Friday, April 19, 2024
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Republic Day 2023: भारतीय संविधान को तैयार होने में लगे थे कितने दिन? जानें इसका पूरा इतिहास

Republic Day 2023: भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। भारतीय संविधान दुनिया में सबसे लंबा हस्तलिखित संविधान है। आइए इसे जुड़े इतिहास पर नजर डालें।

Shailendra Tiwari Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: January 24, 2023 9:37 IST
भारतीय संविधान, Indian Constitution- India TV Hindi
Image Source : PTI भारतीय संविधान

भारतीय संविधान, हम भारतवासियों को आजादी, धर्मनिरपेक्ष की खुली छूट देता है। भारतीय संविधान सरकार की संसदीय प्रणाली के साथ एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है। संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस को संविधान दिवस भी कह सकते हैं क्योंकि 26 जनवरी को ही भारतीय संविधान लागू किया गया था। हम लेकिन क्या आपको पता है इसे तैयार होने में कितने दिन लगे थे, कितने लोगों ने मिलकर इसे बनाया था? आइए इससे जुड़े इतिहास के बारे में जानते हैं।

डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के जनक कहा जाता है। भारतीय संविधान की मूल प्रतियां हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई थीं। संविधान का मसौदा तैयार करने वाली संविधान सभा के प्रत्येक सदस्य ने संविधान की दो प्रतियों पर हस्ताक्षर किए, एक हिंदी में और दूसरी अंग्रेजी में है। बता दें कि भारत के संविधान के अंग्रेजी संस्करण में कुल 117,369 शब्द हैं, जिसमें 22 भागों में 444 लेख, 12 अनुसूचियां और 115 संशोधन शामिल हैं। इतने सारे शब्दों के साथ, भारतीय संविधान दुनिया के किसी भी संप्रभु देश से सबसे लंबा संविधान है। इस समय संविधान में, एक प्रस्तावना, 22 भाग, 448 लेख, 12 अनुसूचियां, 5 परिशिष्ट और 115 संशोधन हैं।

हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखे गए

जानकर आपको शायद हैरानी होगी कि संविधान के दोनों संस्करण, हिंदी और अंग्रेजी हाथों द्वारा लिखे गए थे। और कमाल की बात ये है कि यह दुनिया किसी भी देश का सबसे लंबा हस्तलिखित संविधान है। भारत के मूल संविधान को प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने सुंदर सुलेख के साथ बहती हुई इटैलिक शैली में लिखा था। संविधान को देहरादून में प्रकाशित किया गया था और भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा फोटोलिथोग्राफ किया गया था। इसके प्रत्येक पेज को बेहर राममनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस सहित शांति निकेतन के कलाकारों द्वारा विशिष्ट रूप से सजाया गया है।

संविधान सभा की पहली बैठक हुई

संविधान सभा स्वतंत्र भारत की पहली संसद थी। डॉ सच्चिदानंद सिन्हा 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के पहले अध्यक्ष (विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष) थे। संविधान सभा, जो पहली बार 9 दिसंबर 1946 को मिली थी, को अंतिम मसौदे के साथ आने में ठीक 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे। जब मसौदा तैयार किया गया था और बहस और चर्चा के लिए रखा गया था, तो इसे अंतिम रूप देने से पहले 2000 से अधिक संशोधन किए गए थे। इसके बाद 26 नवंबर 1949 को फाइनल ड्राफ्ट तैयार था। संविधान सभा के कुल 11 सत्र हुए। 11वां सत्र 14-26 नवंबर 1949 के बीच हुआ था। 26 नवंबर 1949 को संविधान का अंतिम मसौदा तैयार हुआ था।

संविधान पर कितने लोगों ने किया था हस्ताक्षर?

24 जनवरी 1950 को, संविधान सभा के 284 सदस्यों ने संविधान हॉल में भारतीय संविधान पर हस्ताक्षर किए, जिसे अब नई दिल्ली में संसद के सेंट्रल हॉल के रूप में जाना जाता है। 26 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा पारित  होने के बाद यह लागू हुआ। बता दें कि 26 जनवरी 1930 को 1930 कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) की घोषणा की थी इस कारण 26 जनवरी को ही संविधान लागू करने लिए चुना गया।

राष्ट्रीय प्रतीक को कब अपनाया गया?

26 जनवरी 1950 को ही राष्ट्रीय प्रतीक को भी अपनाया गया। भारत को अपने संविधान के लागू होने के साथ गणतंत्र घोषित किया जा चुका था। इसके बाद राष्ट्रीय प्रतीक को चुना गया। बता दें कि अशोक के लायन कैपिटल के एक प्रतिनिधित्व को शुरू में दिसंबर 1947 में डोमिनियन ऑफ इंडिया के प्रतीक के रूप में अपनाया गया था। प्रतीक के वर्तमान संस्करण को आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था, जिस दिन भारत एक गणतंत्र बना था।

ओरिजनल प्रतियाँ कहां रखी हैं?

भारत की संसद के पुस्तकालय में हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई भारतीय संविधान की मूल प्रतियों को हीलियम से भरे विशेष बक्सों में रखा गया है। संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य और एक कल्याणकारी राज्य घोषित करती है, जो लोगों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता को सुरक्षित करने और बंधुत्व, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। संविधान अपने नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता का आश्वासन देता है और बंधुत्व को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

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