Thursday, March 28, 2024
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अधिग्रहीत भूमि मालिकों को लौटाने की केन्द्र की अर्जी के खिलाफ निर्मोही अखाड़ा पहुंचा न्यायालय

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में फैसला दिया था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन बराबर हिस्सों में बांटी जाएगी और उसे निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और रामलला को दे दिया जाएगा।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: April 09, 2019 16:52 IST
अधिग्रहीत भूमि मालिकों को लौटाने की केन्द्र की अर्जी के खिलाफ निर्मोही अखाड़ा पहुंचा न्यायालय- India TV Hindi
Image Source : PTI अधिग्रहीत भूमि मालिकों को लौटाने की केन्द्र की अर्जी के खिलाफ निर्मोही अखाड़ा पहुंचा न्यायालय

नयी दिल्ली: अयोध्या मामले के वादियों में से एक निर्मोही अखाड़े ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दायर किया है। निर्मोही अखाड़े ने इसमे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के आसपास 67.390 एकड़ ‘‘गैर विवादित’’ अधिग्रहित भूमि उसके असली मालिकों को लौटाने के लिये केन्द्र सरकार की अर्जी का विरोध किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में फैसला दिया था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन बराबर हिस्सों में बांटी जाएगी और उसे निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और रामलला को दे दिया जाएगा।

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निर्मोही अखाड़े ने अपनी नयी अर्जी में केंद्र के उस आवेदन का विरोध किया है जिसमें उसने उच्चतम न्यायालय के 2003 के फैसले में संशोधन का अनुरोध किया है ताकि अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के आसपास 67.390 एकड़ ‘‘गैर-विवादित’’ अधिग्रहित जमीन मूल मालिकों को वापस दी जा सके।

इस आवेदन में कहा गया है कि केंद्र ने राम जन्मभूमि न्यास को अधिग्रहित भूमि लौटने का प्रस्ताव दिया है। आवेदन के अनुसार अधिग्रहित जमीन पर कई मंदिर हैं और अगर जमीन किसी एक पक्ष को लौटाई जाती है तो इससे उनके अधिकार प्रभावित होंगे। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में इस भूमि विवाद का मैत्रीपूर्ण हल निकालने के लिए मध्यस्थों को नियुक्त किया था।

केन्द्र ने अपनी अर्जी में कहा था कि अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को ‘कार सेवकों’ ने जिस विवादित ढांचे को गिराया था तो 2.77 एकड़ के विवादित परिसर में 0.313 एकड़ भूखंड पर स्थित था। इस आवेदन में कहा गया है कि राम मंदिर निर्माण कार्य को बढ़ावा देने के लिये बने राम जन्मभूमि न्यास ने 1991 में अधिग्रहीत की गयी अतिरिक्त भूमि उसके असली मालिकों को लौटाने की मांग की है।

आवेदन में सरकार ने कहा था कि इस न्यास की करीब 42 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था और उसने संविधान पीठ के फैसले के आधार पर एक अर्जी दायर की है। केन्द्र ने अपने आवेदन में कहा है कि उसे यह भूमि उसके असली मालिकों को लौटाने में कोई आपत्ति नहीं है।

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