Friday, April 19, 2024
Advertisement

देश की आजादी में क्या थी भूमिका? RSS ने आलोचकों को दिया जवाब

आरएसएस के सह सरकार्यवाहक डॉ. मनमोहन वैद्य के अनुसार, "एक योजनाबद्ध तरीके से देश को आधा इतिहास बताने का प्रयास चल रहा है कि स्वतंत्रता सिर्फ कांग्रेस की वजह से मिली, और किसी ने कुछ नहीं किया। सारा श्रेय एक पार्टी को देना, इतिहास से खिलवाड़ है।"

IANS Written by: IANS
Published on: August 15, 2020 20:09 IST
RSS Role in independence movement of India । देश की आजादी में क्या थी भूमिका? RSS ने आलोचकों को दिया- India TV Hindi
Image Source : PTI देश की आजादी में क्या थी भूमिका? RSS ने आलोचकों को दिया जवाब

नई दिल्ली. देश की आजादी में योगदान को लेकर उठते सवालों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आलोचकों को जवाब दिया है। RSS ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक डाक्यूमेंट्री जारी कर देश की आजादी के लिए चले सभी बड़े आंदोलनों में संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और स्वयंसेवकों के योगदान का जिक्र किया है। संघ का कहना है कि आजादी के आंदोलन में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह अलग बात है कि स्थापना के बाद से संगठन को कभी श्रेय लेने की आदत नहीं रही। लेकिन, समाज में सुनियोजित साजिश के तहत संघ को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जाती हैं।

आरएसएस के सह सरकार्यवाहक डॉ. मनमोहन वैद्य के अनुसार, "एक योजनाबद्ध तरीके से देश को आधा इतिहास बताने का प्रयास चल रहा है कि स्वतंत्रता सिर्फ कांग्रेस की वजह से मिली, और किसी ने कुछ नहीं किया। सारा श्रेय एक पार्टी को देना, इतिहास से खिलवाड़ है।"

आरएसएस की दिल्ली कार्यकारिणी के सदस्य राजीव तुली ने इस बारे में IANS से कहा, जो ये कहते हैं कि देश को आजाद कराने में संघ का कोई योगदान नहीं रहा, वो अपनी असफलताओं को छिपाने की राजनीति करते हैं। खिलाफत आंदोलन हो या फिर असहयोग और नमक सत्याग्रह, सभी में प्रथम सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह के दौरान दो बार वह जेल भी गए।

राजीव तुली ने कहा, "स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं बल्कि वर्ष 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ, तो पश्चिमी पाकिस्तान से हिंदुओं और सिखों को सुरक्षित बाहर निकालने में संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुहल्ले-मुहल्ले में सुरक्षा की व्यवस्था की। रिलीफ कमेटी बनाकर लोगों को राहत पहुंचाई गई।"

'भारत विमर्श' की ओर से तैयार इस डाक्यूमेंट्री में संघ के सर संघचालक मोहन भागवत कहते हैं कि 1921 में प्रांतीय कांग्रेस की बैठक में क्रांतिकारियों की निंदा करने वाला प्रस्ताव रखा गया था। तब डॉ. हेडगेवार के जबर्दस्त विरोध के कारण प्रस्ताव वापस लेना पड़ा था। 1921 में महात्मा गांधी की अगुवाई में चले असहयोग आंदोलन में डॉ. हेडगेवार ने महती भूमिका निभाई थी। देश को स्वाधीन कराने के लिए अन्य क्रांतिकारियों की तरह वह जेल जाने से भी नहीं चूके। 19 अगस्त 1921 से 11 जुलाई 1922 तक कारावास में रहे। जेल से बाहर आने के बाद 12 जुलाई को नागपुर में उनके सम्मान में आयोजित सार्वजनिक समारोह में कांग्रेस के नेता मोतीलाल नेहरू, राजगोपालाचारी जैसे अनेक नेता मौजूद थे।

आरएसएस ने इस डाक्यूमेंट्री में बताया है कि पूर्ण आजादी का सुझाव डॉ. हेडगेवार ने ही दिया था। लेकिन यह प्रस्ताव कांग्रेस ने नौ साल बाद वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में माना। संघ ने अपने दावे के समर्थन में इतिहासकार कृष्णानंद सागर का बयान डाक्यूमेंट्री में दिखाया है। संघ ने कहा है कि पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पास किए जाने पर डॉ. हेडगेवार ने तब संघ की सभी शाखाओं में कांग्रेस का अभिनंदन करने की घोषणा की थी।

जब अप्रैल 1930 में सविनय अविज्ञा आंदोलन शुरू हुआ तो संघ ने बिना शर्त समर्थन का निर्णय किया था। तब डॉ. हेडगेवार ने सर संघचालक का पद डॉ. परांजपे को देकर स्वयंसेवकों के साथ आंदोलन में भाग लिया था। इस सत्याग्रह में भाग लेने के कारण उन्हें नौ महीने का कारावास हुआ था। जेल से छूटने के बाद फिर संघ के सरसंघचालक का दायित्व स्वीकार कर वह संघ कार्य में जुड़ गए।

संघ ने डाक्यूमेंट्री में बताया है कि आठ अगस्त 1942 को गोवलिया टैंक मैदान, मुंबई पर कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। महाराष्ट्र के अमरावती, वर्धा, चंद्रपुर में विशेष आंदोलन हुआ। इस आंदोलन का नेतृत्व करने में तब संघ के अधिकारी दादा नाइक, बाबूराव, अण्णाजी सिरास ने अहम भूमिका निभाई थी। गोली लगने पर संघ के स्वयंसेवक बालाजी रायपुरकर ने बलिदान दिया था।

संघ ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले संघ के स्वयंसेवकों के बारे में बताते हुए कहा है कि राजस्थान में प्रचारक जयदेव पाठक, विदर्भ में डॉ. अण्णासाहब देशपांडेय, छत्तीसगढ़ में रमाकांत केशव देशपांडेय, दिल्ली में वसंतराव ओक, पटना में कृष्ण वल्लभ प्रसाद नारायण सिंह, दिल्ली में चंद्रकांत भारद्वाज और पूर्वी उत्तर प्रदेश में माधवराव देवड़े, उज्जैन में दत्तात्रेय गंगाधर कस्तूरे ने बढ़चढ़कर भाग लिया था। संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य के लेख पर आधारित इस डाक्यूमेंट्री की स्क्रिप्ट ब्रजेश द्विवेदी ने लिखी है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement