
डीजनरेटिव स्कॉलियोसिस (Degenerative Scoliosis) रीढ़ की हड्डी से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें उम्र के साथ रीढ़ की हड्डी 'S' या 'C' आकार में मुड़ जाती है। आर्टेमिस अस्पताल के डॉ. धीरज बथेजा बता रहे हैं कि आखिर स्कोलियोसिस है क्या इसके लक्षण क्या हैं और इसका दर्द कैसे कम किया जाये?
क्या है स्कोलियोसिस?
स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसमें रीढ़ की हड्डी सीधी रहने के बजाय अंग्रेजी के 'S' या 'C' के आकार में मुड़ जाती है। यह मुड़ाव अक्सर शरीर के एक तरफ झुकने का कारण बनता है। यह समस्या 40 साल की उम्र के बाद ज़्यादा देखी जाती है और इसमें लोगों को काफ़ी दर्द का सामना करना पड़ता है।
स्कोलियोसिस के लक्षण:
-
भीषण दर्द: रीढ़ की हड्डी में मुड़ाव के कारण गंभीर पीठ दर्द या कमर दर्द।
-
चलने-फिरने में परेशानी: रीढ़ की हड्डी के असामान्य आकार के कारण चलने-फिरने में कठिनाई और गतिशीलता में कमी।
-
संतुलन बनाने में समस्या: शरीर का संतुलन बनाए रखने में दिक्कत, जिससे गिरने का खतरा बढ़ सकता है।
-
शरीर का झुकाव: रीढ़ की हड्डी के मुड़ने के कारण शरीर का एक तरफ झुकना (यह एक प्रमुख दृश्य लक्षण है)।
डीजनरेटिव स्कॉलियोसिस का दर्द कम करने के उपाय
-
हर सुबह करें स्ट्रेचिंग: डीजनरेटिव स्कॉलियोसिस के दर्द से राहत पाने के लिए रोज़ सुबह स्ट्रेचिंग करना पहला और सबसे ज़रूरी कदम है। सीधे खड़े होकर हाथों को ऊपर उठाएँ और शरीर को एक तरफ झुकाकर थोड़ी देर रुकें। फिर यही प्रक्रिया दूसरी ओर दोहराएँ। दोनों हाथों की उंगलियों को कंधों के पीछे एक-दूसरे में फंसाकर स्ट्रेच करने से भी काफ़ी आराम मिलता है।
-
शरीर को गर्म रखें: अपने कमरे का तापमान सही बनाए रखें। सर्दी में बाहर निकलते समय गर्म कपड़े ठीक से पहनें। इसमें ज़रा सी भी लापरवाही दर्द को बढ़ा सकती है।
-
खानपान सही रखें: डीजनरेटिव स्कॉलियोसिस के मरीज़ों को अक्सर स्पाइनल इन्फ्लेमेशन (रीढ़ की हड्डी में सूजन) की समस्या होती है। ऐसे में ऐसा आहार लें जिससे इन्फ्लेमेशन न हो। अपने भोजन में फल, सब्ज़ियां, गुड फैट, बादाम और अन्य ड्राई फ्रूट्स शामिल करें। मेथी और दालचीनी का सेवन भी फ़ायदेमंद हो सकता है। चीनी, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, प्रोसेस्ड मीट, ट्रांस फैट और अल्कोहल से परहेज़ करें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
-
विटामिन सप्लीमेंट: चिकित्सक अक्सर विटामिन D3 लेने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह बोन डेंसिटी बढ़ाता है और हड्डियों को मज़बूत करता है।
-
सही मैट्रेस: सोते समय सही मैट्रेस का इस्तेमाल करने से दर्द में बहुत फर्क पड़ता है। बहुत नर्म गद्दे पर सोने से दर्द बढ़ सकता है। यदि आपको सुबह जागने पर दर्द या रीढ़ की हड्डियों में जकड़न महसूस होती है, तो मैट्रेस बदलने पर विचार करें।
इन सुझावों का पालन करके आप डीजनरेटिव स्कॉलियोसिस के दर्द को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं और अपनी जीवनशैली को बेहतर बना सकते हैं। यदि दर्द ज़्यादा हो या घरेलू उपायों से आराम न मिले, तो हमेशा किसी स्पाइन विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स केवल आम जानकारी के लिए हैं। सेहत से जुड़े किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने या किसी भी बीमारी से संबंधित कोई भी उपाय करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।