Tuesday, April 23, 2024
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2 महीने पहले सूअर का दिल लगवाने वाले शख्स की मौत, डॉक्टरों ने कही ये बात

पिछले महीने अस्पताल ने उनका एक वीडियो जारी किया था जिसमें वह अस्पताल के बिस्तर से फुटबॉल का मैच देख रहे थे।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 09, 2022 22:02 IST
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Image Source : AP In this photo provided by the University of Maryland School of Medicine, David Bennett Jr., right, stands next to his father's hospital bed in Baltimore.

Highlights

  • 2 महीने पहले एक अभूतपूर्व प्रयोग के तहत जिस व्यक्ति को सूअर का हृदय लगाया गया था, उसकी मौत हो गयी है।
  • डेविड बेनेट नाम के शख्स की मंगलवार को यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर में मृत्यु हो गयी।
  • बेनेट के बेटे ने कहा था कि उसके पिता जानते हैं कि इस प्रयोग के सफल रहने की कोई गारंटी नहीं है।

बाल्टीमोर: करीब 2 महीने पहले एक अभूतपूर्व प्रयोग के तहत अमेरिका में जिस व्यक्ति को सूअर का हृदय लगाया गया था, उसकी मौत हो गयी है। सर्जरी करने वाले मैरीलैंड अस्पताल ने बुधवार को यह घोषणा की। डेविड बेनेट (57) की मंगलवार को यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर में मृत्यु हो गयी। डॉक्टरों ने उसकी मौत की वजह तो नहीं बताई है, लेकिन कहा कि कई दिन पहले उसकी हालत बिगड़नी शुरू हो गयी थी। बेनेट के बेटे ने इस नयी तरह के प्रयोग के लिए अस्पताल की तारीफ की थी और कहा था कि परिवार को उम्मीद है कि इससे अंगों की कमी को दूर करने के प्रयासों में मदद मिलेगी।

पिछले महीने अस्पताल ने जारी किया था वीडियो

बेनेट की सर्जरी लगभग 2 महीने पहले 7 जनवरी को हुई थी जिसके बाद उसके बेटे ने कहा था कि उसके पिता जानते हैं कि इस प्रयोग के सफल रहने की कोई गारंटी नहीं है। शुरू में बेनेट के शरीर में सूअर का हृदय काम कर रहा था और मैरीलैंड अस्पताल ने समय-समय पर ताजा जानकारी दी कि बेनेट धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं। पिछले महीने अस्पताल ने उनका एक वीडियो जारी किया था जिसमें वह अपने फिजिकल थेरेपिस्ट के साथ काम करते हुए अस्पताल के बिस्तर से फुटबॉल का मैच देख रहे हैं।

‘इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं था’
‘यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर’ के डॉक्टरों ने प्रत्यर्पण के बाद कहा था कि यह ट्रांसप्लांट दिखाता है कि जेनेटिक बदलाव के साथ जानवर का हृदय तत्काल अस्वीकृति के लक्षण दिखाए बिना मानव शरीर में कार्य कर सकता है। मरीज डेविड बेनेट (57) के बेटे ने बताया कि डेविड को पता था कि इस प्रयोग के सफल होने की कोई गारंटी नहीं थी, लेकिन वह मरणासन्न अवस्था में थे, वह मनुष्य के हृदय के प्रतिरोपण के योग्य नहीं थे और उनके पास कोई और विकल्प नहीं था।

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