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Bihar Politics: रामगोपाल बोले- BJP के प्रति जनता की हताशा का संकेत है बिहार का राजनीतिक घटनाक्रम

Bihar Politics: रामगोपाल यादव ने कहा, ‘‘बिहार ही नहीं, जहां-जहां भी भाजपा की सरकार है, वहां के लोग उससे हताश और निराश हो चुके हैं। बिहार में बेहतरी के लिए बदलाव हुआ है और इस परिवर्तन का दूरगामी असर होता है।’’

Edited By: Khushbu Rawal
Published : Aug 10, 2022 11:15 pm IST, Updated : Aug 10, 2022 11:31 pm IST
Ram Gopal Yadav- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Ram Gopal Yadav

Highlights

  • नीतीश कुमार आज 8वीं बार बिहार के सीएम बने
  • बिहार में बेहतरी के लिए बदलाव हुआ है- रामगोपाल
  • भाजपा का हर काम संदिग्ध है- रामगोपाल यादव

Bihar Politics: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) ने बुधवार को कहा कि बिहार में JDU और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) गठबंधन की नई सरकार का गठन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रति लोगों की हताशा का संकेत है। यादव ने बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘बिहार में जेडीयू का भाजपा का साथ छोड़कर राजद से गठबंधन कर सरकार बनाना इस बात का संकेत है कि लोग भाजपा से हताश हो चुके हैं।"

'बिहार में बेहतरी के लिए बदलाव हुआ'

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार ही नहीं, जहां-जहां भी भाजपा की सरकार है, वहां के लोग उससे हताश और निराश हो चुके हैं। बिहार में बेहतरी के लिए बदलाव हुआ है और इस परिवर्तन का दूरगामी असर होता है।’’ भाजपा सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा, ‘‘भाजपा का हर काम संदिग्ध है। जिन लोगों ने आजादी के बाद लंबे समय तक कभी अपने यहां तिरंगा नहीं फहराया, वे अब हर घर में राष्ट्रीय ध्वज लगाने की बात कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तिरंगा फहराना अच्छी बात है लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तिरंगे को कभी राष्ट्रीय ध्वज नहीं माना, जबकि हमारा झंडा हमारी अस्मिता, सम्मान और गौरव का प्रतीक है।’’

जब भी दो राजनीतिक ताकतों ने हाथ मिलाया तो जीत गए चुनाव
वहीं, आपको बता दें कि 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सरकार एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गई है। भाजपा के लिए, यह राज्य में लोकसभा चुनावों की एक अकेली यात्रा हो सकती है। वहीं जेडीयू और राजद जैसी पार्टियों को राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिल गया है। बिहार का इतिहास देखें तो जब भी दो राजनीतिक ताकतों ने हाथ मिलाया तो चुनाव जीत गए। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव इसके उदाहरण थे। इस बार भी जब देश में बीजेपी को भारी सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है और दो राजनीतिक ताकतों ने हाथ मिला लिया है, तो बीजेपी के लिए मुश्किल होगी।

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