Tuesday, December 10, 2024
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क्या है Starlink की डायरेक्ट-टू-सेल सर्विस? बिना नेटवर्क के मोबाइल में चलेगा इंटरनेट, कर पाएंगे कॉल

एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने हाल ही में 6 सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं, जिनमें डायरेक्ट-टू-सेल या डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी वाले मॉडम लगे हैं। इस सर्विस के जरिए बिना मोबाइल नेटवर्क के भी इंटरनेट एक्सेस और कॉलिंग फीचर को एक्सेस किया जा सकेगा। इसके लिए स्टारलिंक ने अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी T-Mobile के साथ साझेदारी की है।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Jan 05, 2024 10:10 IST, Updated : Jan 05, 2024 10:50 IST
Starlink Direct-to-cell सर्विस- India TV Hindi
Image Source : SPACEX Starlink Direct-to-cell सर्विस

Elon Musk की SpaceX ने हाल ही में 6 सैटेलाइट लॉन्च किए हैं, जो डायरेक्ट-टू-सेल या डायरेक्ट-टू-मोबाइल सर्विस से लैस है। Starlink की इन सैटेलाइट्स में एडवांस eNodeB मॉडम लगा है, जो LTE यानी लॉन्ग टर्म इवेल्यूशन कनेक्टिविटी को सपोर्ट करता है। यह मॉडम बेस स्टेशन से 4G LTE बेस्ड सिग्नल भेज सकता है, जिसे मोबाइल डिवाइस के जरिए रिसीव किया जा सकता है। इसके लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने अमेरिकी टेलीकॉम ऑपरेटर T-Mobile के साथ साझेदारी की है। आइए, जानते हैं स्टारलिंक की यह डायरेक्ट-टू-सेल सर्विस क्या है और कैसे काम करता है?

अंतरिक्ष में मौजूद मोबाइल टावर

Starlink की इस डायरेक्ट-टू-सेल सर्विस को आसान भाषा में समझा जाए, तो इसे अंतरिक्ष में मौजूद मोबाइल टॉवर कहा जा सकता है। SpaceX द्वारा भेजे गए ये सैटेलाइट्स एडवांस eNodeB मॉडम से लैस है, जो अंतरिक्ष में मौजूद बेस स्टेशन को LTE कनेक्टिविटी वाले टावर में बदल देता है। LTE को 4G या वायरलेस ब्रॉडबैंड कम्युनिकेशन कहा जाता है, जिसके जरिए मोबाइल फोन पर डेटा और वॉइस कॉल की जा सकती है।

Starlink Direct to Cell

Image Source : STARLINK
Starlink Direct to cell

4G LTE कनेक्टिविटी सर्विस का इस्तेमाल मोबाइल ऑपरेटर यूजर के मोबाइल डिवाइस पर इंटरनेट और कॉलिंग सर्विस मुहैया करने के लिए करते हैं। स्टारलिंक द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए eNodeB मॉडम में रेडियो-लिंक प्रोटोकॉल हैंडल करने की क्षमता है, जो 4G LTE कम्पैटिबल हार्डवेयर पर नेटवर्क फंक्शन इनेबल कर सकता है। इसके लिए मोबाइल डिवाइस को किसी सेलफोन ऑपरेटर के मोबाइल टॉवर की जरूरत नहीं होगी। बिना मोबाइल टॉवर द्वारा भेजे गए सिग्नल के भी मोबाइल डिवाइस में इंटरनेट और कॉलिंग सर्विस का इस्तेमाल किया जा सकता है।

डायरेक्ट-टू-सेल सर्विस के फायदे

Starlink ने किसी टेलीकॉम ऑपरेटर से कम्पीट करने के लिए इस सर्विस को नहीं लॉन्च किया है। कंपनी का मानना है कि उसकी यह टेक्नोलॉजी उन दूरस्थ इलाकों में भी मोबाइल सर्विस पहुंचा सकती है, जहां कोई मोबाइल टॉवर नहीं है या मोबाइल में ठीक से सिग्नल नहीं आते हैं।

एलन मस्क ने इस सर्विस के बारे में ट्वीट करते हुए बताया कि इसके जरिए प्रति बीम 7mbps की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। हालांकि, यह इंटरनेट स्पीड स्टैंडर्ड मोबाइल सर्विस द्वारा दी जाने वाली इंटरनेट स्पीड की तुलना में कम है, लेकिन इसके जरिए वेब ब्राउजिंग और वीडियो कॉलिंग की जा सकती है। आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, Starlink Direct-to-cell सर्विस को अगले साल तक लॉन्च किया जा सकता है।

Jio ने भी की तैयारी

रिलायंस जियो ने भी दूर-दराज के इलाकों में सुपरफास्ट इंटरनेट पहुंचाने की तैयारी में है। सामने आ रही रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस जियो की इस सर्विस के लिए जल्द ही अप्रूवल मिलने वाला है। पिछले साल आयोजित हुए इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2023 में जियो के चैयरमैन आकाश अंबानी ने इस सर्विस का डेमो दिया था। JioSpaceFiber के नाम से लॉन्च होने वाली इस सर्विस को सबसे पहले गुजरात के गिर नेशनल पार्क, छत्तीसगढ़ के कोरबा, उड़ीसा के नबरंगपुर और असम के ओएनजीसी-जोरहाट में पहुंचाई जाएगी।

एलन मस्क के स्टारलिंक डायरेक्ट-टू-सेल सर्विस की तरह ही इसमें भी बिना किसी मोबाइल टॉवर, वायर के घरों में सुपरफास्ट इंटरनेट मुहैया कराया जाएगा। जियो ने इसके लिए लग्जमबर्ग बेस्ड सैटेलाइट टेलिकॉम्युनिकेशन नेटवर्क प्रोवाइडर SES (Société Européenne des Satellites) के साथ साझेदारी की है। गीगाबिट इंटरनेट के लिए जियो का रिसीवर मीडियम अर्थ सैटेलाइट (MEO) का इस्तेमाल करेगा।

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