
भारत को कनाडा के खिलाफ एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई है। कनाडा ने पहली बार माना है कि खालिस्तानी गुट भारत में हिंसा और आतंकवाद को फैलाने के लिए कनाडा की धरती का इस्तेमाल कर रहे हैं। कनाडा की खुफिया एजेंसी कनाडा सिक्योरिटी इंटेलीजेंस सर्विस (CSIS)ने आधिकारिक तौर पर इसे स्वीकार किया है। इस एजेंसी की रिपोर्ट में कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कुछ खास खतरों और चिंताओं के बारे में बताया गया है।
CSIS की रिपोर्ट में क्या कहा गया ?
CSIS की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि 1980 के दशक से कनाडा में खालिस्तानी उग्रवादी भारत के पंजाब में एक अलग खालिस्तान राष्ट्र बनाने के लिए हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ये उग्रवादी कनाडा को अपनी गतिविधियों का अड्डा बना रहे हैं, जहां से वे हिंसा को बढ़ावा देने, फंड जुटाने और हमलों की योजना बनाने का काम करते हैं। खालिस्तानियों की गतिविधियां कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत के हितों के लिए खतरा बनी हुई हैं। भारत को अपनी सुरक्षा के लिए कनाडा में सक्रिय इन खालिस्तानियों पर नजर रखनी पड़ रही है।
खालिस्तानी गुटों के लिए उग्रवाद शब्द का इस्तेमाल
इस रिपोर्ट की खास बात यह है कि कनाडा ने पहली बार खालिस्तानी समूहों को लिए आधिकारिक रूप से उग्रवाद शब्द का इस्तेमाल किया है। इससे पहले कनाडा की सरकार ने इस मुद्दे को बहुत हल्के तरीके से लेते थीं। लेकिन अब कनाडा की खुफिया एजेंडी की की इस स्पष्ट स्वीकारोक्ति से ये साफ हो गया है कि खालिस्तानी उग्रवादी न केवल भारत के लिए खतरा हैं, बल्कि कनाडा की अपनी सुरक्षा के लिए भी चिंता का विषय हो सकते हैं।
पूर्व पीएम ट्रडो ने क्या आरोप लगाया था?
बता दें कि कि इससे पहले वर्ष 2023 में कनाडा के तत्कालीन पीएम ट्रडो ने दावा किया था कि उनकी सरकार के पास खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के सबूत हैं। भारत ने ट्रुडे के आरोपों का खंडन करते हुए बेतुका करार दिया था साथ ही कनाडा पर यह आरोप लगाया था कि वह भारत विरोधी तत्वों को जगह दे रहा है।