China Planet-Wide Defence System: रक्षा के क्षेत्र में चीन ने बड़ा कदम बढ़ाया है। चीन अपनी तरह की पहली मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है जिसकी पहुंच दुनिया भर में है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह वैश्विक रक्षा प्रणाली, जिसे "Distributed Early Warning Detection Big Data Platform" कहा जा रह है, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित अमेरिका के गोल्डन डोम प्रोजेक्ट के समान है। रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रणाली अभी विकास के शुरुआती चरण में है और दुनिया में कहीं से भी चीन पर दागी गई एक हजार मिसाइलों पर एक साथ नजर रख सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने देखा था सपना
वर्ष 1983 था, संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ शीत युद्ध हुए थे। मिसाइल लांचर तैनात थे और पनडुब्बियां एक-दूसरे पर नजर रख रही थीं। इस दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने "स्टार वार्स" नाम से 'रणनीतिक रक्षा पहल' की घोषणा की। 23 मार्च, 1983 को अमेरिकी लोगों को संबोधित करते हुए, रीगन ने कहा था, "एक ऐसी प्रणाली की कल्पना कीजिए जो अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को हमारे तटों तक पहुंचने से पहले ही रोक दें और नष्ट कर सके। एक ऐसी प्रणाली की कल्पना कीजिए जो हमारे शहरों और हमारे लोगों को परमाणु हमले से बचा सके।" इस ऐतिहासिक भाषण के 8 साल बाद, 1991 में सोवियत संघ का पतन हो गया और रीगन का "स्टार वार्स" का विजन कभी साकार रूप नहीं ले सका।
रीगन ने सपने को ट्रंप ने आगे बढ़ाया
अब सालों बाद, अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वहीं से शुरुआत की जहां रीगन ने छोड़ा था। मई 2025 में, ट्रंप ने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बहुस्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे 'गोल्डन डोम' मिसाइल शील्ड कहा गया। मीडिया में आई खबरों को मुताबिक, गोल्डन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली की अनुमानित लागत 175 अरब डॉलर होगी और इसमें चार लेयर्स होंगी- एक उपग्रह-आधारित और तीन जमीन पर - इसमें 11 छोटी दूरी की बैटरियां होंगी जो पूरे अमेरिका, अलास्का और हवाई में स्थित होंगी।
चीन ने कर ली बड़ी तैयारी
ये तो रही अमेरिका की बात अब जरा चीन पर भी नजर डाल लेते हैं। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के वैज्ञानिकों ने अपनी रक्षा प्रणाली का एक प्रोटोटाइप तैयार किया है। यह प्रणाली कथित तौर पर संभावित खतरों की पहचान और विश्लेषण के लिए अंतरिक्ष, समुद्र, हवा और जमीन पर विभिन्न सेंसरों का उपयोग करती है। यह कथित तौर पर दुनिया भर में पहुंच बनाने वाली पहली मिसाइल रक्षा प्रणाली है।
चीन ने किए अहम परीक्षण
चीन के रक्षा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियरिंग के सबसे बड़े अनुसंधान एवं विकास केंद्र, नानजिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने 2 सितंबर को चीनी पत्रिका, मॉडर्न रडार में प्रकाशित एक शोधपत्र में कहा, "यह प्रोटोटाइप प्रणाली विभिन्न नोड्स में 1,000 तक डेटा प्रोसेसिंग कार्यों की वितरित समानांतर शेड्यूलिंग कर सकती है। वर्तमान में, इस प्रोटोटाइप प्रणाली का परीक्षण कई प्रारंभिक चेतावनी और पहचान प्रणाली नोड्स पर किया जा चुका है, जिससे कई तरह के डेटा का विश्लेषण संभव हुआ है।"
अमेरिका से आगे निकला चीन
इस बीच, अमेरिकी गोल्डन डोम कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य भूमि, समुद्र, वायु और अंतरिक्ष में फैला एक एकीकृत, एआई-सक्षम मिसाइल रक्षा नेटवर्क बनाना है, अभी तक एक स्पष्ट तकनीकी संरचना स्थापित नहीं कर पाया है। साफ है कि इस मामले में चीन अमेरिका से आगे निकल गया है।
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