फिल्मी दुनिया में काम करने वाले लोग किसी एक प्रदेश के नहीं होते हैं। अलग-अलग राज्यों से कला का सैलाब एक जगह मिलता है और खूबसूरत फिल्म बनती है। सिनेमा के इतिहास में कई ऐसे सुपरस्टार्स हुए हैं जिन्होंने छोटे शहरों से निकलकर अपनी मेहनत और प्रतिभा से बड़ी पहचान बनाई। ऐसे ही एक कलाकार बिहार के भागलपुर से थे, जिन्होंने पचास से भी ज्यादा सालों तक बॉलीवुड में सक्रिय रहकर अपनी छाप छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपनी एक्टिंग के दम पर ये हिंदी सिनेमा में छा गए और इन्हें सिनेमा का दादा मुनि कहा जाने लगा।
बिहार के इस जिले से आते थे अशोक कुमार
अशोक कुमार का जन्म 13 अक्टूबर 1911 को बिहार के भागलपुर में एक बंगाली परिवार में कुमुद लाल गांगुली के नाम से हुआ था। उनके पिता एक प्रोफेशनल वकील थे और परिवार उम्मीद करता था कि बड़ा बेटा भी वकालत की दुनिया में सफलता पाएगा, लेकिन कुमुद लाल ने अपने करियर की राह सिनेमा की ओर मोड़ी और बाद में अशोक कुमार के नाम से मशहूर हो गए। अशोक कुमार ने 1934 से लेकर 1997 तक हिंदी फिल्मों में अभिनय, निर्देशन और निर्माण के क्षेत्र में काम किया।

कैसे बने बॉक्स ऑफिस किंग
वे बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार माने जाते हैं, जिन्होंने उस दौर में अपनी फिल्मों से बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड कायम किए। खासकर उनकी फिल्म ‘किस्मत’ (1943) हिंदी सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर 1 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार किया। अशोक कुमार ने अपने करियर में 275 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। उनकी कई फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हैं।
इन फिल्मों से छोड़ी गहरी छाप
उनकी प्रमुख फिल्मों में ‘जन्मभूमि’, ‘सावित्री’, ‘बंधन’, ‘किस्मत’, ‘महल’, ‘खिलाड़ी’, ‘अफसाना’, ‘सितारों से आगे’, ‘कानून’, और ‘धर्म पुत्र’ शामिल हैं। इन फिल्मों में उनके बेहतरीन अभिनय ने उन्हें एक अमिट मुकाम दिलाया। अशोक कुमार की कलाकारी और उनके संघर्ष की कहानी आज भी कई कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई है। उनकी 114वीं जयंती के मौके पर इंडिया टीवी न सिर्फ उन्हें सलाम करता है, बल्कि सिनेमा में उनके योगदान को भी याद करता है।
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