Tuesday, April 16, 2024
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Indian Railways की बड़ी खबर, इस सेवा के लिए मार्च तक करना पड़ सकता है इंतजार

Indian Railways:कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 2020 में पहली बार आधुनिक भारत को इस बात का अनुभव हुआ कि ट्रेनों के बिना जीवन कैसे हो सकता है?

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 22, 2021 16:58 IST
Indian Railways alert Big update on the operations of all trains, know when will they restart train - India TV Hindi
Image Source : PTI कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 2020 में पहली बार आधुनिक भारत को इस बात का अनुभव हुआ कि ट्रेनों के बिना जीवन कैसे हो सकता है?

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 2020 में पहली बार आधुनिक भारत को इस बात का अनुभव हुआ कि ट्रेनों के बिना जीवन कैसे हो सकता है? कोरोना वायरस से प्रभावित रहे 2020 में भारत के लोगों ने जहां ट्रेनों के महत्व को जाना, वहीं रेलवे ने भी यात्री ना होने की स्थिति में तमाम नई सेवाएं शुरू कर देश की वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद की। लॉकडाउन के बाद ट्रेन सेवाएं शुरू भी हुईं, लेकिन 100 प्रतिशत तक संचालन अभी तक शुरू नहीं हो सके हैं। अब रेल मुसाफिरों और IRCTC के लिए एक और मायूसी भरी खबर आ रही है। रेलवे  के मुताबिक, सभी ट्रेनों को वापस ट्रैक पर लौटने में 2 महीने और लग सकते हैं। सौ प्रतिशत रेलवे संचालन पर लौटने में मार्च अंत तक का समय लग सकता है।

हर महीने ट्रेनों की संख्या में 100-200 का इजाफा किया जा रहा

सूत्रों के मुताबिक, अगले कारीब एक महीने में दिल्ली से हरियाणा के शहर जैसे सोनीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम या फिर राजस्थान के सटे शहरों के लिए लोकल सब-अर्बन ट्रेन सेवा की बहाली कर दी जाएगी। फिलहाल रेलवे सभी मेल या एक्सप्रेस ट्रेन का सिर्फ 65% ही संचालन कर रही है। हालांकि रेलवे के मुताबिक, हर महीने ट्रेनों की संख्या में 100-200 का इजाफा किया जा रहा है। गौरतलब है कि भारत में कोरोना वायरस के मद्देनजर 24 मार्च को लॉकडाउन लगाया गया था और 167 साल के रेलवे के इतिहास में पहली बार इसकी रेल सेवाएं पूरी तरह से बंद की गई और इसका असर कुछ ऐसा हुआ कि देशभर में अधिकतर लोग अपने घर नहीं पहुंच पाए क्योंकि उन्हें उनके घर तक पहुंचाने वाली रेल बंद थी। 

यह रेलवे के इतिहास का एक अनसुना रिकॉर्ड बना
हजारों प्रवासी मजदूरों सहित कई लोगों को हारकर पैदल ही अपने गंतव्यों की ओर निकलना पड़ा। इस दौरान ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में लाखों टिकट रद्द भी की गईं, जो रेलवे के इतिहास का एक अनसुना रिकॉर्ड बना। कई महीने बंद रहने के बाद एक मई से रेलवे ने अपनी सेवाएं फिर शुरू की, लेकिन केवल प्रवासी मजदूरों के लिए। एक मई से 30 अगस्त के बीच रेलवे ने 23 राज्यों में चार हजार से अधिक श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाईं और 63.15 लाख से अधिक मजदूरों को उनके घर पहुंचाया। इन ट्रेनों से केवल फंसे हुए मजदूरों को राहत नहीं मिली, बल्कि अन्य लोगों को भी एक उम्मीद मिली की उनकी जीवन रेखा कुछ समय के लिए रुकी जरूर थी, लेकिन उसने उनका साथ अब भी नहीं छोड़ा है। 

रेलवे अभी चला रहा 1,089 विशेष ट्रेनें
अभी रेलवे 1,089 विशेष ट्रेनें चला रहा है। कोलकाता मेट्रो 60 प्रतिशत सेवाओं का परिचालन कर रही है, मुम्बई उपनगर 88 प्रतिशत और चेन्नई उपनगर 50 प्रतिशत अपनी सेवाओं का परिचालन कर रहा है। रेलवे बोर्ड के चेयामैन एवं सीईओ वीके यादव ने भी इस बात को स्वीकार किया कि रेलवे के लिए यह एक मुश्किल साल रहा लेकिन साथ ही इस बात को रेखांकित भी किया कि इस संकट को अवसर में बदलने की भी पूरी कोशिश की गई।

यात्रियों की संख्या पिछले साल की तुलना में 87 प्रतिशत कम रही। रेलवे ने अपनी माल ढुलाई में व्यापक बदलाव किए, पार्सल सेवाओं की शुरुआत की, दूध, दवाइयों और यहां तक कि वेंटिलेटर जैसी आवश्यक वस्तुओं को भी ट्रेनों में ले जाया गया। रेलवे ने तेज गति और कम लागत में देशभर में फसलें भेजने के लिए किसानों के लिए आठ किसान रेल सेवाएं भी शुरू कीं। वहीं, रेलवे ने 5000 से अधिक ट्रेन के डिब्बों को कोविड देखभाल डिब्बों में परिवर्तित कर कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में देश का साथ भी दियाा।

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