Thursday, April 24, 2025
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Explainer: मलाला को अपने ‘घर’ पहुंचने में क्यों लगे 13 साल? सिर्फ 3 घंटे ही रुक पाईं

पाकिस्तान की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई 13 साल बाद अपने गृहनगर शांगला लौटीं, लेकिन केवल 3 घंटे ही वहां बिताए। 15 साल की उम्र में तालिबान ने उन्हें गोली मारी थी, जिसके बाद वह ब्रिटेन में बस गई थीं।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Mar 06, 2025 11:43 IST, Updated : Mar 06, 2025 11:43 IST
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Image Source : X.COM/MALALA मलाला यूसुफजई 13 साल बाद अपने गृहनगर पहुंचीं।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की पहली नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई करीब 13 साल बाद पहली बार अपने गृहनगर पहुंचीं। इतने लंबे अरसे बाद अपने ‘घर’ पहुंची मलाला सिर्फ 3 घंटे ही वहां बिता पाईं। यूसुफजई उस समय मात्र 15 साल की एक स्कूली छात्रा थीं जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने अफगानिस्तान सीमा के पास सुदूर स्वात घाटी में एक बस में चढ़कर उनके सिर में गोली मार दी थी। उसके बाद से वह कभी-कभार ही पाकिस्तान गईं लेकिन हमले के बाद ब्रिटेन में ठिकाना बनाने के बाद यह पहली बार था जब वह शांगला में अपने पैतृक आवास पर लौटी थीं।

पुरखों को कब्रों पर जाकर मलाला ने पढ़ी दुआ

पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिम खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में बुधवार को अपने गृहनगर पहुंचकर मलाला ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलाला हेलीकॉप्टर से खैबर-पख्तूनख्वा के शांगला जिले के बरकाना पहुंचीं, जहां उन्होंने अपने चाचा रमजान से मुलाकात की और उस कब्रिस्तान का भी दौरा किया, जहां उनके पुरखों को दफनाया गया था। रमजान की हाल में दिल से जुड़ी समस्याओं के बाद इस्लामाबाद में सर्जरी की गई थी। स्थानीय करोरा थाने के प्रभारी अमजद आलम खान ने बताया कि मलाला के साथ उनके पिता जियाउद्दीन यूसुफजई और पति असीर मलिक भी थे। मलाला और मलिक की शादी 2021 में हुई थी।

मलाला कई साल के बाद नानी के भी घर पहुंचीं

आलम खान ने बताया कि मलाला ने उस स्कूल और कॉलेज का भी दौरा किया, जिसे उन्होंने शांगला जिले की करीब एक हजार बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए 2018 में स्थापित किया था। शांगला जिले में इससे पहले लड़कियों के लिए कोई सरकारी कॉलेज नहीं था। थाना प्रभारी ने कहा, ‘मलाला ने कक्षाओं का निरीक्षण किया, विद्यार्थियों से मुलाकात की और उनसे पढ़ाई एवं भविष्य पर ध्यान देने की अपील की।’ उन्होंने कहा कि मलाला फंड कॉलेज में मुफ्त में उच्च स्तरीय शिक्षा सुनिश्चित करेगा। मलाला अपनी नानी के घर भी गईं।

जनवरी 2025 में भी पाकिस्तान आई थीं मलाला

इस मौके पर शिक्षा कार्यकर्ता शहजाद रॉय भी मौजूद थे, जो जिंदगी ट्रस्ट के तहत शांगला गर्ल्स स्कूल और कॉलेज का संचालन करते हैं। रॉय ने मलाला को कॉलेज द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताया। अपने गृहनगर में मात्र 3 घंटे बिताने के बाद मलाला इस्लामाबाद लौट आईं। पाकिस्तानी तालिबान के हमले के बाद मलाला की पहली पाकिस्तान यात्रा 2018 में हुई थी। उसके बाद वह 2022 में बाढ़ से तबाह हुए पीड़ितों से मिलने के लिए पाकिस्तान आई थीं। मलाला इस साल जनवरी में इस्लामाबाद में मुस्लिम समुदायों की लड़कियों की शिक्षा पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भी पाकिस्तान पहुंची थीं।

मलाला को ‘घर’ पहुंचने में इतना वक्त क्यों लगा?

पाकिस्तानी तालिबान लड़कियों की शिक्षा का घोर विरोधी है और यही वजह है कि उसके आतंकियों ने मलाला को स्कूल जाते वक्त गोली मारी थी। घटना के बाद वह एक एजुकेशन एक्टिविस्ट बन गईं और 17 साल की उम्र में दुनिया की सबसे कम उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनीं। मलाला पर आज भी तालिबान का खतरा पहले की ही तरह मंडरा रहा है और माना जाता है कि वह आज भी आतंकी गुट के निशाने पर हैं। यही वजह है कि मलाला पाकिस्तान की यात्रा बहुत कम करती हैं और अपने गृहनगर तो 13 साल बाद पहुंचीं। इस बार भी मलाला के दौरे की खबर को गुप्त रखा गया था और पूरे एरिया को सील कर दिया गया था।

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