Thursday, April 25, 2024
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Coronavirus: वैक्सीन आने के कितने दिनों बाद हालात सामान्य होंगे, जानिए पूरी खबर

अगले तीन महीने तक सर्दियों के महीनों में चुनौतीपूर्ण समय रहेगा। एक बार जब हम इसे पार कर लेंगे तो हमारे पास दो चीजें होंगी। एक तो हमारे पास बड़ी संख्या में ऐसे लोग होंगे, जो ठीक हो चुके होंगे और उनमें संक्रमण फैलने की संभावना कम हो जाएगी। इसलिए मामलों की संख्या कम होनी चाहिए।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 12, 2020 7:53 IST
Coronavirus: वैक्सीन आने के कितने दिनों बाद हालात समान्य होंगे, जानिए पूरी खबर - India TV Hindi
Image Source : PTI Coronavirus: वैक्सीन आने के कितने दिनों बाद हालात समान्य होंगे, जानिए पूरी खबर 

नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के बीच सर्दियों का मौसम बहुत चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन अगले साल की शुरूआत में फरवरी या मार्च तक वैक्सीन आ जाएगी और इसके बाद कुछ हद तक सामान्य स्थिति हो जाएगी। एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक इंटरव्यू में यह बात कही। हालांकि उन्होंने संक्रमण प्रसार से निपटने में आक्रामक कोविड-उपयुक्त व्यवहार के महत्व को रेखांकित किया।

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि भारत इस साल के अंत तक शिखर (पीक) को पार कर जाएगा और पूरे देश में मामले कम होने लगेंगे? उन्होंने कहा- अगले तीन महीने तक सर्दियों के महीनों में चुनौतीपूर्ण समय रहेगा। एक बार जब हम इसे पार कर लेंगे तो हमारे पास दो चीजें होंगी। एक तो हमारे पास बड़ी संख्या में ऐसे लोग होंगे, जो ठीक हो चुके होंगे और उनमें संक्रमण फैलने की संभावना कम हो जाएगी। इसलिए मामलों की संख्या कम होनी चाहिए। दूसरी बात यह है कि हमारे पास एक वैक्सीन भी आ जानी चाहिए, जो उस समय तक उपलब्ध होगी, इसलिए अगले साल की शुरूआत में हमें कुछ हद तक सामान्य हो जाना चाहिए, मुझे उम्मीद है कि फरवरी-मार्च तक स्थिति कुछ सामान्य होगी।

गुलेरिया से जब यह सवाल किया गया कि क्या इस वायरल संक्रमण से जुड़े पीक को लेकर कोई विशिष्ट संख्या है? उदाहरण के लिए चौथे पीक के बाद, मामलों में अंतत: गिरावट शुरू हो जाएगी और मामलों में कोई असाधारण वृद्धि नहीं होगी?

उनका जवाब था- भारत के संदर्भ में देखें तो इसमें विभिन्न चीजें हैं, अगर हम देश को एक पूरे या अलग क्षेत्र के रूप में देखते हैं। भारत में अलग-अलग क्षेत्रों ने अलग-अलग व्यवहार किया है, क्योंकि जैसे-जैसे महामारी आगे बढ़ी है तो विभिन्न मामलों में वृद्धि अलग-अलग समय पर हुई है।

शुरुआत में हमारे पास बड़े शहरों में एक बड़ा पीक देखने को मिला था, क्योंकि तब बाहर से मामले आ रहे थे। इसके बार फिर मुंबई और दिल्ली में पीक दिखाई दिया और फिर मामले कम हुए। हम एक शिखर को पार कर चुके हैं और मामलों की संख्या में कमी आई है। हम इसे कैसे बनाए रखते हैं, यह एक बड़ी चुनौती है। जैसा कि आप यूरोप में देखते हैं कि इसमें कमी आई है, लेकिन वहां एक और पीक देखने में आया है।

चुनौती यह है कि हम कोविड-19 को लेकर उचित व्यवहार कैसे बनाए रखें, ताकि हमें एक और चरम शिखर का सामना न करना पड़े। वियतनाम, ताइवान और कंबोडिया जैसे देशों को देखें, जहां मामलों की संख्या नहीं बढ़ी है। उनके पास अपना पीक था, मगर वे मामलों की संख्या में गिरावट को बनाए रखने में सक्षम रहे।

भारत में दिल्ली जैसे कुछ शहर हैं, जहां ऐसे मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो सीधे भीड़ से जुड़े हैं। इसके पीछे कोविड-19 के लिए उपयुक्त व्यवहार की कमी और निश्चित रूप से वायु प्रदूषण और तापमान में गिरावट जैसे अन्य कारक भी हैं।

"लेकिन, मुझे लगता है कि हमारे लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि यदि हम मामलों को कम रखना चाहते हैं और कहते हैं कि हमने शिखर को पार कर लिया है, तो हमें अनुशासित रहते हुए अच्छा आक्रामक व्यवहार अपनाना होगा।"

इस साल पर कि क्या संक्रमण की वजह से होने वाली मौत का आंकड़ा सही पेश किया जा रहा है और क्या हम पर्याप्त परीक्षण कर रहे हैं? गुलेरिया ने कहा-हमने परीक्षण पर बहुत ध्यान केंद्रित किया है। हम जो परीक्षण कर रहे हैं, उसकी रफ्तार तेज हुई है। हम अब एक दिन में 14 लाख परीक्षण कर रहे हैं और परीक्षण हर दिन बढ़ रहा है। इसके अलावा मृत्युदर बताई जा रही है और मुझे नहीं लगता कि मृत्युदर किसी भी तरीके से छिपाई गई है। जहां तक मृत्युदर और मामलों का संबंध है, हमारे पास यथोचित अच्छी जानकारी है। हमें जितना हो सके, परीक्षण बढ़ाने की आवश्यकता है, खासकर जब हम छोटे शहरों और ग्रामीण भारत को देखना शुरू करते हैं।

इनपुट-आईएएनएस

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