामिल अन्य लोगों की भूमिका के बारे में खुलासा करना शुरू कर देंगे।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal
Published on: July 28, 2022 22:52 IST
Partha Chatterjee- India TV Hindi
Image Source : PTI Partha Chatterjee

Highlights

  • ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हटाया
  • पार्थ चटर्जी से सभी विभाग छीन लिए गए
  • ED की कार्रवाई के बाद ममता का एक्शन

Bengal SSC Scam: बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला (Bengal Teacher Recruitment Scam) मामले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी को पश्चिम बंगाल कैबिनेट से बाहर कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी एक के बाद एक नए सबूत जुटाते जा रहे हैं। ईडी अधिकारियों का अब मानना है कि यह राजनेता राज्य में शिक्षकों की भर्ती के लिए घोटाले में शामिल अन्य लोगों की भूमिका के बारे में खुलासा करना शुरू कर देंगे। उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी ने पहले ही मामले में बात करना शुरू कर दिया है और पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया है कि पार्थ चटर्जी द्वारा उनके साथ केवल एक बैंक (जमाकर्ता) के रूप में व्यवहार किया गया था, ताकि वे कुछ एहसान के बदले कैश और अन्य कीमती सामान अपने पास रख सकें।

ईडी के एक सूत्र ने कहा, हम अब चटर्जी और मुखर्जी द्वारा बनाई गई मुखौटा (फर्जी) कंपनियों के स्वामित्व वाली संपत्ति की तलाश कर रहे हैं। घरों और फ्लैटों के अलावा, हमें बंटाला लेदर कॉम्प्लेक्स क्षेत्र में जमीन की जानकारी मिली है, जिसे कथित तौर पर शेल कंपनियों में से एक, इच्छी एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खरीदा गया था। इस जमीन का मूल्यांकन 20 करोड़ रुपये से ऊपर है। यह बेलियाघाटा में एक परिवार से खरीदी गई थी। संपत्ति का मूल्यांकन अकेले 50-60 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है।

पार्थ को पद से मुक्त करने में क्यों लगे 6 दिन?

लेकिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को पार्थ चटर्जी को उनके मंत्री पद से मुक्त करने में लगभग छह दिन क्यों लगे? बुधवार को उत्तरपारा, हुगली में मेट्रो कोच निर्माण इकाई के उद्घाटन समारोह में उनके संबोधन के 24 घंटे बाद उनका फैसला आया, जहां उन्होंने कोलकाता में 21 जुलाई की शहीद दिवस रैली के दौरान छापे मारने की ईडी की रणनीति पर सवाल उठाया था। बुधवार के घटनाक्रम के दौरान, ममता ने एक बहादुर मोर्चा अपनाए रखा और यहां तक कि भविष्यवाणी की कि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 2024 के संसदीय चुनावों में हार जाएगा। उन्होंने कोई संकेत नहीं दिया कि पार्थ चटर्जी के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी।

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और विधायक ने कहा, वह बहुत दबाव में हैं। ममता बनर्जी को पता चल चुका है कि सीक्रेट अब बाहर आ चुका है और आम आदमी अब यह नहीं मानता है कि तृणमूल कांग्रेस को पार्थ चटर्जी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आदर्श रूप से, जिस क्षण चटर्जी को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें पद मुक्त कर देना चाहिए था। लेकिन, वह जानती थीं कि वह बात करना शुरू कर देंगे और अन्य शीर्ष नेता सवालों के घेरे में आ जाएंगे। वह चटर्जी को बाहर करने से पहले सामंजस्य बैठा रही हैं। उनका अगला कदम यह कहना होगा कि अगर पार्टी के महासचिव सहित कोई भी भ्रष्ट है तो उसे कैसे बख्शा जाएगा। आखिर पार्टी में कुछ ऐसे भी हैं, जो भ्रष्ट नहीं हैं और हम इसका समर्थन नहीं करते हैं।

'और भी बड़ी मछलियां पकड़ी जानी हैं'
सूत्रों के अनुसार, ममता इस बात को न तो समझती हैं और न ही मना करती हैं कि ED ने इस बार अपना होमवर्क कर लिया है। एजेंसी जानती है कि पार्थ चटर्जी भले ही कितने ही बड़े नेता क्यों न हों, पार्टी में दूसरों की जानकारी के बिना खुद से यह संपत्ति अर्जित नहीं कर सकते थे। दूसरे नेताओं पर पहले से ही नजर रखी जा रही है। सूत्र ने कहा, हमारे पास हर जगह आंखें और कान हैं। यह सिर्फ हिमशैल का सिरा (जितना दिख रहा है, उससे कहीं अधिक) है। पीएमएलए के तहत और भी बड़ी मछलियां (बड़ी हस्तियां) पकड़ी जानी हैं।

ममता बनर्जी 67 साल की हैं और उन्हें पता है कि उम्र बढ़ रही है। तृणमूल कांग्रेस, भारत में किसी भी अन्य क्षेत्रीय दल की तरह, एक ऐसा चेहरा सामने नहीं ला पाई है जो पांच से सात साल बाद सत्ता संभाल सके। उन्होंने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को तैयार किया है लेकिन उनका अभी भी एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरना बाकी है। अभिषेक के समर्थक बदलाव के साथ नए चेहरों के साथ नए मंत्रिमंडल की भी मांग कर रहे हैं। लेकिन ममता डरी हुई हैं। आखिरकार, यह तृणमूल नहीं है जिसे लोग वोट देते हैं, वह ममता बनर्जी हैं। कोई आश्चर्य नहीं, उन्होंने राज्य में 2021 के विधानसभा चुनावों से पहले वोटर्स से कहा कि उन्हें यह सोचना चाहिए कि हर सीट पर ममता बनर्जी लड़ रही हैं। पार्टी आज संकट के दौर से गुजर रही है और अगले कुछ दिन बेहद महत्वपूर्ण होंगे।

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