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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कलकत्ता हाई कोर्ट में 9 जजों का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस बारे में कहा कि उसने कलकत्ता हाई कोर्ट के मामलों से परिचित सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों से उनकी उपयुक्तता का पता लगाने के लिए परामर्श किया था।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Jul 25, 2024 12:26 IST, Updated : Jul 25, 2024 12:26 IST
Supreme Court, Supreme Court Collegium, Calcutta High Court- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कलकत्ता हाई कोर्ट में 9 जजों का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश की है।

नई दिल्ली: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कलकत्ता हाईकोर्ट के 9 एडिशनल जजों के कार्यकाल की अवधि एक साल बढ़ाने की सिफारिश की है। इस साल अप्रैल में कलकत्ता हाई कोर्ट के कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से जस्टिस बिस्वरूप चौधरी, जस्टिस पार्थ सारथी सेन, जस्टिस प्रसेनजीत बिस्वास, जस्टिस उदय कुमार, जस्टिस अजय कुमार गुप्ता, जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य, जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी, जस्टिस अपूर्व सिन्हा रे और जस्टिस मोहम्मद शब्बर राशिदी को स्थायी जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश भेजी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी कमेटी

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा कि उसने कलकत्ता हाई कोर्ट के मामलों से परिचित सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों से उनकी उपयुक्तता का पता लगाने के लिए परामर्श किया था। साथ ही कहा कि चीफ जस्टिस की ओर से गठित सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की समिति ने इन अतिरिक्त जजों के फैसलों का मूल्यांकन किया। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने रिकॉर्ड पर रखे गए दस्तावेजों की जांच और मूल्यांकन करने तथा मामले के सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद पाया कि ये अतिरिक्त न्यायाधीश 31 अगस्त 2024 से शुरू होने वाले एक साल के नए कार्यकाल के हकदार हैं।

CM और गवर्नर ने नहीं की है टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी एक बयान के अनुसार, 'पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और राज्य के राज्यपाल ने अभी तक इस सिफारिश पर कोई टिप्पणी नहीं की है। न्याय विभाग ने प्रक्रिया ज्ञापन के पैरा 14 का हवाला देते हुए उपरोक्त सिफारिश को आगे बढ़ाया है, जिसमें कहा गया है कि यदि राज्य में संवैधानिक प्राधिकारियों की टिप्पणियां निर्धारित समय सीमा के भीतर प्राप्त नहीं होती हैं, तो विधि एवं न्याय मंत्री को यह मान लेना चाहिए कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पास प्रस्ताव में जोड़ने के लिए कुछ नहीं है और उसी के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।' (IANS)

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