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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने फिर हिंदुओं को किया बदनाम! बीजेपी ने मांझी को दिया करारा जवाब

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हमेशा हिंदुओं के खिलाफ बयान देते आ रहे हैं। अब फिर हिंदुओंके भावनाओं को ठेस पहुंचान का काम किया है। बीजेपी ने जीतन राम मांझी के बयान पर पलटवार किया है।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Nov 05, 2022 07:19 pm IST, Updated : Nov 05, 2022 07:22 pm IST
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी- India TV Hindi
Image Source : PTI पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को दावा किया कि हिंदू समाज दलितों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता है,विशेष रूप से पुरोहित वर्ग उन्हें अछूत मानता है। उनके इस बयान से एक नया विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उन पर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। जीतन राम मांझी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के मुखिया हैं जो राज्य में सत्ताधारी महागठबंधन के हिस्सेदार हैं।

मांझी का दावें क्या हैं?

मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीटों पर उपचुनाव खत्म हुआ है, जिसका रिजल्ट 6 तारीख को आने वाला है। इसी संदर्भ में बात करते हुए माझी ने विवादित बयान दिया है। इन दोनों सीट पर उपचुनाव के परिणाम रविवार को घोषित किये जाएंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि दोनों सीटों पर दलितों ने बड़ी संख्या में सात दलों के महागठबंधन के पक्ष में मतदान किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल-यूनाइटेड (JDU) के साथ एकजुटता दिखाते हुए महागठबंधन में शामिल हुए थे। वही जेडीयू ने इसी साल बीजेपी से खुद को अलग कर लिया था। 

विवादित बयान क्या है?
पत्रकारों के सवालों पर पुछे जाने पर जीतन राम मांझी ने कहा कि ‘हिंदुत्व कार्ड’ खेलकर दलित वोटों में सेंध लगाने में कामयाब रही है। उन्होंने आगे कहा कि ‘‘मैं दलितों से कहता रहा हूं कि आप खुद को हिंदू समझते हैं लेकिन पिछले 75 सालों से आपको गुलाम समझकर व्यवहार किया गया। पुरोहित वर्ग आपके घर पर अनुष्ठान करने के प्रति अनिच्छुक रहा है और यदि अनुष्ठान कर भी देते हैं तो आपका दिया गया भोजन स्वीकार नहीं करते। हालांकि बहुत से ऐसे ब्राह्मण हैं जो मांस-मदिरा का सेवन करते हैं।’’ खुद को आंबेडकर का अनुयायी बताने वाले मांझी इस तरह के बयान कई बार दे चुके हैं।

भाजपा ने किया पलटवार 
इस बीच भाजपा की बिहार इकाई के प्रवक्ता एवं ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा कि जीतन राम मांझी एक सम्मानित और बुजुर्ग नेता हैं और उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए जिससे हिंदुओं का अपमान हो और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचे। आनंद ने कहा, ‘‘यदि मांझी खुद को हिंदू नहीं समझते तो उन्हें अपनी धार्मिक पहचान स्पष्ट करनी चाहिए। यदि तिलक लगाने से उन्हें परेशानी होती है, तो क्या वह सिर पर टोपी लगाना चाहते हैं।’’ भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता राम सागर सिंह और अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि मांझी को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।

मांझी की पार्टी के मुख्य प्रवक्ता दानिश रिजवान ने भाजपा पर पलटवार किया। रिजवान ने चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल न्यायपालिका में आरक्षण देने समेत शीर्ष नौकरशाही में दलितों को अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए करके दिखाए। 

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