Sunday, May 05, 2024
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चीन या भारत? नेपाल का पीएम बनने के बाद पहले दौरे के लिए प्रचंड किसे देंगे प्राथमिकता

सबसे बड़ी बात यह कि नेपाल का लगभग पूरा कारोबार भारत पर निर्भर है। भारत यदि हाथ खींच ले तो नेपाल की इकोनॉमी डगमगा सकती है। कुल मिलाकर भारत को नजरअंदाज करना नेपाल के लिए संभव नहीं है। भले ही चीन नेपाल को कितने ही प्रलोभन क्यों न दे रहा हो।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: February 18, 2023 13:29 IST
चीन या भारत? नेपाल का पीएम बनने के बाद पहले दौरे के लिए प्रचंड किसे देंगे प्राथमिकता- India TV Hindi
Image Source : AP FILE चीन या भारत? नेपाल का पीएम बनने के बाद पहले दौरे के लिए प्रचंड किसे देंगे प्राथमिकता

India-Nepal-China: नेपाल में ऐसी परंपरा है कि कोई भी नया प्रधानंमत्री शपथ लेने के बाद पहला दौरा भारत का ही करता है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने पिछले साल दिसंबर में नेपाल की सत्ता संभाली। प्रचंड का झुकाव चीन की ओर ज्यादा है। वहीं चीन भी हाल के समय में नेपाल पर डोरे डाल रहा है। ऐसे में देखना यह है कि दिसंबर में प्रधानमंत्री बने प्रचंड अपने पहले विदेशी दौरे पर परंपरागत रूप से भारत आएंगे या चीन की यात्रा पर जाएंगे?

हालांकि सत्ता संभालने के बाद प्रचंड अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत का दौरा कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों देशों ने इस संभावना पर चर्चा की है। अधिकारियों ने कहा कि प्रचंड ने सोमवार को विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा से मुलाकात के दौरान भारत यात्रा के अपने इरादे के बारे में बताया। प्रचंड वैचारिक तौर पर चीन के करीबी माने जाते हैं, लेकिन देश की जरूरतों के लिए उन्हें भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना जरूरी है। प्रचंड ने सत्ता संभालने के बाद अपनी विदेश नीति में चीन को काफी अहमियत भी दी है। लेकिन भारत को नेपाल का कोई भी पीएम नजरअंदाज नहीं कर सकता है।

प्रचंड के पहले विदेश दौरे की तारीख का ऐलान नहीं

नेपाल सरकार द्वारा संचालित 'गोरखापत्र' अखबार के अनुसार, हालांकि उनकी यात्रा की आधिकारिक तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है। उनकी यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने तथा व्यापार, ऊर्जा, कृषि, संस्कृति और वायु सेवा जैसे मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी। प्रचंड ने पहले कहा था कि वह अपनी पहली विदेश यात्रा के रूप में भारत की यात्रा करेंगे। भारतीय दूतावास ने सोमवार को कहा था कि विदेश सचिव क्वात्रा ने प्रधानमंत्री प्रचंड से मुलाकात कर विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

पिछले दिनों नेपाल गए थे भारतीय विदेश सचिव

दूतावास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि भारत और नेपाल करीबी साझेदार रहे हैं तथा सदियों पुराने सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। विज्ञप्ति में कहा गया कि विदेश सचिव की यात्रा दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय संबंधों को प्रदर्शित करती है। क्वात्रा ने नेपाल में अपने समकक्ष नेपाली विदेश सचिव से मुलाकात की और कई मुद्दों पर बातचीत भी की।

जानिए नेपाल क्यों कभी भारत से नहीं ले सकता पंगा?

दरअसल, नेपाल के साथ भारत का रोटी और बेटी का संबंध है। ऐसे में सांस्कृतिक रूप से नेपाल और भारत के रिश्तों में पारंपरिक करीबी है। वहीं दूसरा, नेपाल के लगभग सभी युवा नौकरी के लिए भारत आते हैं। भारत में उन्हें रोजगार मिलता है। नेपाल का अपना कोई बंदरगाह नहीं है, चूंकि वह लैंडलॉक देश है। ऐसे में उसे भारत की जरूरत हमेशा रहती है। 

सबसे बड़ी बात यह कि भारत के साथ उसका पूरा कारोबार होता है। भारत यदि हाथ खींच ले तो नेपाल की इकोनॉमी डगमगा सकती है। कुल मिलाकर भारत को नजरअंदाज करना नेपाल के लिए संभव नहीं है। भले ही चीन नेपाल को कितने ही प्रलोभन क्यों न दे रहा हो। 

रेल लाइन बिछाने से लेकर, इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने तक हर संभव मदद चीन कर रहा है। लेकिन नेपाल को श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कटु अनुभव से यह सबक पता है कि चीन कर्ज का जाल बुनता है और उसमें छोटे देशों को फांस लेता है। ऐसे में नेपाल भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकता है।

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