Sunday, April 28, 2024
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Explainer: भारत और मॉरीशस के बीच कैसे हैं रिश्ते? जानिए क्या है इसका इतिहास और महत्व

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मॉरीशस यात्रा ने दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ रिश्तों को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ला दिया है। दोनों देशों के बीच रिश्ते सदियों से हैं और इसमें मॉरीशस के भारतीय मूल के नागरिकों की अहम भूमिका है।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: March 12, 2024 16:44 IST
Droupadi Murmu, President Murmu in Mauritius- India TV Hindi
Image Source : PTI पोर्ट लुइस में मॉरीशस के पूर्व पीएम शिवसागर रामगुलाम और पूर्व राष्ट्रपति अनिरुद्ध जुगनॉथ को श्रद्धांजलि देतीं राष्ट्रपति मुर्मू।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन दिन की आधिकारिक यात्रा पर 11 मार्च को मॉरीशस पहुंचीं। ऐसा करने वाली वह छठी भारतीय राष्ट्रपति हैं, और उन्हें मॉरीशस राष्ट्रीय दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। अपनी यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति मुर्मू ने मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन और प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जुगनॉथ के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने मॉरीशस के लिए एक नए विशेष प्रावधान की भी घोषणा की जिसके अंतर्गत भारतीय मूल की 7वीं पीढ़ी के मॉरीशसवासी अब भारत की विदेशी नागरिकता (OCI) के लिए पात्र होंगे।

राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा भारत और मॉरीशस के बीच दीर्घकालिक और स्थायी संबंधों को रेखांकित करती है। दोनों देशों ने 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए और आगे चलकर एशियाई महाद्वीप में प्रमुख व्यापारिक भागीदार बन गए। मॉरीशस भारत के रणनीतिक हितों के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है जबकि नई दिल्ली ने कई विकास परियोजनाओं में पोर्ट लुइस की मदद की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मॉरीशस के PM प्रविंद जुगनॉथ के साथ द्विपीय देश के अगालेगा में एक नई हवाई पट्टी, जेटी और 6 अन्य भारत-सहायता प्राप्त विकास परियोजनाओं का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि भारत और मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्र में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों से निपटने के लिए प्राकृतिक रूप से भागीदार हैं। उन्होंने कहा था कि विशेष रूप से पोर्ट लुइस के उत्तर में 1,100 किमी दूर स्थित अगालेगा द्वीप समूह भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

जुगनॉथ ने दोनों देशों के बीच संबंधों को नया आयाम प्रदान करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया था। मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने कहा था, 'यह कार्यक्रम मॉरीशस और भारत के बीच उल्लेखनीय और अनुकरणीय साझेदारी के लिए एक और महान क्षण का प्रतीक है।' उन्होंने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभालने के बाद से मॉरीशस पर विशेष ध्यान देने के लिए पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया था।

भारत-मॉरीशस संबंध: एक संक्षिप्त इतिहास

हालाँकि भारत और मॉरीशस ने औपचारिक रूप से 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए, लेकिन उनका साझा इतिहास और संबंध लगभग 300 साल पुराना है। इस दौरान मॉरीशस पर डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश साम्राज्य का कब्जा रहा। भारतीय कामगार औपनिवेशिक शासन के तहत गन्ने के खेतों में काम करने के लिए गिरमिटिया मजदूर के रूप में मॉरीशस आए थे। 2 नवंबर को मॉरीशस में 'अप्रवासी दिवस' के रूप में मनाया जाता है और 1834 में इसी तारीख को भारतीय गिरमिटिया मजदूरों का पहला जत्था यहां पहुंचा था।

दक्षिण अफ्रीका से भारत आते समय (29 अक्टूबर से 15 नवंबर, 1901) महात्मा गांधी भी मॉरीशस में कुछ समय के लिए रुके थे। दरअसल, उनको अपने जहाज एसएस नौशेरा के प्रस्थान की प्रतीक्षा करते हुए मॉरीशस में समय बिताने का मौका मिल गया था। राजनयिक संबंध स्थापित करने के बाद, दोनों देशों के प्रतिनिधियों की कई महत्वपूर्ण उच्च-स्तरीय यात्राएं हो चुकी हैं।

विदेश मंत्रालय (MEA) के मुताबिक, 1968 में स्वतंत्रता हासिल करने के बाद मॉरीशस के पहले प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम ने अपने मुल्क की विदेश नीति में भारत को अहम स्थान दिया। उनके बाद के नेताओं ने भी यह सुनिश्चित किया कि भारत मॉरीशस की विदेश नीति प्रगति पथ पर अग्रसर रहे। आज की तारीख में भारत न सिर्फ मॉरीशस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, बल्कि वस्तुओं का सबसे बड़ा निर्यातक भी है। भारत से मॉरीशस के लिए पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात बड़े पैमाने पर होता है।

भारत-मॉरीशस साझेदारी

भारत ने 2011 में तटीय निगरानी रडार प्रणाली (CSRS) की स्थापना करके मॉरीशस की तटीय निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने में उसकी काफी मदद की है। इसके अलावा भारत ने COVID-19 महामारी के दौरान 1 लाख टीकों की सप्लाई करके भी इस मुल्क को राहत देने की कोशिश की थी। मॉरीशस भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) इक्विटी प्रवाह का सबसे बड़ा स्रोत भी रहा है। कई भारतीय सहायता प्राप्त परियोजनाओं में उपाध्याय प्रशिक्षण केंद्र, जवाहरलाल नेहरू अस्पताल और सुब्रमण्यम भारती आई सेंटर शामिल हैं।

दोनों देशों ने व्यापार, निवेश, आतंकवाद और पर्यावरण से जुड़े कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। मई 2016 में, भारत ने मॉरीशस द्वारा पहचानी गई पांच प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को निष्पादित करने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज (एसईपी) के रूप में मॉरीशस को 353 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था। इन परियोजनाओं में मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना, सर्वोच्च न्यायालय भवन, और नया ईएनटी अस्पताल भी शामिल थे। 2021 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यात्रा के दौरान 'व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौता' (CECPA) नामक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह अपनी तरह का पहला समझौता था और इसके लिए 2005 से ही बातचीत चल रही थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 और 2019 में मॉरीशस का दौरा किया था। इसके बाद 2022 में जुगनॉथ ने भारत का दौरा किया था। उसी साल, पीएम मोदी और जुगनॉथ ने संयुक्त रूप से मॉरीशस में सोशल हाउसिंग यूनिट्स प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। 2019 में, प्रधानमंत्री मोदी और पीएम जुगनॉथ ने संयुक्त रूप से वर्चुअल मोड में मॉरीशस में मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना और नए ईएनटी अस्पताल का उद्घाटन किया। इसी तरह जुलाई 2020 में मॉरीशस की नई सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग का भी दोनों प्रधानमंत्रियों ने वर्चुअली उद्घाटन किया था। 2023 में, भारत और मॉरीशस ने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न भी मनाया था।

भारत-मॉरीशस संबंधों का महत्व

भारत-मॉरीशस के बीच मजबूत होते संबंधों का एक प्रमुख पहलू यह है कि द्विपीय देश की 12 लाख की आबादी में से लगभग 70 प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं, जिसने दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने में मदद की है। इंदिरा गांधी भारतीय संस्कृति केंद्र और महात्मा गांधी संस्थान जैसे भारत निर्मित संस्थानों ने शैक्षिक और प्रशिक्षण गतिविधियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के प्रसार में योगदान दिया है।

2015 में मॉरीशस की अपनी पहली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद महासागर को सुरक्षित, और किसी भी चुनौती से मुक्त बनाने के लिए मॉरीशस-भारत सहयोग का आह्वान किया था और SAGAR (सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट किया था। तब से दोनों देशों ने व्यापार, निवेश, रक्षा और सांस्कृतिक सहयोग में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

मॉरीशस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी का भी समर्थन किया है। भारत ने चागोस द्वीप समूह पर संप्रभुता के मॉरीशस के दावों का भी समर्थन किया है, जो फिलहाल ब्रिटेन के कब्जे में है। दोनों देशों ने कई क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी एक-दूसरे का सहयोग किया है।

मॉरीशस भारत के लिए निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी रहा है, खासकर वित्त, रियल एस्टेट, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में। साझा हितों के आधार पर, भारत और मॉरीशस के बीच पहले से ही मजबूत संबंध पिछले कुछ वर्षों में और मजबूत हुए हैं। हालांकि, 2021 में बीजिंग और पोर्ट लुइस के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, मॉरीशस अफ्रीका और हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी प्रयासों से अछूता नहीं रहा है।

हालांकि, हाल ही में पीएम मोदी और जुगनाथ द्वारा उद्घाटन की गई परियोजनाओं से संकेत मिलता है कि भारत अभी भी मॉरीशस की पहली प्राथमिकता है। नई हवाई पट्टी और जेटी न केवल दोनों भागीदारों के बीच सद्भावना और विश्वास को बढ़ाते हैं, बल्कि वे भारत के SAFAR विजन और विकास क्षमताओं में छोटे देशों की सहायता करने के उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करते हैं।

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