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'जब ट्रकों में भरकर आए पाकिस्तानी कबायली ...' कैसे बंटा कश्मीर? जानें PoK के बनने की कहानी

जम्मू कश्मीर आजादी के बाद आजाद रियासत थी और महाराजा थे हरिसिंह। तभी पाकिस्तानी कबीलियाई आए और उन्होंने कश्मीर के बड़े भू भाग पर कब्जा कर लिया। जानें क्या है पीओके बनने की पूरी कहानी...

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : May 12, 2025 23:40 IST, Updated : May 13, 2025 16:22 IST
Amazing story of PoK
पीओके के बनने की क्या है कहानी

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जब भी होता है तो पीओके का नाम जरूर आता है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। उसके बाद एक बार फिर से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था लेकिन फिलहाल दोनों देशों ने सीजफायर का ऐलान किया है और अभी शांति स्थापित है। आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि जिस पीओके को लेकर विवाद होता रहता है वो आखि क्या है, कैसा है? तो बता दें कि कश्मीर के 78 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा बड़े हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है और पाकिस्तान इसे आजाद कश्मीर बताता है। लेकिन सच तो ये है कि ये  आजाद कश्मीर नहीं बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर है, जिसे हम PoK कहते हैं। एक बार तो विवाद इतना बड़ा हो गया था कि ये संयुक्त राष्ट्र तक पहुंच गया था। 

आखिर ये पीओके बना कैसे?

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली और आजादी के साथ-साथ देश दो हिस्सो में बंट गया और इस बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान अलग-अलग दो मुल्क बन गए। उस समय का भारत 500 से ज्यादा छोटी-बड़ी रियासतों में बंटा था लेकिन कुछ रियासतें ऐसी भी थीं, जो भारत और पाकिस्तान में से किसी के साथ नहीं जाना चाहती थीं और इनमें जम्मू-कश्मीर की रियासत भी ऐसी ही थी। इस रियासत की ज्यादातर आबादी मुस्लिम थी और रियासत के मराहाजा हरि सिंह हिंदू थे। तब महाराजा हरि सिंह ने फैसला लिया कि जम्मू-कश्मीर आजाद रियासत रहेगा, ना वो हिंदोस्तान का हिस्सा होगा ना ही पाकिस्तान का।

Kasmir divide

Image Source : INDIATV
आखिर कैसे बंट गया कश्मीर

हिंदोस्तान का बंटवारा तो हो गया लेकिन तभी से पाकिस्तान की नजर कश्मीर पर थी और वो कश्मीर पर कब्जा करना चाहता था लेकिन कश्मीर ने अलग और आजाद रहना ही चुना था। 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान से हजारों कबायलियों से भरे सैकड़ों ट्रक कश्मीर में घुस गए और इन कबायलियों का एक ही मकसद था कश्मीर को किसी तरह से पाकिस्तान में मिलाना। इन कबायलियों को पाकिस्तान की सरकार और सेना का समर्थन था। 

कबायलियों ने किया था कब्जा

दिन गुजरते गए और आजाद कहे जाने वाली रियासत कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों पर ये कबायली कब्जा करते चले गए। जब पानी सिर से ऊपर चला गया तो जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और 27 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ अपनी रियासत के विलय के दस्तावेज पर दस्तखत कर दिए और उसके अगले ही दिन यानी 28 अक्टूबर को भारतीय सेना कश्मीर में घुसी और सभी पाकिस्तानी कबायलियों को भगाने लगी।

kashmir weather

Image Source : FILE PHOTO
कश्मीर में बर्फबारी

बात पहुंच गई थी संयुक्त राष्ट्र

उस समय भारत और पाकिस्तान, दोनों ही सेनाओं के प्रमुख अंग्रेज हुआ करते थे और तब भारत के गवर्नर माउंटबेटन ने भारत पर दबाव डाला और उन्हीं की सलाह पर भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इस मामले को एक जनवरी 1948 को संयुक्त राष्ट्र में ले गए। इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से चार प्रस्ताव आए, जिसमें सबसे पहले आया प्रस्ताव नंबर-38, जिसमें दोनों पक्षों से स्थिति सामान्य बनाने की अपील की गई और ये भी कहा गया कि सुरक्षा परिषद के सदस्य दोनों देशों के प्रतिनिधियों को बुलाकर सीधी बातचीत कराएं।

उसके बाद साल 20 जनवरी 1948 को प्रस्ताव नंबर-39 आया, जिसमें तय हुआ कि समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बनेगी और इसमें एक-एक सदस्य भारत और पाकिस्तान से होंगे और ये दोनों ही तीसरा सदस्य चुनेंगे। 21 अप्रैल 1948 को प्रस्ताव नंबर-47 पास हुआ, जिसमें कश्मीर में जनमत संग्रह कराने पर सहमति बनी। लेकिन शर्त तय हुई कि कश्मीर से पाकिस्तानी कबायली वापस जाएं। 

divided kashmir

Image Source : FILE PHOTO
कश्मीर का बंटवारा

पीओके बनने की ये है कहानी

आखिरकार 3 जून 1948 को प्रस्ताव नंबर-51 पास किया गया, जिसमें तय हुआ कि यूनाइटेड नेशन कमीशन इंडिया-पाकिस्तान को दोनों देशों में भेजा जाएगा। दिसंबर 1948 में इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें जनमत संग्रह और सीजफायर की बात कही गई थी। संयुक्त राष्ट्र में जब तक ये सारे मसले हल किए जा रहे थे तब तक पाकिस्तानी कबायलियों ने कश्मीर के एक बड़े इलाके पर अवैध कब्जा कर लिया था। संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम तो हो गया लेकिन साथ ही ये भी तय हुआ कि भारत के पास जितना कश्मीर था, उतना भारत के पास ही रहेगा और जितने हिस्से पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था, वो उसके पास चला जाएगा। इस कब्जे वाले कश्मीर को ही पीओके कहा जाता है।

 

किस तरह से हुआ बंटवारा

केंद्र सरकार के मुताबिक, पाकिस्तान ने कश्मीर के 78 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है और इसके अलावा 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 वर्ग किमी हिस्सा चीन को दे दिया था, जिसे अक्सा चीन कहा जाता है। पीओके असल में दो हिस्सों में बंटा है. पहला- जिसे पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है और दूसरा- गिलगित-बल्टिस्तान। आजाद कश्मीर वाला हिस्सा भारत के कश्मीर से सटा हुआ है। जबकि, गिलगित-बाल्टिस्तान कश्मीर के सबसे उत्तरी भाग में लद्दाख की सीमा से लगा है।

Pok land

Image Source : FILE PHOTO
पीओके का हिस्सा

क्यों खास है पीओके

रणनीतिक लिहाज से पीओके काफी अहम है क्योंकि इसकी सीमा कई देशों से लगती है। पश्चिम में इसकी सीमा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और खैबर-पख्तूनख्वाह से लगती है। उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान के वखां कॉरिडोर, उत्तर में चीन और पूर्व में भारत के जम्मू-कश्मीर से सीमा जुड़ी हुई है।

साल 1949 में आजाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं और पाकिस्तानी सरकार के बीच एक समझौता हुआ, जिसे कराची समझौता कहा जाता है। इस समझौते के तहत आजाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान को सौंप दिया। आजाद जम्मू-कश्मीर यानी पीओके में अपनी सरकार है लेकिन यहां की सरकार कुछ भी फैसले लेने के लिए पाकिस्तान की सरकार पर निर्भर है। यहां अलग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी है और विधानसभा भी है। 

 

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