नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली आज अपना चौथा बजट पेश करेंगे। यह उनके लिए अबतक का सबसे चुनौतीपूर्ण बजट माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि नोटबंदी से हुई परेशानी को दूर करने के लिए जेटली 2017-18 के बजट में कुछ टैक्स राहत तथा अन्य प्रोत्साहन दे सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल सके।
वहीं आज जेटली इस बार रेल बजट को अलग से पेश की जाने वाली 92 साल पुरानी परंपरा को बी खत्म करेंगे। विलियम एक्वर्थ कमेटी के सुझावों पर अमल करते हुए ब्रिटिश शासक साल 1924 के आम बजट से अलग कर रेल बजट पेश करना शुरू किया।
संसद में मंगलवार को प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा में नोटबंदी से प्रभावित अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए न केवल व्यक्तिगत आयकर की दरों में कटौती की जरूरत, बल्कि कंपनी कर में कमी लाने की योजना को तेजी से लागू करने की सिफारिश की गई है। समीक्षा में सभी तरह की उंची कमाई करने वालों को कर दायरे में लाने पर जोर दिया गया है।
बजट में ये हो सकते हैं ऐलान:
- 50 हजार रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन पर लग सकता है टैक्स।
- इसके तहत 50 हजार रुपए से ज्यादा के विदड्रॉअल या कैश ट्रांजैक्शन पर 1 से 2% टैक्स
- लग सकता है।
- सरकार पांच या दस लाख रुपए से ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन पर बैन भी लगा सकती है।
- आठ लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है टैक्स फ्री।
- इनकम टैक्स में छूट 2.5 लाख से बढ़कर तीन लाख रुपए सालाना हो सकती है।
- होम लोन के इंटरेस्ट पर अभी दो लाख की छूट मिलती है। इसे बढ़ाकर 2.5 लाख कर सकते हैं।
- बजट में सर्विस टैक्स को मौजूदा 15% से बढ़ाकर 16-18% करने का ऐलान हो सकता है।
- सर्विस टैक्स बढ़ता है, तो बजट के बाद रेस्त्रां में खाने का बिल, फोन बिल, हवाई सफर समेत तमाम सेवाएं महंगी हो सकती हैं।
- सरकार बजट में रेल सफर पर छूट या रियायतों के लिए आधार नंबर को जरूरी बनाने पर विचार कर रही है।
- कॉरपोरेट टैक्स में दो फीसदी की कमी की जा सकती है। इससे मौजूदा दर 30% से घटकर 28% रह सकती है।
- रेल बजट में सीधे रेल किराए में इजाफा होने के आसार कम हैं।