Tuesday, April 23, 2024
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कांग्रेस के नए प्रभारी भक्त चरण दास के लिए आसान नहीं बिहार की राह!

गुजरात के राज्यसभा सांसद रहे शक्ति सिंह गोहिल की जगह पर बिहार प्रभारी बनाए गए ओडिशा के भक्त चरण दास पार्टी के हाईकमान के विश्वास पर कितना खरे उतरेंगे यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि दास के लिए बिहार की डगर आसान नहीं होने वाली है। उनके सामने बिहार में कई चुनौतियां होंगी।

IANS Reported by: IANS
Published on: January 07, 2021 13:46 IST
कांग्रेस के नए...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO कांग्रेस के नए प्रभारी भक्त चरण दास के लिए आसान नहीं बिहार की राह!

पटना: कांग्रेस ने बिहार प्रभारी के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे भक्त चरण दास को मनोनीत कर दिया है। गुजरात के राज्यसभा सांसद रहे शक्ति सिंह गोहिल की जगह पर बिहार प्रभारी बनाए गए ओडिशा के भक्त चरण दास पार्टी के हाईकमान के विश्वास पर कितना खरे उतरेंगे यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि दास के लिए बिहार की डगर आसान नहीं होने वाली है। उनके सामने बिहार में कई चुनौतियां होंगी।

बिहार में कांग्रेस काफी सालों से एक 'संजीवनी' की तलाश कर रही है, जिसके जरिए प्रदेश में पार्टी को मजबूत किया जा सके। 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 27 सीटें जीतकर अपनी मजबूती का दावा भी पेश किया था, लेकिन पांच साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 19 सीटें ही जीत सकी। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होकर राज्य के 243 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसके मात्र 19 प्रत्याशी ही विजयी हो सके।

चुनाव के बाद कांग्रेस में ही गुटबाजी प्रारंभ हो गई। कांग्रेस के कई नेता अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर टिकट बेचने तक का आरोप लगा रहे हैं। पूर्व विधायक भरत सिंह ने तो 11 विधायकों के टूटने का दावा तक करते हुए कहा कि इस बार कांग्रेस के टिकट से 19 विधायक जीते हैं लेकिन इनमें 11 विधायक ऐसे हैं जो भले ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन वो कांग्रेस के नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इन लोगों ने पैसे देकर टिकट खरीदे और विधायक बन गए।

ऐसे में नए बिहार प्रभारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठन को एकजुट करने की होगी। विधानसभा चुनाव में बड़ी पराजय झेलने के बाद पार्टी हताशा और निराशा की कगार पर पहुंच चुकी है। ऐसे में दास के सामने नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस हताशा और निराशा के दौर से बाहर लाने की चुनौती होगी। इसके अलावा बिहार में कांग्रेस का संगठन राजद और भाजपा के मुकाबले काफी कमजोर माना जाता है। कहा तो यहां तक जाता है कि पार्टी के कार्यक्रमों में भी कांग्रेस के सभी विधायक और वरिष्ठ नेता पार्टी कार्यालय नहीं पहुंच पाते।

पिछले दिनों पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भी कांग्रेस के अधिकांश विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता पार्टी कार्यालय नहीं पहुंच सके। कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कह कि बिहार में कांग्रेस को पुरानी पटरी पर लाने के लिए आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। केवल बिहार प्रभारी बदलने से कुछ नहीं होगा।

इधर, कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस में राजद को लेकर भी दो गुट बने हुए हैं। एक गुट जहां राजद के साथ रहने की वकालत करता है, वहीं दूसरा गुट राजद को छोड़कर पार्टी को अकेले राजनीति करने की सलाह देता है। ऐसे में नए प्रभारी को महागठबंधन में शामिल दलों के साथ समंजस्य बनाना और पार्टी के अंदर ऐसे लोगों से निपटने की मुख्य चुनौती होगी।

बहरहाल, नए बिहार प्रभारी भक्त चरण दास के लिए बिहार में राह आसान नहीं हैं। इन्हें कांग्रेस के अंदर और बाहर कई चुनौतियों से निपटना होगा, तभी बिहार में कांग्रेस अपने पुराने दिनों में लौट पाएगी।

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