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फिलिस्तीन के राष्ट्रपति से हुई PM मोदी की मुलाकात, इस्राइल पर हुई ये बेहद जरूरी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीन की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति महमूद अब्बास से शनिवार को मुलाकात की और...

Reported by: Bhasha
Published : February 10, 2018 19:25 IST
Prime Minister Narendra Modi with Palestinian President Mahmoud Abbas- India TV Hindi
Prime Minister Narendra Modi with Palestinian President Mahmoud Abbas

रमाल्ला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीन की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति महमूद अब्बास से शनिवार को मुलाकात की। इस दौरान दोनों पक्षों ने 3 करोड़ डॉलर की लागत से एक सुपर स्पेशिएल्टी अस्पताल की स्थापना समेत तकरीबन 5 करोड़ डॉलर मूल्य के समझौतों पर हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति अब्बास ने रमाल्ला स्थित राष्ट्रपति परिसर मुकाता में एक आधिकारिक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी की अगवानी की। रमाल्ला से ही फिलिस्तीनी सरकार संचालित होती है। मोदी फिलिस्तीन की आधिकारिक यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।

वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति अब्बास को आश्वासन दिया है कि भारत फिलिस्तीनी जनता के हितों के प्रति वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत को क्षेत्र में शांति लौटने की उम्मीद है। राष्ट्रपति अब्बास के साथ ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि यह उतना आसान नहीं है, लेकिन हमें प्रयास करते रहना चाहिये क्योंकि काफी कुछ दांव पर है।’ उधर, राष्ट्रपति अब्बास ने इस बात को स्वीकार किया कि भारतीय नेतृत्व हमेशा फिलिस्तीन में शांति के पक्ष में खड़ा रहा है। अब्बास ने कहा कि फिलिस्तीन स्वतंत्र देश का दर्जा पाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये बातचीत करने को हमेशा तैयार है। उन्होंने भारत से इस्राइल के साथ शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अपील की।

राष्ट्रपति अब्बास ने कहा, ‘हम अंतरराष्ट्रीय आवाज के रूप में भारत की बड़ी प्रतिष्ठा और गुटनिरपेक्ष आंदोलन और सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी ऐतिहासिक भूमिका और रणनीतिक तथा आर्थिक स्तर पर उसकी बढ़ती शक्ति को देखते हुए भारत की भूमिका पर इस तरीके से भरोसा करते हैं जो हमारे क्षेत्र में उचित और जरूरी शांति के लिये उपयुक्त हो।’ दोनों पक्षों ने 5 करोड़ डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में बीट साहूर में 3 करोड़ डॉलर की लागत से एक सुपर स्पेशिएल्टी अस्पताल की स्थापना और 50 लाख डॉलर की लागत से महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये एक केंद्र का निर्माण करना शामिल है। शिक्षा क्षेत्र में 50 लाख डॉलर के 3 समझौते और रमाल्ला में नेशनल प्रिंटिंग प्रेस के लिए उपकरण और मशीन की खरीद के लिए भी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

भारत और फिलिस्तीन के बीच संबंधों को प्रोत्साहन देने में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देते हुए राष्ट्रपति अब्बास ने प्रधानमंत्री मोदी को ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन से सम्मानित किया। ग्रैंड कॉलर विदेशी गणमान्य लोगों को दिया जाने वाला फिलिस्तीन का सर्वोच्च सम्मान है। यह सम्मान राजाओं, राज्य/सरकार प्रमुखों और उनके समान रैंक के अन्य लोगों को दिया जाता है। इससे पहले द्विपक्षीय वार्ता से पूर्व दोनों नेता गले मिले और दोनों देशों के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े रहे। उन्हें सलामी गारद पेश किया गया। कैथोलिक चर्च के आर्चबिशप पॉलोस मारकुज्जो और अल अक्सा मस्जिद के धार्मिक नेता मोदी का अभिभादन करने के लिये मुकाता पहुंचे।

मोदी जॉर्डन सेना के हेलीकॉप्टर पर सवार होकर अम्मान से सीधे रमाल्ला पहुंचे जहां फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी के हेलिकॉप्टर की सुरक्षा में इस्राइली वायु सेना के हेलिकॉप्टर तैनात थे। मोदी 3 देशों की यात्रा पर हैं। फिलिस्तीन की धरती पर कदम रखने के बाद मोदी ने कहा, ‘यह ऐतिहासिक यात्रा है जो मजबूत द्विपक्षीय सहयोग की ओर ले जाएगी।’ प्रधानमंत्री मोदी अपने समकक्ष हमदल्ला के साथ फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात के मकबरे पर गए और पुष्पचक्र चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मकबरे को 10 नवंबर, 2007 को जनता के लिए खोला गया था और यह फिलिस्तीन के राष्ट्रपति आवास परिसर के पास स्थित है। अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद मोदी मकबरे के पास स्थित अराफात संग्रहालय में भी गए।

इस्राइल की पिछले साल अपनी पहली यात्रा के दौरान मोदी रमाल्ला नहीं गए थे। उनकी पहली इस्राइल यात्रा के बाद विश्लेषक भारत-फिलिस्तीन संबंधों के भविष्य को लेकर सवाल उठाने लगे थे। इस बार मोदी इस्राइल नहीं जा रहे हैं। इसके जरिये उन्होंने साफ संदेश दिया कि भारत इस्राइल और फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग रख रहा है। मोदी की फिलिस्तीन यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जेरुसलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद क्षेत्र में तनाव के बढ़ जाने के बीच हो रही है। जेरुसलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिका के एकतरफा फैसले को संयुक्त राष्ट्र महासभा में चुनौती दी गई थी। वहां भारत समेत 128 देशों ने इस कदम को अमान्य ठहराए जाने के पक्ष में मतदान किया था।

ट्रंप के जेरुसलम को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के फैसले पर फिलिस्तीनियों ने नाराजगी जाहिर की थी। इसको लेकर पश्चिम एशिया में प्रदर्शन हुआ था और इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि इससे क्षेत्र में और अस्थिरता पैदा हो सकती है। यद्यपि भारत इस्राइल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष में पक्षकार बनने से दूर रहा है, लेकिन फिलिस्तीनी नेताओं ने कई मौके पर पश्चिम एशिया शांति प्रक्रिया में भारत की संभावित भूमिका पर जोर दिया है। भारत दो राष्ट्र के समाधान का समर्थन करता रहा है। इसके तहत इस्राइल और भावी फिलिस्तीनी राज्य का शांतिपूर्ण तरीके से सह अस्तित्व रह सकता है।

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