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खबर से आगे: सोशल साइट्स पर पॉलिटिकल फाइट! जानिए कांग्रेस ने फेसबुक को क्यों लिखी चिट्ठी?

फेसबुक को लेकर अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर देश में सियासी तकरार आज और बढ़ गई है। इस मामले में कांग्रेस ने फेसबुक के चेयरमैन और CEO मार्क जकरबर्ग को एक चिट्ठी लिखी है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 18, 2020 21:13 IST
Social Media controversy why congress write letter to facebook- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Social Media controversy why congress write letter to facebook

नई दिल्ली। फेसबुक को लेकर अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर देश में सियासी तकरार आज और बढ़ गई है। इस मामले में कांग्रेस ने फेसबुक के चेयरमैन और CEO मार्क जकरबर्ग को एक चिट्ठी लिखी है। कांग्रेस ने चिट्ठी में फेसबुक पर आरोप लगाया है कि उसने बीजेपी नेताओं से जुड़े हेट स्पीच को लेकर नरमी बरती है। ये चिट्ठी कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मार्क जकरबर्ग के नाम लिखी है।

फेसबुक को कांग्रेस का लेटर 

कांग्रेस की तरफ से फेसबुक पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हुए चिट्ठी में लिखा गया है कि फेसबुक इंडिया ने बीजेपी नेताओं की हेट स्पीच तब हटाई जब द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक के पक्षपाती रवैये से पर्दा उठाया। ये बहुत दुखद है कि आपकी कंपनी शायद उन लोकतांत्रिक अधिकारों और मूल्यों को कुचलने में जान-बूझकर भागीदार बनी है जिनके लिए हमारे नेताओं ने अपनी जान कुर्बान कर दी थीं। जैसा कि आपको अच्छे से पता है कि भारत यूजर्स के लिहाज से फेसबुक और वॉट्सऐप के लिए सबसे बड़ा बाजार है। इसलिए, हमारे जैसे देशों में फेसबुक से सामाजिक और नैतिक जवाबदेही की उम्मीद और ज्यादा हो जाती है।

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कांग्रेस ने चिट्ठी में दिए दो सुझाव

कांग्रेस ने अपनी चिट्ठी में फेसबुक को दो सुझाव भी दिए हैं। पार्टी ने कहा कि फेसबुक को तुरंत एक उच्चस्तरीय जांच समिति बनाकर फेसबुक इंडिया की लीडरशिप टीम से पूछताछ करवानी चाहिए। वहीं, 2014 से नफरत वाले उन सभी पोस्ट की जानकारी दी जानी चाहिए जिन्हें फेसबुक इंडिया ने अपने प्लैटफॉर्म पर पब्लिश करने की इजाजत दी।

फेसबुक इंडिया ने बीजेपी नेताओं की हेट स्पीच तब हटाई जब द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक के पक्षपाती रवैये से पर्दा उठाया। ये बहुत दुखद है कि आपकी कंपनी शायद उन लोकतांत्रिक अधिकारों और मूल्यों को कुचलने में जान-बूझकर भागीदार बनी है जिनके लिए हमारे नेताओं ने अपनी जान कुर्बान कर दी थीं। जैसा कि आपको अच्छे से पता है कि भारत यूजर्स के लिहाज से फेसबुक और वॉट्सऐप के लिए सबसे बड़ा बाजार है। इसलिए, हमारे जैसे देशों में फेसबुक से सामाजिक और नैतिक जवाबदेही की उम्मीद और ज्यादा हो जाती है।

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रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को याद दिलाई दो 'हेट स्पीच'

कांग्रेस ने फेसबुक पर पहले की शिकायतों को बार-बार अनदेखा करने का भी आरोप लगाया है। दरअसल, अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के खुलासे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं। बीजेपी ने अखबार और कांग्रेस के सभी दावों को खारिज कर दिया है और कांग्रेस पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर प्लेटफॉर्म पब्लिश प्लेटफॉर्म है तो हर विचार के लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है। क्या ये सच्चाई नहीं है कि कुछ लोग समझते हैं कि उस प्लेटफॉर्म पर उनकी एकाधिकार होना चाहिए भले ही उनका राजनीतिक वजूद खत्म हो गया हो। लेकिन अगर हेट स्पीच की बात है तो आज मैं पार्टी के प्लेटफॉर्म में बैठा हूं और दो उदाहरण देना चाहूंगा। सोनिया गांधी ने कहा था कि अब आर-पार की लड़ाई होगी ये हेट स्पीच है कि नहीं... और राहुल गांधी ने पब्लिश मीटिंग में कहा था कि देश के लोग प्रधानमंत्री को डंडे मारेंगे, ये हेट स्पीच है कि नहीं।

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फेसबुक हेट स्पीच को लेकर संसद की स्थायी समिति के सदस्यों के बीच भी कलह शुरू 

फेसबुक हेट स्पीच विवाद में अब संसद की स्थायी समिति के सदस्यों के बीच भी कलह शुरू हो गई है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद और समिति की सदस्य महुआ मोइत्रा ने एक लेटर साझा करते हुए ट्वीट किया 'मैं आईटी कमेटी की सदस्य हूं। इस साल के शुरुआत में ही एजेंडा आइटम को लेकर सहमति बन गई थी और स्पीकर की सहमति से विज्ञप्ति भी तैयार थी। कब कौन से आइटम पर चर्चा होगी और किसे बुलाया जाएगा, वो चेयरमैन का विशेषाधिकार है। ये चकित करने वाला है कि भाजपा कैसे फेसबुक से संबंधित मामलों पर उछल-कूद कर रही है।' 

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मोइत्रा के ट्वीट पर शशि थरूर ने कही ये बात

मोइत्रा के ट्वीट पर जवाब देते हुए सांसद और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा कि 'सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति निश्चित रूप से इन रिपोर्टों के बारे में फेसबुक का जवाब जानना चाहती है। समिति ये जानना चाहती है कि भारत में हेट स्पीच को लेकर उनका क्या प्रस्ताव है। हमारी संसदीय समिति सामान्य मामलों में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक-ऑनलाइन न्यूज मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकने के तहत बयान पर विचार करेगी। ये विषय संसदीय स्थायी समिति के अधिकार क्षेत्र में है और पिछले दिनों फेसबुक को तलब भी किया गया था।' 

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थरूर की इस मांग पर भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि स्थायी समिति के चेयरमैन के पास अपने सदस्य के साथ एजेंडा की चर्चा के बिना कुछ भी करने का अधिकार नहीं है। ये मुद्दे संसदीय समिति के नियमों के मुताबिक उठाए जा सकते हैं, इसलिए थरूर संसदीय समिति का इस्तेमाल राहुल गांधी के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए ना करें। दूसरी तरफ, इस मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा भी कूद पड़ीं हैं। 

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सवाल उठता है कि क्या पूरे विवाद की जांच संयुक्त संसदीय समिति कर सकती है। तो इसका जवाब है हां। अगर कमेटी में लोग मेजोरिटी में इसके पक्ष में हो तो। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 30 सदस्यीय संसदीय समिति में एनडीए के कुल 19 सदस्य हैं जो बहुमत से ज़्यादा हैं। 

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कांग्रेस सांसद शशि थरूरने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति निश्चित रूप से इन रिपोर्टों के बारे में फेसबुक का जवाब जानना चाहती है। समिति ये जानना चाहती है कि भारत में हेट स्पीच को लेकर उनका क्या प्रस्ताव है। हमारी संसदीय समिति सामान्य मामलों में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक-ऑनलाइन न्यूज मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकने के तहत बयान पर विचार करेगी। ये विषय संसदीय स्थायी समिति के अधिकार क्षेत्र में है और पिछले दिनों फेसबुक को तलब भी किया गया था।

फेसबुक की हेटफुल कंडक्ट पॉलिसी

आइए अब ये भी जान लेते हैं कि हेट स्पीच को लेकर फेसबुक ने क्या-क्या गाइडलाइंस बना रखी है। फेसबुक ने पोस्ट और कंटेंट को लेकर एक कम्युनिटी स्टैंडर्ड भी बनाया हुआ है। फेसबुक दावा करता है कि लोगों को धमकाने वाली भाषा के इस्तेमाल से लोगों में डर, अलगाव या चुप रहने की भावना आ सकती है और फेसबुक पर इस तरह की बातें करने की परमिशन नहीं है। फेसबुक अपनी इस गाइडलाइन में ये भी कहता है कि कुछ मामलों में कम्युनिटी स्टैंडर्ड के खिलाफ जाने वाले कंटेंट उपयोग करने की परमिशन दे देते हैं बर्शते वो सार्वजनिक हित का मामला हो और ऐसे फैसलों से पहले अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का भी ध्यान रखा जाता है।

सवाल है कि फेसबुक को ऐसे इन हाउस गाइडलाइंस बनाने की नौबत क्यों आई? तो इसका जवाब है 2016 का अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव। तब आरोपों से घिरे मार्क जकरबर्ग की अमेरिकी संसद में पेशी हुई थी। जकरबर्ग को माफी तक माननी पड़ी थी। तब 2016 में हुए अमेरिकी चुनावों में गलत सूचनाओं के प्रसार का आरोप लगा था। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप का आरोप लगा था। 

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