Tuesday, December 30, 2025
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CBI विवाद: आलोक वर्मा ने कहा- निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया मेरा ट्रांसफर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने भ्रष्टाचार और कर्त्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में गुरुवार को वर्मा को पद से हटा दिया।

Reported by: Bhasha
Published : Jan 11, 2019 09:37 am IST, Updated : Jan 11, 2019 09:37 am IST
I was transferred on the basis of false, unsubstantiated and frivolous allegations, says Alok Verma - India TV Hindi
I was transferred on the basis of false, unsubstantiated and frivolous allegations, says Alok Verma | PTI

नई दिल्ली: उच्चस्तरीय चयन समिति द्वारा CBI निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने दावा किया है कि उनका तबादला उनके विरोध में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय चयन समिति ने भ्रष्टाचार और कर्त्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में गुरुवार को वर्मा को पद से हटा दिया। इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए वर्मा ने गुरुवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते CBI की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए। मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। इसे केन्द्र सरकार और CVC के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया।’ वर्मा ने ‘अपने विरोधी एक व्यक्ति द्वारा लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों’ के आधार पर समिति द्वारा तबादले का आदेश जारी किए जाने को दुखद बताया। सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के IPS अधिकारी को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का निदेशक नियुक्त किया गया है। CBI निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव के पास है।

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस ए.के. सीकरी हैं। जस्टिस सीकरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया है। वर्मा ने कहा कि समिति को CBI निदेशक के तौर पर उनके भविष्य की रणनीति तय करने का काम सौंपा गया था। उन्होंने कहा, ‘मैं संस्था की ईमानदारी के लिए खड़ा रहा और यदि मुझसे फिर पूछा जाए तो मैं विधि का शासन बनाए रखने के लिए दोबारा ऐसा ही करूंगा।’ जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद वर्मा बुधवार को अपनी ड्यूटी पर लौटे। AGMUT काडर के IPS अधिकारी वर्मा बुधवार को सुबह करीब 10:40 पर CBI मुख्यालय पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को छुट्टी पर भेजने के विवादास्पद सरकारी आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया था।

वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना दोनों को सरकार ने 23 अक्टूबर, 2018 की देर शाम जबरन छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिये थे। अधिकारियों के अनुसार CBI मुख्यालय पहुंचने पर वर्मा का राव ने स्वागत किया। 1986 बैच के ओडिशा काडर के IPS अधिकारी एम नागेश्वर राव (तत्कालीन संयुक्त निदेशक) को 23 अक्टूबर, 2018 को देर रात को CBI निदेशक के दायित्व और कार्य सौंपे गये थे। उन्हें बाद में अतिरिक्त निदेशक के रुप में प्रोन्नत किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को दरकिनार कर दिया था लेकिन उन्हें उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की सीवीसी जांच पूरी होने तक कोई बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से रोक दिया था। ‘बड़े नीतिगत’ फैसले की स्पष्ट परिभाषा के अभाव में एक प्रकार की अनिश्चितता बनी ही रही कि किस हद तक वर्मा के अधिकार सीमित किये जाएंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कोई भी अगला निर्णय उच्चाधिकार प्राप्त समिति ही लेगी जो CBI निदेशक का चयन और नियुक्ति करती है।

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