Wednesday, December 11, 2024
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NMC ने एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए जारी की जरूरी दिशानिर्देश, इसी सेशन से होगा लागू

NMC ने एमबीबीएस करने जा रहे छात्रों के लिए एक बेहद जरूरी दिशानिर्देश जारी किए हैं। साथ ही यह दिशानिर्देश NMC इसी सेशन से लागू भी कर रहा है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Sep 02, 2024 21:07 IST, Updated : Sep 02, 2024 21:07 IST
NMC - India TV Hindi
Image Source : NMC NMC ने एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए जारी की जरूरी दिशानिर्देश

नेशनल मेडिकल कमीशन, एनएमसी ने एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए एक जरूरी दिशा निर्देश जारी किया है।  एनएमसी ने योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा (सीबीएमई) पाठ्यक्रम के लिए नए दिशानिर्देशों का एक सेट जारी किया है, जिसे इसी 2024-25 शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाएगा। ऐसे में छात्रों के लिए ये दिशा निर्देश जानना बेहद जरूरी है।

क्या कहा गया नोटिस में?

आधिकारिक नोटिस में कहा गया है कि “अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड ने एक्सपर्ट्स के गुप्स के साथ विचार-विमर्श के बाद और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 द्वारा मिली शक्तियों के प्रयोग में, विशेष रूप से एनएमसी अधिनियम की धारा 10, 24, 25 और 57 द्वारा, सीबीएमई दक्षता खंड- I, II और III के साथ-साथ योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा दिशानिर्देश, 2024 जारी किया है।” नए सीबीएमई दिशानिर्देशों का उद्देश्य नेशनल और इंटरनेशन दोनों परिदृश्य में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चिकित्सा शिक्षा में बदलाव लाना है।

क्या है CBME करिकुलम 2024?

एनएमसी के अनुसार, नए दिशानिर्देशों का जोर 2019 में इसकी स्थापना के बाद से पिछले 5 वर्षों में सीबीएमई के फीडबैक और अनुभव के आधार पर चिकित्सा शिक्षा की निरंतरता और विकास पर है। इसका उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा को अधिक शिक्षार्थी-केंद्रित, रोगी-केंद्रित, लिंग-संवेदनशील, परिणाम-उन्मुख और पर्यावरण-उपयुक्त बनाना है, जिससे यह वैश्विक रुझानों के अनुरूप हो।

सीबीएमई करिकुलम के माध्यम से, देश में एक "इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट" (IMG) तैयार करना है, जिसके पास अपेक्षित नॉलेज, स्किल, दृष्टिकोण, वैल्यू और जवाबदेही हो, ताकि वह वैश्विक स्तर की सुविधा के साथ समाज में एक बेहतर डॉक्टर के रूप में उचित और प्रभावी ढंग से काम कर सके। सीबीएमई करिकुलम ने अपने आधिकारिक नोटिस में राष्ट्रीय और संस्थागत लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं जिनका पालन आईएमजी से अपेक्षित है।

देश के लिए लक्ष्य:

  • इंडियन मेडिकल ग्रेजुएट को "हेल्थ फॉर आल" को देशव्यापी लक्ष्य और सभी नागरिकों के स्वास्थ्य अधिकार के रूप में पहचानने में सक्षम होना चाहिए।
  • उसे हेल्थ पर राष्ट्रीय नीतियों के प्रमुख पहलुओं को सीखना चाहिए और उसके व्यावहारिक कार्यान्वयन के लिए स्वयं को समर्पित करना चाहिए।
  • आईएमजी को मेडिकल के प्रैक्टिस में दक्षता हासिल करनी होगी, जिसमें सामान्य रोगों के प्रोत्साहक, निवारक, उपचारात्मक और पुनर्वास संबंधी पहलू शामिल होंगे।
  • आईएमजी को साइंटफिक टेंपर विकसित करना होगा, पेशे में दक्षता के लिए शैक्षिक अनुभव प्राप्त करना होगा और हेल्थी लाइफ स्टाइल को बढ़ावा देना होगा।
  • उसे मेडिकल एथिक्स का पालन करते हुए और सामाजिक व प्रोफेनल दायित्वों को पूरा करते हुए एक आदर्श नागरिक बनना चाहिए, ताकि वह देश की उम्मीदों को पूरा कर सके।

संस्थान के लिए लक्ष्य:

  • आईएमजी को चरण 1 एमबीबीएस से अनिवार्य रोटरी मेडिकल इंटर्नशिप (सीआरएमआई) तक स्वास्थ्य देखभाल टीम में एकीकृत बहु-विभागीय भागीदारी में बढ़ती जटिलता के साथ क्रमिक तरीके से काम करने के लिए सक्षम होना चाहिए।
  • आम तौर पर सामने आने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के संबंध में निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक, उपशामक और पुनर्वास चिकित्सा का अभ्यास करने में सक्षम होना।
  • विभिन्न चिकित्सीय पद्धतियों के औचित्य को समझें तथा "आवश्यक औषधियों" के प्रशासन तथा उनके सामान्य प्रतिकूल प्रभावों से परिचित हों।
  • स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सामाजिक-मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों की सराहना करें और अपने व्यावसायिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते हुए रोगियों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण विकसित करें।
  • निरंतर आत्म-शिक्षण की प्रवृत्ति, तथा आगे विशेषज्ञता प्राप्त करने या चिकित्सा, क्रियात्मक अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण कौशल के किसी भी चुने हुए क्षेत्र में अनुसंधान करने की प्रवृत्ति।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक बुनियादी कारकों से परिचित होना, जिनमें परिवार कल्याण और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य (एमसीएच) के व्यावहारिक पहलू, स्वच्छता और जलापूर्ति, संचारी और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण, टीकाकरण, स्वास्थ्य शिक्षा और वकालत, सेवा वितरण के विभिन्न स्तरों पर भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस), जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान, संगठनात्मक और संस्थागत व्यवस्था शामिल हैं।
  • स्वास्थ्य देखभाल वितरण, सामान्य और अस्पताल प्रबंधन, प्रमुख सूची कौशल और परामर्श से संबंधित मानव संसाधन, सामग्री और संसाधन प्रबंधन में बुनियादी प्रबंधन कौशल हासिल करें।
  • सामुदायिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान कर सकते हैं तथा अधिकतम सामुदायिक भागीदारी के साथ सुधारात्मक कदमों की रूपरेखा तैयार कर, उन्हें लागू कर तथा उनके परिणामों का मूल्यांकन कर इनके समाधान के लिए कार्य करना सीख सकते हैं।
  • स्वास्थ्य देखभाल टीमों में अग्रणी भागीदार के रूप में काम करने में सक्षम होना तथा संचार कौशल में दक्षता हासिल करना।
  • विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स में काम करने में सक्षम बनें।
  • पेशेवर जीवन के लिए आवश्यक व्यक्तिगत विशेषताओं और दृष्टिकोणों को अपनाएं, जिसमें व्यक्तिगत ईमानदारी, जिम्मेदारी और विश्वसनीयता की भावना, तथा अन्य व्यक्तियों के साथ संबंध बनाने या उनके प्रति चिंता दिखाने की क्षमता शामिल हो।

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