Saturday, April 27, 2024
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Tiananmen Massacre: चीन में आज ही के दिन हुआ था थ्याननमेन नरसंहार, टैंकों से कुचल दिए गए थे हजारों छात्र

साल 1989 का है जब थ्याननमेन स्क्वॉयर पर प्रदर्शन कर रहे हजारों छात्रों पर चीनी सेना और सरकार ने बर्बरता की और इस नरसंहार में हजारों छात्रों की जान चली गई।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai
Published on: June 04, 2023 17:13 IST
Tiananmen Massacre took place on 4th june in China thousands of students were crushed by tanks- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO आज ही के दिन चीन में मारे गए थे हजारों छात्र

4 जून की तरीख इतिहास के पन्नों में चीन के लिए काले दिन के रूप में दर्ज है। चीन की तनाशाही कम्युनिष्ट सरकार इस दिन को इतिहास के पन्ने से मिटाने का हर संभव प्रयास कर रही है। इस नरसंहार को आज 34 साल बीत चुके हैं। चीन की नई पीढ़ी इस थ्याननमेन नरसंहार के बारे में न जान सके इसलिए चीनी सरकार नरसंहार से जुड़ी सारी किताबों और इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों को मिटाने में जुटी हुई है। मामला साल 1989 का है जब थ्याननमेन स्क्वॉयर पर प्रदर्शन कर रहे हजारों छात्रों पर चीनी सेना और सरकार ने बर्बरता की और इस नरसंहार में हजारों छात्रों की जान चली गई। 

क्या है थ्याननमेन नरसंहार

साल 1989 में कुछ छात्रों ने बीजिंग और दूसरे शहर में लोकतंत्र की मांग करते हुए आवाज उठाई। देखते ही देखते हजारों लोग इस विरोध प्रदर्शन के साथ जुड़ गए। सरकार द्वारा विरोध प्रदर्शन न करने की चेतावनी भी दी गई। ऐसे में बीजिंग में मौजूद थ्याननमेन चौराहे पर एक लाख लोग जुट गए। हालांकि बाद में यह संख्या बढ़कर लाखों में पहुंच गई। प्रदर्शनकारियों की मांग को चीन की कम्युनिष्ट सरकार ने खारिज कर दिया। जिसके जवाब में छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। 20 मई को बीजिंग में मार्शल लॉ को लागू कर दिया गया। इसके बाद तीन जून को जब हजारों चीनी सैनिक थ्याननमेन की तरफ बढ़ रहे थे तो उन्हें छात्रों ने रोक दिया। 

हजारों छात्रों की मौत

अगले दिन चार जून की सुबह 5 बजे सैकड़ों की संख्या में टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां थ्याननमेन पर पहुंची और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हमला बोल दिया। इस दौरान हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी छात्रों पर निशाना साधा किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छात्रों पर गोलियां चलाई गईं और उनको टैंक का निशाना बना दिया गया। इस नरसंहार में हजारों की संख्या में चीनी छात्र मारे गए थे। चीन की कम्युनष्ट पार्टी ने लोकतंत्र की इस आवाज को क्रूरत पूर्वक दबा दिया और अब इसके इतिहास को भी मिटाने का प्रयास कर रही है। 

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