Friday, April 26, 2024
Advertisement

इंडो​नेशिया बदलेगा अपनी राजधानी, जानिए क्या हैं वजह

जकार्ता। इंडोनेशिया सरकार राजधानी जकार्ता में आबादी और प्रदूषण बढ़ने, भूकंप की आशंकाओं और इसके तेजी से जावा सागर में डूबने के मद्देनजर राजधानी को बोर्नेओ द्वीप में स्थानांतरित करने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रपति जोको विदोदो का मानना है कि नई राजधानी के निर्माण से जकार्ता में उत्पन्न समस्याएं कम होंगी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 27, 2022 15:04 IST
Indonesia- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK Indonesia

जकार्ता। इंडोनेशिया सरकार राजधानी जकार्ता में आबादी और प्रदूषण बढ़ने, भूकंप की आशंकाओं और इसके तेजी से जावा सागर में डूबने के मद्देनजर राजधानी को बोर्नेओ द्वीप में स्थानांतरित करने की तैयारी कर रही है। राष्ट्रपति जोको विदोदो का मानना है कि नई राजधानी के निर्माण से जकार्ता में उत्पन्न समस्याएं कम होंगी। इसकी आबादी में कमी आएगी और देश की परिवहन व्यवस्था में सुधार होगा, जिससे पर्यावरण बेहतर होगा। विदोदो ने पिछले सप्ताह इस योजना को संसद की मंजूरी मिलने से पहले कहा था कि नई राजधानी बनने से केवल सरकारी कार्यालयों का स्थान नहीं बदलेगा, बल्कि इसका मुख्य लक्ष्य एक नए स्मार्ट शहर का निर्माण करना है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में शामिल हो। 

राजधानी बदलने के क्या हैं कारण

-इंडोनेशिया 17 हजार से अधिक द्वीपों का एक द्वीपसमूह राष्ट्र है, लेकिन फिलहाल देश की 27 करोड़ से अधिक आबादी में से 54 प्रतिशत आबादी देश के सबसे घनी आबादी वाले जावा द्वीप में रहती है, जहां जकार्ता स्थित है।केवल जकार्ता की आबादी ही करीब एक करोड़ है।माना जाता है कि जकार्ता शहर तेजी से डूब रहा है। मौजूदा अनुमान के अनुसार 2050 तक शहर का एक-तिहाई हिस्सा डूब सकता है। इसका सबसे मुख्य कारण अनियंत्रित तरीके से जल निकासी माना जाता है। इसके अलावा शहर में वायु और भूजल बहुत बुरी तरह प्रदूषित है और यहां बाढ़ आना आम बात है, जिससे हर साल अर्थव्यवस्था को 4.5 अरब डॉलर का नुकसान होता है। 

ये नुकसान भी हो सकता है
बोर्नेओ को राजधानी बनाने से इसके पूर्वी कालीमंतन प्रांत में पर्यावरण को नुकसान होने की आशंका है। 2 लाख 56 हजार हेक्टेयर में फैले कालीमंतन में बड़ी संख्या में वन्यजीव रहते हैं। इसके अलावा महामारी के दौरान इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 34 अरब डॉलर खर्च किए जाने को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। पर्यावरण समूह 'डब्ल्यूएएलएचआई' की अधिकारी ड्वी सैवंग ने कहा कि नए राजधानी शहर के रणनीतिक पर्यावरणीय अध्ययन से पता चलता है कि इस संबंध में तीन बुनियादी समस्याएं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जल प्रणाली को नुकसान होने और जलवायु परिवर्तन का खतरा है। इसके अलावा हरित क्षेत्र को नुकसान और प्रदूषण का खतरा और पर्यावरणीय नुकसान होने की आशंका है। जकार्ता से राजधानी को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया साल 2045 तक पूरी होने की उम्मीद है। 

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement