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Explainer: मीडिया को नियंत्रित करने वाले कानून का नया ड्रॉफ्ट क्यों ला रही केंद्र सरकार, एक साल में क्यों नहीं पास हुआ बिल

केंद्र सरकार ने इस बिल को एक साल पहले प्रस्तावित किया था। हालांकि, अब तक यह बिल पास नहीं हो पाया है। इसमें एक बार बदलाव हो चुका है और अब सरकार नया ड्राफ्ट लाने पर विचार कर रही है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Aug 13, 2024 15:08 IST, Updated : Aug 13, 2024 15:08 IST
Representative Image- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 में बदलाव करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर के महीने में प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 का प्रस्ताव रखा था। लगभग एक साल बाद भी यह बिल कानून का रूप नहीं ले पाया है। इसे सदन में बहस के लिए भी नहीं रखा गया है। हालांकि, इस बीच इसमें एक बार बदलाव हो चुका है। अब सरकार इस बिल के लिए नया ड्राफ्ट लाने की बात कह रही है। आइए जानते हैं कि पुराने कानून में बदलाव की जरूरत क्यों है, सरकार को नया ड्राफ्ट क्यों लाना पड़ रहा है और पिछले साल प्रस्तावित बिल अब तक कानून क्यों नहीं बन पाया है।

नए कानून की जरूरत क्यों ?

केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 तीन दशकों से प्रभावी है। यह केबल नेटवर्क सहित सीधे प्रसारण की विषय-वस्तु की निगरानी करने वाले प्राथमिक कानून के रूप में कार्य कर रहा है। हालांकि, इस बीच प्रसारण परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। तकनीकी प्रगति ने डीटीएच, आईपीटीवी, ओटीटी और विभिन्न एकीकृत मॉडल जैसे नए प्लेटफॉर्म पेश किए हैं। प्रसारण क्षेत्र के डिजिटलीकरण के साथ, विशेष रूप से केबल टीवी में, नियामक प्रारूप को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता बढ़ रही है। डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर भी नियंत्रण की जरूरत महसूस की गई है। इसी वजह से सरकार पुराने कानून में बदलाव कर रही है।

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 क्या है?

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 देश में प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने के लिए एक समेकित प्रारूप का प्रावधान करने के साथ-साथ मौजूदा केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और वर्तमान में देश में प्रसारण क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले अन्य नीति दिशानिर्देशों में बदलाव लाने का प्रयास करता है। इस बिल में टीवी के साथ ओवर द टॉप (OTT), सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और करंट अफेयर्स को भी शामिल किया गया है। इस ड्रॉफ्ट के अनुसार ऑनलाइन समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री तैयार करने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को डिजिटल समाचार प्रसारक माना गया है। इसमें न्यूज़लेटर, सोशल मीडिया पोस्ट, वीडियो और पॉडकास्ट बनाने वाले भी शामिल हैं। इंटरनेट सेवा प्रदाता, सोशल मीडिया पोर्टल और ऑनलाइन सर्च इंजन को मध्यस्थ माना गया है। हालांकि, सरकार ने नया बिल लाने की बात कही है, जिसमें यह परिभाषा बदल सकती है।

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 में क्या था नियम?

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 के अनुसार डिजिटल समाचार प्रसारकों को अपने काम के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) को सूचित करना अनिवार्य है। उन्हें अपने कंटेंट की देखरेख करने के लिए एक मूल्यांकन समिति भी नियुक्त करनी होगी, ऐसा न करने पर उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। पहली बार नियम का उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपये और अगले तीन साल के दौरान दूसरी बार उल्लंघन के लिए 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। 

नया बिल क्यों ला रही सरकार?

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 में काफी सख्त नियम हैं और इसकी काफी आलोचना हुई है। कहा गया कि यह विधेयक डिजिटल समाचार प्रसारकों के लिए सुचारू संचालन पर कम और सेंसरशिप की तरफ ज्यादा झुका हुआ प्रतीत होता है। इसके अलावा कई लोगों ने इस विधेयक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदी का जरिया बताया। डिजीपब और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया जैसे समूहों ने दावा किया कि इस बिल को बनाने से पहले डिजिटल मीडिया संगठनों और नागरिक समाज संघों से कोई बात नहीं की गई।

विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस बिल की आलोचना की। प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर सोशल मीडिया, ओटीटी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म और निजी तौर पर लिखने और बोलने वालों का मुंह बंद करने का आरोप लगाया। इसी वजह से सरकार सभी की शंका दूर करती नजर आ रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने सुझाव और टिप्पणियां मांगने की अवधि बढ़ा दी है और दोहराया है कि वह विस्तृत परामर्श के बाद एक नया मसौदा पेश करेगी।

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