Sunday, April 28, 2024
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'कोर्ट के फैसले का दिल से स्वागत', बाबरी विध्वंस केस में बरी हुए लालकृष्ण आडवाणी ने कहा

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लिखित बयान जारी किया। बयान में उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के फैसले का दिल से स्वागत करते हैं।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 30, 2020 14:07 IST
'कोर्ट के फैसले का दिल से स्वागत', बाबरी विध्वंस केस में बरी हुए लालकृष्ण आडवाणी ने कहा- India TV Hindi
Image Source : PTI 'कोर्ट के फैसले का दिल से स्वागत', बाबरी विध्वंस केस में बरी हुए लालकृष्ण आडवाणी ने कहा

लखनऊ: लखनऊ की विशेष CBI अदालत ने बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाया और लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अब लालकृष्ण आडवाणी ने कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लिखित बयान जारी किया। बयान में उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के फैसले का दिल से स्वागत करते हैं। यह फैसला राम जन्मभूमि अभियान के प्रति मेरे व्यक्तिगत और भारतीय जनता पार्टी के विश्वास तथा प्रतिबद्धता को साबित करता है।

लालकृष्ण आडवाणी का लिखित बयान

लालकृष्ण आडवाणी का लिखित बयान

Image Source : INDIATV
लालकृष्ण आडवाणी का लिखित बयान

वहीं, बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि वह अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। राम मंदिर आंदोलन एक ऐतिहासिक पल था। उन्होंने कहा कि जिन अधिवक्ताओं ने शुरुआत से ही हर स्तर पर मामले के तथ्यों को सही तरीके से न्यायलय के सामने रखा, उनके परिश्रम और लोगों की गवाही से यह फैसला आया है। जोशी ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन अहम वक्त था। अब राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है, जय जय सिया राम, सबको सन्मति दे भगवान।

वहीं, सीबीआई कोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से फोन पर बात की तथा अदालत के फैसले के लिए उन्हें बधाई दी। इसके अलावा सीएम योगी ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सत्यमेव जयते के अनुरूप सत्य की जीत हुई है।

सीएम योगी के द्वारा यह भी कहा गया कि यह फैसला स्पष्ट करता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के पूज्य संतों, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों और समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने की नीयत से उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर बदनाम किया गया था।

बता दें कि कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना कि यह घटना अचानक हुई थी, कोई पूर्व सुनियोजित साज़िश नहीं थी। आरोपियों के खिलाफ कोई मजबूत साक्ष्य नहीं था, जिससे वह दोष साबित होते हों। इस केस के फैसले को करीब चार हजार पेज में लिखा गया है। 28 साल चले इस मुकदमें में 351 गवाह पेश किए गए और क़रीब 600 दस्तावेज़ हुए।

सीबीआई ने कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें 17 की मौत हो चुकी है जबकि बाकि 32 के नाम मुकदमे में थे। अब वह सभी बरी हो गए हैं। सभी आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जो भी वहां लाखों कारसेवक इकट्ठा हुए थे वे वहां पर सुप्रीम कोर्ट के कारसेवा के आदेश के बाद इकट्ठा हुए थे। कोर्ट ने कहा है कि ढांचे को गिराए जाने की कोई पूर्व नियोजित साजिश नहीं थी और वहां पर जो नेता इकट्ठा थे उन लोगों ने उस घटना को रोकने के लिए प्रयास किया था। 

कोर्ट ने अपनी राय में कहा कि सीबीआई ने जो पेपर की कटिंग दाखिल की है उसका कोई आधार नहीं था कि वे कहां से आई थीं। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि विश्व हिंदू परिषद या संघ परिवार का कोई योगदान नहीं था, कुछ आराजक तत्वों ने ढांचा गिराया था, 12 बजे तक स्थिति सामान्य थी, कुछ अराजक तत्वों ने अराजकता की।

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