Tuesday, April 30, 2024
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Dog Father: कहानी एक ऐसे शख्स की, जिसने स्ट्रीट डॉग्स के लिए बेच दीं अपनी 20 कारें और 3 मकान

Dog Father: राकेश के लिए कभी सफल होने का मतलब था कि कई गाडियां और घर का मालिक होना। एक समय ऐसा भी था जब उनके पास 20 से अधिक गाडियां थीं। लेकिन अब उनकी सोच और मकसद बदल चुका है। अब जीवन का एक मकसद है कि मैं कितने ज्यदा कुत्त्तों की जान बचा सकता हूं।

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur
Updated on: July 16, 2022 11:51 IST
Dog Father Rakesh- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK/RAKESH SHUKLA Dog Father Rakesh

Highlights

  • वर्ष 2009 से कर रहे हैं कुत्तों को बचाने का काम
  • हर महीने आता है लाखों का खर्चा
  • Voice of Stray Dogs नाम से है संस्था

Dog Father: लखनऊ में एक पिटबुल ब्रीड कुत्ते के द्वारा अपनी मालकिन को काटकर मार देने के बाद कुत्ते पालने को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है। लोग चर्चा कर रहे हैं कि कुत्ते को पालना चाहिए या नहीं? अगर पालना चाहिए तो कौन सी ब्रीड का होना चाहिए? पालने के लिए कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए? सोशल मीडिया पर लगभग हर यूजर इसको लेकर एक्सपर्ट बना हुआ है और अपनी राय पेश कर रहा है। सबकी अपनी राय हैं और अपने विचार हैं। लेकिन आज हम इस लेख आपको कोई राय-मशविरा नहीं देंगे। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिसने कुत्तों को पालने के लिए अपनी जिंदगी लगा दी। वह कुत्तों को अपने बच्चों की तरह पालता है। उनके रखरखाव के लिए उसने अपनी कई गाडियां और घर तक बेंच दिए। 

दुनिया राकेश को 'डॉग फादर' के रूप में जानती है 

दक्षिण भारत के राज्य कर्णाटक की राजधानी और भारत की सिलिकॉन वैली के नाम से मशहूर बंगलौर शहर के राकेश का एक अच्छा-खासा बिजनेस है। बिजनेस के सिलसिले में वे दुनिया के कई देशों में और शहरों में गए और वहां काम किया। बिजनेस जगत में अच्छा-ख़ासा नाम किया। लेकिन आज दुनिया इन्हें 'डॉग फादर' के नाम से जानती है। 48 साल के राकेश बताते हैं कि, "कभी उनके लिए सफल होने का मतलब था कि कई गाडियां और घर का मालिक होना। एक समय ऐसा भी था जब उनके पास 20 से अधिक गाडियां थीं। लेकिन अब उनकी सोच और मकसद बदल चुका है। अब जीवन का एक मकसद है कि मैं कितने ज्यदा कुत्त्तों की जान बचा सकता हूं।"

Dog in Rakesh Farm

Image Source : FACEBOOK/RAKESH SHUKLA
Dog in Rakesh Farm

राकेश बताते हैं कि साल 2009 में वह एक दिन अपने घर एक 45 दिन का Golden Retriever ब्रीड का कुत्ता लेकर आए। उन्होंने उसका नाम ‘काव्या’ रखा। कुछ महीनों बाद एक घटना हुई, हर रोज़ की तरह वह अपने डॉग के साथ वॉक पर निकले और उस दौरान उन्हें एक Puppy दिखाई दिया। यह पपी बारिश से जैसे-तैसे अपनी जान बचा पाया था। वह उसे घर ले आए और उसका नाम रखा लकी। बस यहीं से उन्होंने स्ट्रीट डॉग्स को बचने और उनके पालन-पोषण का सिलसिला शुरू हुआ। शुरुआत में, इसका विरोध खुद उनकी पत्नी ने भी किया था लेकिन बाद वह ही उनकी सबसे बड़ी सहयोगी बनीं। उनकी पत्नी ने एक ज़मीन ख़रीदकर एक फ़ार्म हाउस बनाया और इन डॉग्स को आश्रय दिया। 

Dogs in Rakesh Farm

Image Source : FACEBOOK/RAKESH SHUKLA
Dogs in Rakesh Farm

एक कुत्ते को बचाने से शुरू हुआ यह सिलसिला धीरे-धीरे सैकड़ों की संख्या में पहुंच गया। जिसके बाद राकेश ने Voice of Stray Dogs (VOSD) नाम की संस्था रजिस्टर करवाई, जो स्ट्रीट डॉग्स और उनके पुनर्वास के लिए काम करती है। वह हर महीने 15 लाख रुपये इन डॉग्स की केयर में लगाते हैं। राकेश की संस्था VOSD में 90 प्रतिशत फ़ंड उनकी ख़ुद की टेक फ़र्म (TWB) से ही आता है। उन्होंने ऐसी तकनीक, संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया, जो डॉग्स के प्रोटेक्शन में काम आता है।

Dog in Rakesh Farm

Image Source : FACEBOOK/RAKESH SHUKLA
Dog in Rakesh Farm

यहां मानसिक, फिजिकल और मेडिकली बीमार कुत्तों का ध्यान रखा जाता है। राकेश की संस्था में सिर्फ स्ट्रीट डॉग्स ही नहीं बल्कि पुलिस और सेन में सेवा दे चुके कुत्ते भी रहते हैं। चूंकि एक उम्र के बाद कुत्तों को सेन आया पुलिस से रिटायर कर दिया जाता है। जिसके बाद इन्हें अलग-अलग संस्थाओं को दे दिया जाता है। राकेश की संस्था भी कई ऐसे कुत्तो का पालन-पोषण करती है। 

Dog in Rakesh farm

Image Source : FACEBOOK/RAKESH SHUKLA
Dog in Rakesh farm

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