Saturday, November 15, 2025
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Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Movie Review: फैमिली एंटरटेनर है वरुण और जाह्नवी की फिल्म, जानें कैसी है कहानी

ग्रैंड वेडिंग पर बेस्ड धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फैमिली एंटरटेनर फिल्म में वरुण धवन और जाह्नवी कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं। पूरी फिल्म समीक्षा पढ़ने के लिए आगे स्क्रॉल करें।

Sakshi Verma
Updated : October 02, 2025 10:13 pm IST
Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari review- India TV Hindi
Photo: INSTAGRAM/@DHARMAMOVIES सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी
  • फिल्म रिव्यू: सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी फिल्म समीक्षा
  • स्टार रेटिंग: 2.5 / 5
  • पर्दे पर: October 2, 2025
  • डायरेक्टर: Shashank Khaitan
  • शैली: Family-Drama

बॉलीवुड की शादियों में हमेशा इमोशनल से लेकर कई खुशी भरे पल देखने को मिले हैं। 'हम आपके हैं कौन' से लेकर 'बैंड बाजा बारात' और हाल ही में 'जुगजुग जियो' तक, ग्रैंड वेडिंग पर बनी कई फिल्में एक अलग जॉनर बन गया है, जिनमें डांस, ड्रामा और रोमांस सब कुछ साथ में देखने को मिलता है। शशांक खेतान द्वारा निर्देशित 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' भी इस क्लब में शामिल हो गई है, जिसने एक भव्य देसी शादी की पृष्ठभूमि में कॉमेडी, रोमांस और भावनात्मक उथल-पुथल का तड़का लगाया है। इसमें लव ट्रायंगल, फेक डेटिंग, अनोखे परिवार के सदस्य, एक भव्य सेटिंग और ढेर सारी बॉलीवुड की चमक-दमक देखने को मिलेगी। लेकिन, यह पर्दे पर कैसी दिखती है? आइए जानें।

कहानी

यह सब 'संस्कारी' सनी से शुरू होता है, जिसका जीवन पारिवारिक जिम्मेदारियों और निजी दुविधाओं में उलझा हुआ है। उसकी मुलाकात तुलसी से होती है जो खुद दिल टूटने और कई दुखद भावनाओं से जूझ रही है। इन सबके बीच, दूसरों को ईर्ष्यालु बनाने और उनके प्रेम जीवन में सुधार लाने के लिए एक बनावटी रोमांस को दिखाया गया है। बेशक, बॉलीवुड की परंपरा यही कहती है कि बनावटी प्यार अक्सर असली प्यार में बदल जाता है और सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी भी इसी मोड़ पर आकर रूक जाती है।

इस दौरान, कहानी में एक्स लवर की जलन, अजीबोगरीब मुलाकातें, शोर मचाने वाले रिश्तेदार और शादी-ब्याह की आम अफरा-तफरी का मिश्रण देखने को मिलता है। अगर आपने पहले रोमांटिक कॉमेडी देखी हैं तो इनमें से कुछ भी आपको नया नहीं लगाने वाला। 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' में धर्मा प्रोडक्शन की सारी खासियत एक बार फिर देखने को मिलने वाली है जैसे गलतफहमियां, शानदार डांस नंबर, शॉकिंग खुलासे और एक ऐसा क्लाइमेक्स जहां दिल जुड़ते हैं, लेकिन जो चीज फिल्म को नीरस और अप्रत्याशित होने से बचाती है। वह है इसके कलाकारों की एनर्जी।

निर्देशन और लेखन

'हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया', 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' और 'धड़क' के निर्देशक शशांक खेतान बॉलीवुड रोमांटिक कॉमेडी के व्याकरण को अच्छी तरह समझते हैं। 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' में भी उनका निर्देशन काफी हद तक बहुत ही शानदार दिखा। उन्होंने शादी के दृश्यों को बड़े पैमाने और तमाशे के साथ पेश किया है। यह सुनिश्चित करते हुए कि हर फ्रेम रंगीन और बेहतरीन लगे। हालांकि, जहां वह चूक जाते हैं। वह है कहानी की वास्तविक गहराई के बीच संतुलन बनाए रखना। इमोशनल ड्रामा तो है, लेकिन फिल्म के कॉमेडी या गानों में की वजह से स्टोरी ज्यादा ध्यान नहीं खींच पाई।

शशांक खेतान और इशिता मोइत्रा का लेखन भी यही ताकत और कमजोरी दर्शाता है। संवाद अक्सर मजेदार और धमाकेदार होते हैं जो फिल्म को और बेहतर बनाने की कोशिश करता है। कुल मिलाकर घिसी-पिटी पटकथा में बनावटी रिश्तों की सेटिंग, लव ड्रामा और शादी की चमक पर निर्भर है। ये सभी बातें हम जानते हैं जो हमने कई रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों में देखी है। अधिक भावनात्मक परतों वाली एक सघन पटकथा इस फिल्म को 'मजेदार मनोरंजन' से 'यादगार मनोरंजक' बना सकती थी।

टेक्निकल आस्पेक्ट

फिल्म को काफी अच्छा बनाने की कोशिश की है। भव्य शादी के सेट से लेकर डिजाइनर कॉस्ट्यूम तक, हर फ़्रेम बॉलीवुड की ग्रैंड वेडिंग को दिखाती है। प्रोडक्शन डिजाइन तारीफ के काबिल है क्योंकि इसने खुशी के माहौल में चार चांद लगा दिए। हालांकि, कई बार यह कहानी से ज़्यादा किसी फैशन शो जैसा लगता है। खासकर उदयपुर वाले हिस्से को बहुत अच्छी तरह से फिल्माया गया है।

फिल्म का म्यूजिक

संगीत शानदार होने के साथ-साथ यादगार भी है। कुछ गाने ऐसे भी हैं जो उस पल को खासकर डांस सीक्वेंस के दौरान बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन थिएटर से बाहर निकलने के बाद आप उन्हें भूल जाएंगे। फिर भी कोरियोग्राफी मजेदार है और दर्शकों को अपनी सीटों पर तालियां बजाने पर मजबूर करने के लिए काफी है।

अभिनय

वरुण धवन 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' में अपने सेफ जोन में बने रहे हैं। वह एक ऊर्जावान, प्यारे नायक की भूमिका निभा रहे हैं जो नासमझ और इमोशनल इंसान है। हालांकि, उनके कुछ भावनात्मक पल थोड़े सतही लगते हैं, लेकिन उनकी स्वाभाविक स्क्रीन उपस्थिति सनी को पूरे समय पसंद करने योग्य बनाए रखती है। दूसरी ओर, जाह्नवी कपूर को सूक्ष्म भावनाओं के साथ खेलने की ज्यादा गुंजाइश मिलती है। उनका किरदार तुलसी अतीत में दिल टूटने और नई संभावनाओं के बीच फंसी हुई है और एक्ट्रेस इस रोल को बखूबी से निभाती हैं। हालांकि, वरुण के साथ उनकी केमिस्ट्री कभी-कभी इतनी खास नहीं लगती है। इसके अलावा, जहां जाह्नवी भावनात्मक दृश्यों को बखूबी संभालती हैं, वहीं कॉमेडी सीन्स में वह कमजोर लगती हैं। फिल्म में वह हर लुक में बेहद खूबसूरत लगती हैं, लेकिन ग्लैमर के अलावा, वह तुलसी के किरदार में कुछ खास नहीं लगी, जिसके कारण वह दिल नहीं जीत पाईं।

जैसा कि उम्मीद थी, सान्या मल्होत्रा ​​और रोहित सराफ की सहायक जोड़ी फिल्म में जान डाल देती है। सान्या का अभिनय ठीक-ठाक रहा, जबकि रोहित सराफ की बच्चों जैसी मस्ती आपको बहुत पसंद आने वाली है। कई मायनों में, उनका ट्रैक मुख्य ट्रैक से ज़्यादा दिलचस्प लगता है। 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' में मनीष पॉल कॉमेडी का तड़का लगाते हैं और उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया है। उनके संवाद और टाइमिंग की तारीफ होनी चाहिए। खासकर जब स्क्रिप्ट बहुत ज़्यादा फॉर्मूलाबद्ध होने का जोखिम उठाती है।

क्या है खास?

'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' में मनोरंजन का एक बेहतरीन तरीका है। अगर आप थिएटर में एक हल्की-फुल्की रंगीन रोमांटिक कॉमेडी देखने जाते हैं तो वरुण और जाह्नवी की फिल्म आपके लिए बिल्कुल सही है। कहानी के अनुसार हर सीन में कॉमेडी और मजोदार संवादों का भरपूर इस्तेमाल किया गया है जो फिल्म को देखने लायक बनाती है। किरदारों के बीच की नोक-झोंक, खासकर सनी और तुलसी का मजाकिया अंदाज बेहतरीन है। इसके अलावा, फिल्म के निर्माण के विशाल पैमाने से प्रभावित हुए बिना रहना मुश्किल है।

कहां कमी रह गई?

'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' की सबसे बड़ी कमी इसकी पूर्वानुमेयता है। आप हर मोड़ को देख सकते हैं, यहां तक कि क्लाइमेक्स में ही कहानी समज आने लगती है। फिल्म का टाइटल से लेकर ट्रेलर तक, सब कुछ कहानी के बारे में हिंट देता है। हालांकि, फिल्म दिल टूटने और विश्वासघात के विषयों से छेड़खानी करती है, लेकिन यह ज्यादा गहराई में नहीं जाती। भावनाएं सतही रहती हैं, जिससे क्लाइमेक्स कम सार्थक लगता है, जिन दर्शकों को सच्चे इमोशनल पंच वाली रोमांटिक कॉमेडी पसंद हैं, उन्हें यह फिल्म कुछ खास पसंद नहीं आ सकती। इसके अलावा, 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' में असली केमिस्ट्री का अभाव है। हालांकि वरुण और जाह्नवी अपना बेस्ट देते हैं। फिर भी उनकी जोड़ी हमेशा उम्मीद के मुताबिक कमाल नहीं कर पाती। कई बार, आपको मुख्य रोमांस की बजाय साइड किरदारों में ज्यादा दिलचस्पी महसूस होती है। लेकिन शशांक की फिल्म की सबसे बड़ी खामी है क्लिच पर उनकी अत्यधिक निर्भरता। एक्स-लव के ड्रामा से लेकर शादी में धमाका तक, पटकथा पूरी तरह घिसे-पिटे और खेले गए कार्डों पर टिकी है। अंत में, फिल्म उन रोमांटिक कॉमेडी फिल्मों का रीमिक्स लगती है जो हम पहले ही देख चुके हैं।

देखें या नहीं?

यह फिल्म उन दर्शकों के लिए बनाई गई है जो हल्के-फुल्के बॉलीवुड शो पसंद करते हैं। परिवार जो किसी त्यौहार पर बाहर घूमने जाना चाहते हैं, कपल जो एक हल्की-फुल्की डेट वाली फिल्म देखना चाहते हैं या वरुण और जाह्नवी के फैंस हैं तो वह इसे देख सकते हैं। 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' का उद्देश्य कोई क्रांतिकारी सिनेमा बनना नहीं है। यह रोमांटिक कॉमेडी के चक्र को नया रूप देने का दिखावा नहीं करती। इसके बजाय, यह खुद को एक सहज, रंगीन मनोरंजन के रूप में पेश करती है जो एक खुशनुमा अनुभव देने के लिए आजमाए हुए फार्मुलों पर बेस्ड है। हां, यह अनुमानित है। यह क्लिच पर आधारित है। एक तरह से 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' उस जानी-पहचानी शादी की डिश जैसी है जिसे आप पहले भी सैकड़ों बार खा चुके हैं। आपको इसका स्वाद अच्छी तरह पता है, आपको पता है कि यह आपको चौंकाएगी नहीं, फिर भी आप इसे मुस्कुराते हुए खाते हैं क्योंकि यह आपको अच्छा महसूस कराती है। असल में यही इस फिल्म की खासियत है और इसलिए इसे 5 में से 2.5 स्टार मिलना चाहिए।

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