Friday, December 13, 2024
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राम और रावण दोनों का किरदार निभा चुका है ये अभिनेता, भगवान मान लोग करने लगे थे पूजा

17 फिल्मों में भगवान कृष्ण की भूमिका निभा चुके इस सुपरस्टार को भगवान राम और रावण दोनों की भूमिका में भी देखा जा चुका है। ये एकमात्र अभिनेता ऐसे थे, जिन्होंने राम और रावण दोनों का किरदार निभाया था।

Written By: Himanshi Tiwari @Himanshi200124
Published : Oct 12, 2024 11:11 IST, Updated : Oct 12, 2024 11:11 IST
NT Rama Rao- India TV Hindi
Image Source : X एनटी रामाराव भगवान राम (बाएं) और रावण (दाएं) अवतार में

दशहरा पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। हिंदू परंपरा के अनुसार, यह दिन उस शुभ अवसर का प्रतीक है जब भगवान राम ने लंका के राजा रावण पर अपनी जीत हासिल कर उसका घमंड तोड़ दिया था। ये रामायण का वो सार है जो कई बार स्क्रीन पर देखने को मिला है। 17 बार भगवान कृष्ण बन घर-घर में मशहूर हुए। वहीं अभिनेता भगवान राम और रावण दोनों का किरदार निभाकर आइकन बन गए, जिसके बाद लोग उनकी पूजा करने लगे थे। लेकिन, केवल एक ही बार ऐसा हुआ है जब उन्होंने राम और रावण दोनों की भूमिका निभाई है। इन किरदारों के बाद उन्हें इतना नेम फेम मिला की कि लोगों ने उनके नाम पर मंदिर बना दिए।

इस एक्टर ने निभाया है भगवान राम और रावण का किरदार

Gen Z के लिए, एनटीआर का मतलब जूनियर हो सकता है, लेकिन तेलुगु सिनेमा के प्रशंसकों के लिए शुरुआत से ही उनके सुपरस्टार एनटी रामा राव रहे हैं, जो भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े आइकन में से एक हैं। सीनियर एनटीआर वह अभिनेता हैं, जिन्होंने बड़े पर्दे पर भगवान राम और रावण दोनों की भूमिकाएं निभाई हैं। यहां तक ​​कि उन्होंने 17 फिल्मों में भगवान कृष्ण की भूमिका भी निभाई है और नया रिकॉर्ड बनाया दिया था। एनटीआर ने पहली बार 1963 की फिल्म 'लव कुश' में भगवान राम की भूमिका निभाई और उसके बाद कई फिल्मों में भूमिका दोहराई। लेकिन उससे पहले, वह 1958 में रिलीज हुई 'भूकैलास' में रावण की भूमिका निभा चुके थे।

इस अभिनेता की पूजी करने लोग

हालांकि, फिल्म 'भूकैलास' सफल नहीं रही और एनटीआर ने राक्षस राजा का किरदार कल्ट क्लासिक 'सीताराम कल्याणम' (1961) में किया। पौराणिक नाटकों की शैली में महारत हासिल कर चुके एनटीआर तेलुगु दर्शकों के लिए एक मसीहा है, जिन्हें भगवान मान पूजा जाता है। उन्होंने 1960 और 70 के दशक में अपने किरदारों से जबरदस्त दबदबा बनाया। बाद में उन्होंने रॉबिन हुड जैसे किरदार निभाना शुरू कर दिया और फिर आगे चलकर उन्होंने राजनीति में एंट्री की।

जब एनटीआर के लिए बने मंदिर

1960 के दशक में एनटीआर ने तेलुगु सिनेमा में जबरदस्त स्टारडम हासिल किया था। भगवान राम, भगवान शिव, भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु के रूप में उनकी भूमिकाओं के कारण उन्हें 'दिव्य' का दर्जा भी दिया गया था। हैदराबाद में उनके घर को एक तीर्थ स्थल माना जाता था, जहां कई प्रशंसक मंदिरों में जाने से पहले वहां पूजा-अर्चना करते थे। 1970 के दशक में, आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में उनके नाम पर आधा दर्जन मंदिर बनाए गए, जिनमें उन्हें उनके राम और कृष्ण अवतार में दर्शाया गया। वहीं एनटीआर पैंस के दिलों में सिर्फ एक अच्छे एक्टर के तौर पर रहना चाहते थे।

एनटीआर की विरासत

1982 में, एनटीआर ने फिल्मों से खुद को दूर कर लिया और तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की। पार्टी ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव जीता और एनटीआर राज्य के मुख्यमंत्री बने। इस पद पर वे 1995 तक तीन कार्यकाल तक रहे। अभिनेता-राजनेता का जनवरी 1996 में 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। हालांकि सिनेमा में उनकी विरासत सिर्फ उनकी भूमिकाओं से कहीं ज्यादा है। वे तेलुगु सिनेमा के नंदमुरी परिवार के पितामह भी थे। उनके दो बेटे- चैतन्य कृष्ण और साई कृष्ण हैं जो फिल्म निर्माता हैं। उनके पांचवें बेटे नंदमुरी बालकृष्ण अपनी पीढ़ी के सबसे मशहूर अभिनेताओं में से एक हैं। उनके चौथे बेटे हरिकृष्ण एक अभिनेता थे, जिनकी युवावस्था में ही मृत्यु हो गई। जूनियर एनटीआर हरिकृष्ण के बेटे हैं।

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