Monday, April 29, 2024
Advertisement

‘स्वच्छता का सपना गांधी, मोदी या सरकारों से नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की जनभागीदारी से पूरा होगा’

मोदी ने कहा कि स्वच्छता अभियान भारत सरकार का नहीं, देश के सामान्य आदमी का सपना बन चुका है। अब तक जो सफलता मिली है वह देशवासियों की है, सरकार की नहीं। समाज की भागीदारी के बिना स्वच्छता मिशन पूरा नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से हमने बहुत सारी चीजें सरकारी ब

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: October 02, 2017 14:49 IST
PM_Modi- India TV Hindi
PM_Modi

नयी दिल्ली: सुराज की स्थापना के लिये स्वच्छाग्रही देशवासियों के जनभागीदारी के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक हजार गांधीजी आ जाएं, 1 लाख मोदी आ जाएं, सभी मुख्यमंत्री और सरकारें लग जाएं लेकिन स्वच्छता का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक सवा सौ करोड़ देशवासी इसे जनभागीदारी के साथ आगे नहीं बढ़ाएंगे। स्वच्छ भारत अभियान के तीन साल पूरा होने पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता अभियान के तीन साल में हम आगे बढ़े हैं। इस कार्यक्रम को तीन वर्ष पहले जब मैंने शुरू किया था, तब मीडिया, राजनीतिक दलों समेत कई वर्गो से मुझे आलोचना का सामना करना पड़ा था। बेशक, इसके लिए लोगों ने मेरी आलोचना की कि हमारी 2 अक्टूबर की छुट्टी खराब कर दी। बच्चों की छुट्टी खराब की। मेरा स्वभाव है कि बहुत सी चीजें झोलता रहता हूं। मेरा दायित्व भी ऐसा है, झेलना भी चाहिए और झेलने की कैपेसिटी भी बढ़ा रहा हूं। हम तीन साल तक लगातार लगे रहे। ये भी पढ़ें: गुरु को दिए तीन वचनों को तोड़ा और बर्बाद हुआ राम रहीम, जानें संत की तीन सौगंध का रहस्य

उन्होंने कहा कि हम आगे बढ़े हैं, लोगों का व्यापक समर्थन मिला है, मीडिया का व्यापक समर्थन मिला है। इतना व्यापक समर्थन हो और फिर भी चीजों को गति नहीं दे पाएं, तब तो जवाब देना पड़ेगा। इस काम में चुनौतियां हैं लेकिन इससे भागा नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने सवालिया अंदाज में कहा, चुनौतियां हैं, इसलिये इस काम को हाथ नहीं लगाये, चुनौतियां है, इसलिए देश को ऐसे ही रहने दिया जाए..... उन्हीं चीजों को हाथ लगाये जहां वाहवाही मिले, जयकारा मिले.... क्या ऐसे काम से भागना चाहिए। मोदी ने कहा कि कोई इंसान ऐसा नहीं है, जिसे गंदगी पसंद हो। मूलत: हमारी प्रवृत्ति स्वच्छता पसंद करने की है। हमारे देश में एक गैप रह गया कि स्वच्छता काम की शुरूआत कौन करें।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, एक हजार गांधी जी आ जाएं, एक लाख मोदी आ जाएं, राज्य सरकारें आ जाए, मुख्यमंत्री आ जाएं... तो भी स्वच्छता का सपना पूरा नहीं हो सकता, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासी आ जाएं तो पूरा हो जाएगा। मुझे विश्वास है कि पांच साल आते-आते यह खबर नहीं छपेगी कि कौन स्वच्छता अभियान से जुड़ा था, बल्कि यह छपेगा कि इससे दूर कौन भाग रहे थे। समाज की शक्ति को अगर हम स्वीकार करके चलें...जन भागीदारी को स्वीकार करके चलें....... सरकार को कम करते चलें.......समाज को बढ़ाते चलें तो यह मिशन सफल होता ही जाएगा। उन्होंने कहा कि हम महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चल रहे हैं और उनका बताया रास्ता गलत हो ही नहीं सकता।

मोदी ने कहा कि स्वच्छता अभियान भारत सरकार का नहीं, देश के सामान्य आदमी का सपना बन चुका है। अब तक जो सफलता मिली है वह देशवासियों की है, सरकार की नहीं। समाज की भागीदारी के बिना स्वच्छता मिशन पूरा नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से हमने बहुत सारी चीजें सरकारी बना दी। हमें समझाना होगा कि जब तक जनभागीदारी होती है तब तक कोई समस्या नहीं आती है और इसका उदाहरण गंगा तट पर आयोजित होने वाला कुंभ महोत्सव है।

स्वच्छता अभियान पर तंज कसने वालों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कुछ लोग ऐसे हैं जो अभी भी इसका :स्वच्छता अभियान: मजाक उड़ाते हैं, आलोचना करते हैं। वे कभी स्वच्छ अभियान में गये ही नहीं। आलोचना करते हैं, तो उनकी मर्जी, उनकी कुछ मुश्किलें होंगी। लेकिन पांच साल पूरा होने पर मीडिया में यह खबर नहीं आयेगी कि स्वच्छता अभियान में किसने हिस्सा लिया, कौन काम कर रहा है... खबर यह आयेगी कि कौन लोग इससे दूर भाग रहे हैं और कौन लोग इसके खिलाफ थे। क्योंकि जब देश किसी बात को स्वीकार कर लेता है, तब चाहे..अनचाहे आपको स्वीकार करना ही होता है।

उन्होंने कहा कि स्वच्छता का सपना अब बापू का सपना नहीं रहा बल्कि यह जनमानस का सपना बन चुका है। अब तक जो सिद्धी मिली है, वह सरकार की सिद्धी नहीं है, यह भारत सरकार या राज्य सरकार की सिद्धी नहीं है.. यह सिद्धी स्वच्छाग्रही देशवासियों की सिद्धी है। मोदी ने कहा कि हमें स्वराज्य मिला और स्वराज्य का शस्त्र सत्याग्रह था। सुराज का सशस्त्र स्वच्छाग्रह है। प्रधानमंत्री ने उदाहरण दिया कि एक गांव में शौचालय बनवाया गया। बाद में वहां जाकर देखा तो लोगों ने उनमें बकरियां बांध रखी थी, लेकिन इसके बावजूद हमें काम करना है। समाज का सहयोग जरूरी है। स्वच्छता के लिये जब हाथ साबुन से धोने के अभियान की बात आई तब भी लोगों ने हमें गालियां दीं।

उन्होंने कहा कि मोदी को गाली देने के लिये हजार विषय है। हर दिन कोई न कोई ऐसा करता मिलेगा। लेकिन समाज के लिये जो विषय बदलाव लाने वाले हैं, उन्हें मजाक का विषय नहीं बनाया जाए। उन विषयों को राजनीति के कटघरे में नहीं रखें। बदलाव के लिये हम सभी को जनभागीदारी के साथ काम करना है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के लिये वैचारिक आंदोलन भी चाहिए। व्यवस्थाओं के विकास के बावजूद भी परिवर्तन तब तक नहीं आता है जब तक वह वैचारिक आंदोलन का रूप नहीं लेता है। बच्चों समेत अन्य लोगों को पुरस्कार प्रदान करते हुए मोदी ने कहा कि चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगिता ऐसे ही वैचारिक आंदोलन का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि सरकार सोचे कि हम इमारतें बना देंगे और टीचर दे देंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा तो ऐसा नहीं है। घरवाले अगर बच्चे को स्कूल नहीं भेजेंगे तो शिक्षा का प्रसार कैसे होगा। ऐसे में समाज की भागीदारी बहुत जरूरी है। मोदी ने कहा कि स्वच्छता का आंकड़ा तेजी से सुधरा है। उस हिसाब से गति तो ठीक है, लेकिन स्वच्छता के विषय को जब तक एक महिला के नजरिये से नहीं देखेंगे तब तक हम इसे नहीं समझेंगे। एक घर में कूड़ा-करकट सभी फैलाते हैं लेकिन एक मां उसको साफ करती रहती है। उस महिला का दर्द समझो और गंदगी न फैलाएं।

उन्होंने कहा कि कल्पना करें कि गांव में रहने वाली माताएं-बहनें प्राकृतिक कार्य के लिए अंधेरे में जाती हैं। अगर उजाला हो गया और शौच जाने की इच्छा हुई तो वह रात तक अंधेरे का इंतजार करती हैं। आप उन माताओं और बहनों का दर्द समझोगे तो स्वच्छता के कार्य को करेंगे। उन्होंने कहा कि मैं जबसे प्रधानमंत्री बना हूं तो बहुत से लोग मुझसे मिलते हैं। चलते-चलते बायोडाटा मुझे पकड़ा देते हैं कि मेरे लायक कोई सेवा हो तो बता देना, मैं धीरे से कहता हूं कि स्वच्छता के लिए थोड़ा समय दीजिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज की शक्ति को अगर हम समझेंगे, उसे स्वीकार करेंगे, जनभागीदारी को मानेंगे... तब यह आंदोलन सफल होगा ही। उन्होंने कहा कि कुछ लोग विदेश जाते हैं और वहां की साफ सफाई की चर्चा करते हैं। मैं पूछता हूं कि वहां कूड़ा फेंकते किसी को देख है क्या मोदी ने कहा कि आज स्वच्छता पर चर्चा हो रही है। स्वच्छता रैकिंग हो रही है। सबसे स्वच्छ शहर कौन है, दूसरे, तीसरे स्थान पर कौन है। इसके लेकर सकारात्मक प्रतिस्पर्धा हो रही है। सरकार से लेकर नेताओं पर दबाव बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में देश को आगे बढ़ाने का बड़ा अवसर है। 2022 तक हमें करना है .....तब हमें चुप नहीं बैठना है। कौन दोषी है.. यह मुद्दा नहीं है... हम सभी को मिलकर यह करना है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement