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Explainer: क्यों बांग्लादेश में 'इंडिया आउट' कैंपेन नहीं चल सकता, जानें आर्थिक रूप से भारत पर किस हद तक निर्भर है पड़ोसी देश

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी मालदीव के तर्ज पर बांग्लादेश में भारत विरोधी कैंपेन चला रही है। इसे लेकर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का साफ कहना है कि भारत विरोधी अभियान को विपक्षी पार्टी बीएनपी हवा दे रही है।

Edited By: Amit Mishra
Published : Apr 02, 2024 16:04 IST, Updated : Apr 02, 2024 16:04 IST
भारत बांग्लादेश संबंध (फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : AP भारत बांग्लादेश संबंध (फाइल फोटो)

Bangladesh India Out Campaign: मालदीव के बाद अब बांग्लादेश में भारत विरोधी अभियान सियासी मुद्दा बन गया है। भारत विरोधी अभियान को लेकर देश की सत्ताधारी अवामी लीग और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) एक दूसरे पर हमलावर हैं। बांग्लादेश में 'इंडिया आउट' कैंपेन की शुरुआत जनवरी में हुए आम चुनावों के बाद हुई है। चुनावों में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी। विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भारत पर बांग्लादेश में हुए चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। जिसके बाद से यह मामला लगातार बढ़ता गया और एक तरह से इंडिया आउट कैंपेन की मुहिम शुरू हो गई। इसको कुछ इस तरह से भी देखा जा सकता है जैसा कुछ समय पहले मालदीव में हुआ था।

ऐसे मिली इंडिया आउट कैंपेन को हवा 

द फ्रंटलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीएनपी नेताओं ने बाग्लादेशी नागरिकों से भारत के उत्पाद इस्तेमाल ना करने की अपील की थी। इंडिया आउट कैंपेन लिए बीएनपी नेताओं ने देश के बाहर रहने वाले प्रभावशाली लोगों की मदद भी ली। रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस में रहने वाले निर्वासित बांग्लादेशी चिकित्सक और प्रभावशाली सोशल मीडिया कार्यकर्ता पिनाकी भट्टाचार्य ने जनवरी के मध्य में "इंडिया आउट" अभियान की घोषणा की थी। उन्होंने अपने लाखों फॉलोअर्स से बांग्लादेश और विदेशों में भारतीय उत्पाद नहीं खरीदने का आग्रह किया था। पिनाकी ने "बांग्लादेश के घरेलू मामलों में भारत के लगातार हस्तक्षेप" का विरोध किया था। हालांकि, उन्होंने अपने दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया।

'शेख हसीना को है नई दिल्ली का समर्थन' 

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी मालदीव के तर्ज पर बांग्लादेश में भारत विरोधी कैंपेन चला रही है। बीएनपी के प्रमुख नेता जनरल रुहुल कबीर रिजवी ने हाल ही में 'इंडिया आउट' कैंपेन के समर्थन अभियान के दौरान अपनी  कश्मीरी शॉल जला दी थी। शॉल जलाने की घटना के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देने वालों की बाढ़ आ गए। कई अन्य विपक्षी नेता भी इसमें शामिल हो गए और #इंडियाआउट, #बॉयकॉटइंडियनप्रोडक्ट्स के साथ तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए। बीएनपी का आरोप है कि शेख हसीना की पार्टी को भारत का समर्थन प्राप्त है, नई दिल्ली ने कभी ढाका का समर्थन नहीं किया। भारत विरोधी अभियान में बीएनपी नेता भड़काऊ बयान दे रहे हैं। साथ ही भारतीय उत्पादों के बहिष्कार को हवा भी दे रहे हैं। 

भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध 

भारत और बांग्लादेश के बीच आर्थिक, व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं।  बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया है। वित्त वर्ष 2022-23 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 15.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर बताया गया है। भारत के प्रमुख निर्यात उत्पादों में मसाले, कपास, अनाज, प्लास्टिक, चीनी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कॉफी, चाय, लोहे या स्टील से बनी चीजें शामिल हैं। इसके विपरीत भारत बांग्लादेश से कपड़ा आयात करता है।

भविष्य पर नजर  

यहां यह जानना जरूरी है कि, इस साल की शुरुआत में फरवरी में, ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय कुमार वर्मा ने कहा था कि भारत एशिया में बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात डेस्टिनेशन है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग की क्षमता को उजागर करने में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए वर्मा ने कहा था कि बेहतर कनेक्टिविटी लिंक और भारतीय रुपये में व्यापार जैसे नए उपाय भारत में बांग्लादेशी निर्यात को और बढ़ाएंगे। 

हर क्षेत्र में भारत कर रहा सहयोग 

भारत और बांग्लादेश इतिहास, भाषा, संस्कृति और कई अन्य समानताओं के बंधन साझा करते हैं। इसके अलावा, ढाका अपनी अन्य जरूरतों के लिए भारत पर काफी निर्भर है। डीजल, गैस और बिजली जैसी जरूरतें भी भारत ही पूरी करता है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, बांग्लादेश फिलहाल भारत से 1160 मेगावाट बिजली आयात कर रहा है। इसके अलावा, भारत ने सड़क, रेलवे, शिपिंग और बंदरगाहों सहित विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पिछले 8 वर्षों में बांग्लादेश को लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की 4 लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) प्रदान की है। इतना ही नहीं भारत सरकार बांग्लादेश को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता भी प्रदान कर रही है, जिसमें अखौरा-अगरतला रेल लिंक का निर्माण, बांग्लादेश में अंतर्देशीय जलमार्गों की ड्रेजिंग और भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का निर्माण शामिल है।

इंडिया आउट कैंपेन का असर

भारत के पड़ोसी देश में विरोध का चलन नया नहीं है। भारत विरोधी अभियान से बीएनपी नेताओं को घरेलू स्तर पर लाभ हो सकता है, लेकिन यह दोनों एशियाई देशों के बीच संबंधों के लिए कोई  खतरा पैदा नहीं करेगा। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का साफ कहना है कि भारत विरोधी अभियान को विपक्षी पार्टी बीएनपी हवा दे रही है और भारत के खिलाफ देश में माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। 26 मार्च को बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शेख हसीना ने इंडिया आउट कैंपेन चलाने के लिए बीएनपी पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था विपक्षी दल के नेता पहले अपने घर में रखी भारतीय साड़ियों को जलाएं फिर भारत के खिलाफ बात करें। उन्होंने इस दौरान ये भी कहा कि बांग्लादेश के लोगों की रसोई में रखा हुआ अधिकांश सामान भारत से ही खरीदा गया है।

चीन पर नकेल

गौर करने वाली बाय ह भी है कि, चीन एशिया में अपना दखल बढ़ाने की कोशिश लगातार कर रहा है। भारत और पाकिस्तान दोनों से भौगोलिक तौर पर करीब होने की वजह से चीन के लिए बांग्लादेश रणनीतिक तौर पर खासा अहम हो गया है। चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के लिए भी बांग्लादेश पर नजर रखना जरूरी है। अब ऐसे में बांग्लादेश में भारत विरोधी अभियान के पीछे अन्य ताकतें और कारण भी हो सकते हैं, जिनका बारीकी से विश्लेषण जरूरी है। 

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