
हंगरी की संसद ने एक बड़ा संविधान संशोधन पारित किया है। इस संशोधन के अनुसार अब सरकार को हंगरी में LGBTQ+ समुदाय के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति मिल गई है। इस संशोधन के लिए संसद में वोटिंग हुई जिसमें संशोधन के पक्ष में 140 और विपक्ष में 21 वोट पड़े। बता दें कि इस संशोधन का प्रस्ताव देश प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ फ़ाइड्ज़-केडीएनपी गठबंधन ने किया था।
वोटिंग से पहले हुआ विरोध प्रदर्शन
LGBTQ+ समुदाय के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने वाले संशोधन को LGBTQ+ के अधिकारों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इस संशोधन पर वोटिंग से पहले विपक्षी राजनेताओं और अन्य प्रदर्शनकारियों ने सत्ता दल के सांसदों को घुसने से रोकने के लिए संसद के पार्किंग गैरेज के एंट्री गेट को बंद करने की भी कोशिश की थी। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को रास्ते से हटाना पड़ा है।
संविधान संशोधन में क्या है नियम?
संसद में पारित किया गया संविधान संशोधन LGBTQ+ के सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाएगा। इसमें चर्चित प्राइड इवेंट भी शामिल है। ये इवेंट हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हर साल हज़ारों लोगों का ध्यान खींचता है। संशोधन ये कहता है कि यह संशोधन हंगरी के संविधान में 15वां संशोधन है।
हंगरी की संसद में पारित संविधान संशोधन में घोषणा की गई है कि बच्चों के नैतिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास के अधिकार जीवन के अधिकार के अलावा किसी भी अन्य मौलिक अधिकार से ऊपर हैं। ये शांतिपूर्वक इकट्ठा होने के अधिकार से भी ऊपर है। संविधान संशोधन में ये भी बताया गया है कि गैर-यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र के देश में दोहरी नागरिकता रखने वाले हंगरी के लोगों को सार्वजनिक व्यवस्था, सार्वजनिक सुरक्षा या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है तो उनकी नागरिकता निलंबित कर दी जाएगी।
नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान
संविधान संशोधन के मुताबिक, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए समलैंगिकता के प्रचार को प्रतिबंधित करने वाले बाल संरक्षण कानून का उल्लंघन करने वाले कार्यक्रमों को आयोजित करना या उनमें भाग लेना अपराध होगा। नए कानून के मुताबिक, नियम का उल्लंघन करने वालों के ऊपर 200,000 हंगेरियन फ़ोरिंट ($546) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। (इनपुट: PTI)
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