Saturday, June 14, 2025
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GCC के रुख में बड़ा बदलाव, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर से लेकर सऊदी व UAE तक आतंक के खिलाफ भारत के साथ

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने और पाकिस्तान की आतंकी करतूतों की पोल खोलने में भारतीय सांसदों का डेलीगेशन पूरी तरह सफल साबित हो रहा है। इस प्रयास के चलते खाड़ी सहयोग परिषद के देश भी आतंक के खिलाफ जंग में भारत के साथ खड़े हो गए हैं।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : May 24, 2025 14:49 IST, Updated : May 24, 2025 16:13 IST
बहरीन पहुंचा भारतीय प्रतिनिधि मंडल।
Image Source : ANI बहरीन पहुंचा भारतीय प्रतिनिधि मंडल।

दुबई: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सांसदों का डेलीगेशन विभिन्न देशों की यात्रा पर है। भारत अपने मित्र देशों के यहां डेलीगेशन भेजकर पाकिस्तान की आतंकी करतूतों की लगातार पोल खोल रहा है। वैश्विक स्तर पर इससे पाकिस्तान की थू-थू होना शुरू हो गई है। ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान की आतंकी सोच की जानकारी साझा करने के बाद संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब से लेकर बहरीन, कुवैत व ओमान, कतर के रुख में भी व्यापक बदलाव आया है। आतंक के खिलाफ जंग में खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के इन सभी देशों ने भारत का खुलकर साथ देने का वादा किया है।

बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारत के राजदूत ने कहा है कि 2008 के मुंबई हमलों के बाद से आतंकवाद पर खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों के रुख में अब उल्लेखनीय बदलाव आना शुरू हो गया था, क्योंकि उन्हें व्यापक रूप से यह अहसास हो गया है कि आतंकवाद सभी का साझा दुश्मन है और इस खतरे से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर ने इस मुद्दे पर भारत के रुख को सामने लाने के लिए श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की देश की यात्रा की भी सराहना की। उन्होंने इस यात्रा को बहुत सफल बताया।

भारत के साथ खड़ा जीसीसी परिषद

राजदूत ने ‘ कहा, ‘‘हमारे विमर्श, हमारे दृष्टिकोण, सभी को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। यह एक स्पष्ट प्रतिक्रिया थी, यह इस तथ्य का स्पष्ट दोहराव था कि यूएई हमारा एक सच्चा रणनीतिक साझेदार, एक मित्र है, जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं।’’ सुधीर ने जीसीसी देशों - बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद की प्रतिक्रिया और मुंबई हमले के बाद की प्रतिक्रिया में आए बदलाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘‘2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के बाद स्थिति काफी अलग थी। जीसीसी देशों की प्रतिक्रिया काफी अलग थी। इस बार यह वह सभी हमारे साथ खड़े हैं। हमारा नेतृत्व यूएई, सऊदी अरब, कुवैत और कतर के साथ बहुत सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था। यह वही जीसीसी है लेकिन कुछ चीजें बदल गई हैं क्योंकि व्यापक रूप से यह अहसास हो गया है कि आतंकवाद मानवता का साझा दुश्मन है और हमें इसका मुकाबला करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।’’

यूएई ने सबसे पहले की थी आतंकी हमले की निंदा

राजदूत ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात संभवतः पहला देश था जिसने स्पष्ट बयान जारी कर पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और इसे आतंकवादी कृत्य बताया तथा सभी प्रकार के आतंकवाद को समाप्त करने का आह्वान किया। शिंदे के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान यूएई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण चर्चा की। इसने सहिष्णुता एवं सह-अस्तित्व मामलों के मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक अल नाहयान और विदेश मामलों, रक्षा एवं आंतरिक मामलों पर संघीय राष्ट्रीय परिषद समिति के अध्यक्ष अली राशिद अल नूमी समेत कई नेताओं से मुलाकात की। सुधीर ने कहा, ‘‘जिस तरह से प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया गया और हमारे दृष्टिकोण को प्रतिक्रिया मिली वह हमारी साझेदारी की मजबूती को दर्शाता है।’’ उन्होंने कहा कि यूएई की प्रतिक्रिया ने मानवता के साझा दुश्मन आतंकवाद का मुकाबला करने की उसकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।

भारत ने दुनिया को दिया बड़ा संदेश

सुधीर ने जिक्र किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को प्रायोजित करने पर पाकिस्तान को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को ऑपरेशन सिंदूर के जरिये यह संदेश दिया है कि धैर्य की भी एक सीमा होती है। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत के अग्रसक्रिय रुख का प्रमाण बताते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धैर्य की भी एक सीमा होती है। हम महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध की धरती से आते हैं लेकिन हमें कोई भी हल्के में नहीं ले सकता।’’

सुधीर ने भारत एवं यूएई के द्विपक्षीय संबंधों पर का जिक्र करते हुए विशेष रूप से व्यापार में मजबूत वृद्धि पर प्रकाश डाला जो वित्त वर्ष 2024-25 में 100 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया। यह लक्ष्य से काफी अधिक है। उन्होंने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) को एक प्रमुख पहल बताया जिसके तहत भारत और यूएई संपर्क सुविधा बढ़ाने, कागजी कार्रवाई कम करने तथा माल, डेटा और स्वच्छ ऊर्जा की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। , (भाषा)

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