Monday, April 29, 2024
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गिर अभ्यारण्य में शेरों की मौत बहुत गंभीर मामला, केन्द्र इस पर ध्यान दे: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केन्द्र से कहा कि गुजरात के गिर अभ्यारण्य में तीन सप्ताह के भीतर 23 शेरों की रहस्यमय मृत्यु के मामले पर गौर करे।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 03, 2018 20:45 IST
Death Of Gir Lions "Serious Situation", Government Must Act: supreme court- India TV Hindi
Death Of Gir Lions "Serious Situation", Government Must Act: supreme court

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केन्द्र से कहा कि गुजरात के गिर अभ्यारण्य में तीन सप्ताह के भीतर 23 शेरों की रहस्यमय मृत्यु के मामले पर गौर करे। ऐसा संदेह है कि किसी वायरस संक्रमण की वजह से इन शेरों की मौत हुयी है। जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से कहा, ‘‘आज हमारे सामने एकदम अजीब समस्या है। शेर मर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वहां किसी किस्म का वायरस है। हमें मालूम नहीं। ऐसा ही समाचार पत्रों में आ रहा है। आप इसका पता लगायें।’’ 

पीठ को सूचित किया गया कि दुनिया में एशियाई शेरों के इस एकमात्र ठिकाने में पिछले तीन सप्ताह में 23 शेरों की मौत हो चुकी है। अधिवक्ता ऋत्विक दत्ता ने पीठ से कहा, ‘‘यदि यह किसी किस्म का वायरस संक्रमण है तो फिर इस इलाके से सारे ही शेरों का सफाया हो जायेगा।’’ यह पीठ अफ्रीका में नामीबिया से भारत में चीतों को फिर से लाने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से शेरों की मौत हो रही है उससे दूसरे जानवरों में भी यह महामारी फैलने की आशंका है। 

गुजरात सरकार ने सोमवार को कहा था कि कुछ शेरों की मौत वायरस संक्रमण के कारण हुई है। उसने कहा था कि इन शेरों की मौत के जिम्मेदार वायरल की अभी पहचान होनी है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर कर यह अनुरोध किया था कि न्यायालय का 2013 का फैसला भारत में उचित जगह पर अफ्रीका से लाकर चीते बसाने से प्राधिकारियों को रोकता नहीं है। 

इस मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने नाडकर्णी से गिर अभ्यारण्य में शेरों की मौत के बारे में पूछा और कहा, ‘‘शेरों के मामले में आप क्या कर रहे हैं?’’ इस पर नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि गुजरात में शेरों से संबंधित एक मामला पहले से ही शीर्ष अदालत में लंबित है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पता लगाऊंगा।’’ सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के वकील ने पीठ से कहा कि उसने अफ्रीका से भारत में चीतों को बसाने के लिये अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण् यूनियन की आवश्यकताओं का पालन किया है। 

हालांकि, पीठ ने प्राधिकरण से सवाल किया कि क्या उसने इस संगठन से अनुमति प्राप्त की है। क्या उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट इस मामले में अब 29 अक्तूबर को आगे विचार करेगा। 

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