
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच मीटिंग के लिए आमंत्रित किया और कहा कि इस बैठक का उद्देश्य उन्हें "युद्ध में शामिल न होने" के लिए धन्यवाद देना था। यह बैठक उस समय हुई जब ईरान और इज़रायल के बीच तनाव तेजी से बढ़ रहा है और ट्रंप अमेरिका की संभावित भूमिका पर विचार कर रहे हैं।
ट्रंप ने असीम मुनीर के बारे में क्या कहा?
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या बैठक में मुनीर से ईरान पर भी चर्चा हुई, तो उन्होंने कहा: "उन्हें (मुनीर को) ईरान के बारे में बहुत कुछ पता है, शायद दूसरों से भी ज्यादा। वे हालात से खुश नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि वे इज़रायल के खिलाफ हैं, वे दोनों को जानते हैं, लेकिन शायद ईरान को ज्यादा करीब से जानते हैं और उन्होंने मेरी बात से सहमति जताई।"
भारत-पाक युद्ध पर ट्रंप का बयान
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के "दो बहुत समझदार नेताओं" ने यह फैसला किया कि युद्ध को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा, जो कि परमाणु टकराव में बदल सकता था। इस बार ट्रंप ने पहली बार यह दावा नहीं किया कि युद्ध को रोकने का श्रेय उन्हें जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर और ट्रंप की चुप्पी
यह पहली बार है जब ट्रंप ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर और फिर 10 मई को युद्धविराम के बाद खुद को शांति दूत न बताया हो। पहले वह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करवाया और दोनों से कहा कि यदि वे युद्ध रोकते हैं, तो अमेरिका उनके साथ व्यापार बढ़ाएगा।
पीएम मोदी ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को किया खारिज
इस लंच मीटिंग से एक दिन पहले, G7 शिखर सम्मेलन के दौरान ट्रंप और पीएम मोदी की मुलाकात निर्धारित थी, लेकिन ट्रंप पहले ही वॉशिंगटन लौट गए। हालांकि, कनाडा के कनानास्किस से लौटने से पहले पीएम मोदी ने ट्रंप से 35 मिनट की फोन पर बातचीत की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किसी भी स्तर पर अमेरिका से व्यापार या मध्यस्थता की कोई बात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने पर सीधी बातचीत दोनों देशों की सेनाओं के मौजूदा संवाद चैनल के जरिए हुई, और इसकी पहल इस्लामाबाद की ओर से की गई थी। पीएम मोदी ने दो टूक कहा कि भारत कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा, और इस मुद्दे पर भारत में पूर्ण राजनीतिक सहमति है।