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तो क्या धरती खत्म होने वाली है? दुनिया के लिए रेड अलर्ट, UN की डरावनी रिपोर्ट

पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बज रही है। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर बड़ी बात सामने आई है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल वैश्विक गर्मी के रिकॉर्ड "टूट गए" थे, 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दशक रहा।

Edited By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Mar 20, 2024 0:10 IST, Updated : Mar 20, 2024 1:38 IST
global warming report- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO ग्लोबल वार्मिंग की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को पुष्टि की और बताया है कि पिछले साल दुनिया भर में गर्मी के सारे रिकॉर्ड "टूट गए" थे। साल 2023 अबतक का सबसे गर्म दशक रहा, क्योंकि हीटवेव ने महासागरों को प्रभावित किया और ग्लेशियरों को बर्फ पिघलते चले गए। संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अपनी वार्षिक जलवायु स्थिति रिपोर्ट जारी की है जो काफी डरावनी है, जिसमें प्रारंभिक आंकड़ों की पुष्टि करते हुए संकेत दिया गया कि 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया था।डब्लूएमओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पृथ्वी की सतह के पास का औसत तापमान पिछले साल पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.45 डिग्री सेल्सियस ऊपर था और अब ये खतरनाक रूप से महत्वपूर्ण 1.5 डिग्री के करीब पहुंच गया है, जो दुनिया के लिए रेड अलर्ट यानी खतरे की घंटी है।

हमारी धरती खत्म होने की कगार पर है

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि इस रिपोर्ट में पता चलता है कि हमारी धरती अब खत्म होने की कगार पर है। तो वहीं WMO की प्रमुख एंड्रिया सेलेस्टे साउलो ने चेतावनी दी, "हम कभी भी पेरिस समझौते की 1.5C निचली सीमा के इतने करीब नहीं थे। ये काफी खतरनाक है।

एंड्रिया सेलेस्टे साउलो ने कहा, "इस रिपोर्ट को दुनिया के लिए रेड अलर्ट के रूप में देखा जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि गर्मी का रिकॉर्ड एक बार फिर टूट गया।" सौलो ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन तापमान से कहीं ज्यादा है और चिन्ता का विषय है।

विश्व  मौसम विज्ञान संगठन की चेतावनी

WMO ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी कि लगातार चले मरीन हीटवेव का "मरीन इकोसिस्टम और इसके कोरल रीफ्स पर नेगेटिव असर हुआ है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि 1950 में गर्मी बढ़ने का रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से दुनियाभर के प्रमुख ग्लेशियरों को बर्फ का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। यूएन प्रमुख गुटेरेस ने कहा कि दुनिया के पास अभी भी धरती को इससे बचाया जा सकता है लेकिन ये काम उतना आसान नहीं है।

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