Monday, April 29, 2024
Advertisement

COP-27 में विकासशील देशों का अगुवा बना भारत, विकसित देशों को कार्बन उत्सर्जन पर दिखाया आइना

India @ COP-27: मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ‘शमन कार्य कार्यक्रम’ (मिटिगेशन वर्क प्रोग्राम या एमडब्ल्यूपी) पर चर्चा के दौरान भारत विकासशील देशों के अगुवा के तौर पर अपनी भूमिका निभाई। भारत ने कार्बन उत्सर्जन के लिए विकासशील देशों को जिम्मेदार ठहराने की विकसित देशों की योजना पर पानी फेर दिया।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: November 14, 2022 9:39 IST
मिस्र में cop-27 की एक तस्वीर- India TV Hindi
Image Source : AP मिस्र में cop-27 की एक तस्वीर

India @ COP-27: मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ‘शमन कार्य कार्यक्रम’ (मिटिगेशन वर्क प्रोग्राम या एमडब्ल्यूपी) पर चर्चा के दौरान भारत विकासशील देशों के अगुवा के तौर पर अपनी भूमिका निभाई। भारत ने कार्बन उत्सर्जन के लिए विकासशील देशों को जिम्मेदार ठहराने की विकसित देशों की योजना पर पानी फेर दिया। भारत के इस प्रयास से समान विचारधारा वाले चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका, नेपाल व भूटान जैसे देश भी खुश नजर आए।

दरअसल विकसित देश कॉप-27 में कार्बन डाइऑक्साइड के शीर्ष 20 उत्सर्जकों पर ध्यान केंद्रित करना चाह रहे थे, लेकिन भारत ने उनके इन प्रयासों को अवरुद्ध कर दिया। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विकसित देश चाहते थे कि जलवायु वार्ता के पहले सप्ताह के दौरान भारत और चीन सहित सभी शीर्ष 20 उत्सर्जक देश सिर्फ जलवायु परिवर्तन के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार अमीर देशों के बारे में चर्चा न करें, बल्कि वे कार्बन उत्सर्जन में भारी कटौती के मुद्दे पर भी बात करें।

भारत को भी विकसित देशों ने माना है कार्बन का उत्सर्जक

विकसित देशों ने शीर्ष कार्बन उत्सर्जक 20 देशों की सूची तैयार की है। इन शीर्ष 20 उत्सर्जक देशों की सूची में भारत सहित कई विकासशील देश शामिल हैं, जिन्हें ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। सूत्रों के अनुसार, भारत ने चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और भूटान सहित समान विचारधारा वाले विकासशील देशों के समर्थन से इस प्रयास को बाधित कर दिया। भारत और अन्य विकासशील देशों ने कहा, ‘‘एमडब्ल्यूपी को पेरिस समझौते को फिर से शुरू करने का नेतृत्व नहीं करना चाहिए’’, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि देशों की जलवायु प्रतिबद्धताओं को परिस्थितियों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित किया जाना है।

कॉप-27 में 2030 तक 45 फीसदी कार्बन उत्सर्जन में कमी पर बनी थी सहमति
पिछले साल ग्लासगो में सीओप-26 में सभी पक्षों ने स्वीकार किया था कि 2030 तक वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कमी (2010 के स्तर की तुलना में) वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए जरूरी है। इसलिए वे ‘‘शमन, महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन को तत्काल बढ़ाने’’ के लिए एक ‘शमन कार्यक्रम’ बनाने पर सहमत हुए। शमन का अर्थ है उत्सर्जन को कम करना, महत्वाकांक्षा का अर्थ है मजबूत लक्ष्य निर्धारित करना और कार्यान्वयन का अर्थ है नए और मौजूदा लक्ष्यों को पूरा करना। सीओपी-27 में विकासशील देशों ने चिंता व्यक्त की कि एमडब्ल्यूपी के माध्यम से विकसित देश उन्हें वित्तीय और प्रौद्योगिकी संबंधी मदद बढ़ाए बिना अपने जलवायु लक्ष्यों को संशोधित करने के लिए कहेंगे। भारत ने सीओपी-27 से पहले कहा था कि एमडब्ल्यूपी को पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित ‘‘लक्ष्यों को बदलने’’ की अनुमति नहीं दी जा सकती।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement