Friday, April 19, 2024
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नगालैंड में सुरक्षाबलों की गोलीबारी से मरने वाले आम लोगों की संख्या बढ़कर 14 हुई, दंगों में 1 जवान शहीद, इंटरनेट सर्विस बंद

नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की ओर से की गई गोलीबारी में आम नागरिकों की मौत के कारण मोबाइल इंटरनेट सेवाएं और बल्क मैसेजिंग सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। अधिकारी ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच की जा रही है कि कहीं यह घटना गलत पहचान का मामला तो नहीं है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 05, 2021 23:16 IST
Angry villagers burn vehicles belonging to security personnel after 13 civilians were killed by the - India TV Hindi
Image Source : PTI Angry villagers burn vehicles belonging to security personnel after 13 civilians were killed by the security forces from Assam Rifles in an anti-insurgency operations, at Oting village under Mon district of Nagaland on Saturday night.

Highlights

  • नगालैंड के मोन जिले में घटना के बाद हिंसा फैसले के डर से इंटरनेट और SMS सुविधा को पूरी तरह बंद किया गया
  • सेना ने घटना को लेकर 'कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी' का आदेश दिया
  • नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया

कोहिमा/गुवाहाटी/शिलंगा/नयी दिल्ली: नगालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने रविवार को बताया कि गोलीबारी की पहली घटना संभवत: गलत पहचान का मामला थी। इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई। गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदान कर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे। सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें छह मजदूरों की जान चली गई। 

पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले तथा इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई। इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई। इस घटना के खिलाफ उग्र विरोध और दंगों का दौर रविवार अपराह्न भी जारी रहा और गुस्साई भीड़ ने आज कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स कैंप के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी।

सुरक्षा बलों द्वारा हमलावरों पर की गई जवाबी गोलीबारी में कम से कम एक और नागरिक की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए। उग्र भीड़ गोलीबारी के घटना में शामिल सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग कर रही थी। नगालैंड सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से “भड़काऊ वीडियो, तस्वीरों या लिखित सामग्री के प्रसार” को रोकने के लिए जिले में मोबाइल इंटरनेट और डेटा सेवाओं के साथ-साथ एक साथ कई एसएमएस करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। जिले में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के बावजूद, हालांकि भीड़ द्वारा मोन में कोन्याक यूनियन कार्यालय और असम राइफल्स कैंप में तोड़फोड़ करने के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं। नागालैंड के राज्यपाल जगदीश मुखी ने 4 दिसंबर की शाम को मोन जिले के अंतर्गत ओटिंग और तिरु गांव के बीच एक बिंदु पर ग्रामीणों पर गोलीबारी की घटना की निंदा की। राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एसआईटी इस घटना की हर एंगल से जांच करेगी।

सेना ने घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया

सेना ने घटना की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का आदेश देते हुए बताया कि इस दौरान एक सैन्यकर्मी की मौत हो गई और कई अन्य सैनिक घायल हो गए। इसने कहा कि यह घटना और उसके बाद जो हुआ, वह ‘‘अत्यंत खेदजनक’’ है तथा लोगों की मौत होने की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने का वादा किया और समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया।

अधिकारी ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच की जा रही है कि कहीं यह घटना गलत पहचान का मामला तो नहीं है। मोन म्यांमा की सीमा के पास स्थित है, जहां से एनएससीएन-के का युंग ओंग धड़ा अपनी उग्रवादी गतिविधियां चलाता है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि हालात काबू में हैं और पुलिस मामले की जांच कर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे को घटना की जानकारी दी गई है। 

सेना की 3 कोर के मुख्यालय की ओर से जारी किया गया बयान

इस बीच, सेना की 3 कोर के मुख्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘नगालैंड में मोन जिले के तिरु में उग्रवादियों की संभावित गतिविधियों की विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर इलाके में एक विशेष अभियान चलाए जाने की योजना बनाई गई थी। यह घटना और इसके बाद जो हुआ, वह अत्यंत खेदजनक है। लोगों की मौत की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारणों की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ के जरिए उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।’’ सेना ने कहा, ‘‘इस अभियान में सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं और एक जवान की मौत हो गई है।’’ 

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने ट्वीट किया, ‘‘मोन के ओटिंग में आम लोगों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना अत्यंत निंदनीय है। मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मामले की एसआईटी (विशेष जांच दल) से उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी और कानून के अनुसार न्याय किया जाएगा। मैं सभी वर्गों से शांति बनाए रखने का आग्रह करता हूं।’’ उपमुख्यमंत्री वाई पैटन ने ट्वीट किया, ‘‘ओटिंग की जिस व्यथित करने वाली और त्रासदीपूर्ण घटना में आम लोगों की मौत हुई है, उसकी विस्तृत जांच की जाएगी तथा न्याय किया जाएगा। मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैं इस त्रासदीपूर्ण घटना के मद्देनजर सभी से शांति बनाए रखने का अनुरोध करता हूं।’’ 

गृह मंत्री अमित शाह ने भी नगालैंड घटना पर शोक प्रकट किया

गृह मंत्री अमित शाह ने भी शोक प्रकट किया और ट्वीट कर घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय एसआईटी इस घटना की गहन जांच करेगी, ताकि शोक संतप्त परिवारों को न्याय सुनिश्चित किया जा सके।” कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “यह हृदय विदारक है। भारत सरकार को सही-सही जवाब देना चाहिए। गृह मंत्रालय वास्तव में क्या कर रहा है, जब न तो आम नागरिक और न ही सुरक्षाकर्मी हमारी अपनी ही सरजमीं में सुरक्षित हैं?” 

जिले में एसएमएस और इंटरनेट सुविधा बंद

मोन जिले में घटना के बाद हिंसा फैसले के डर से जिला प्रशासन ने इंटरनेट और एसएमएस सुविधा को पूरी तरह बंद कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि इस अवधि में कोई भी न तो मैसेज भेज पाएगा और न ही इंटरनेट का प्रयोग कर सकेगा। बताया कि वाट्सएप, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए गलत संदेश प्रसारित किए जा रहे थे, जिसके चलते यह फैसला लिया गया है। इंटरनेट और एसएमएस सुविधा को अगले आदेश तक बंद रखा गया है। 

‘ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन’ (ईएनपीओ) ने इस घटना के विरोध में क्षेत्र के छह जनजातीय समुदायों से राज्य के सबसे बड़े पर्यटन कार्यक्रम ‘हॉर्नबिल’ महोत्सव से भागीदारी वापस लेने का आग्रह किया। संगठन ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘ईएनपीओ भारतीय सेना की अंधाधुंध गोलीबारी में ओटिंग गांव के 10 से अधिक दिहाड़ी मजदूरों की मौत होने की घटना पर गहरा शोक व्यक्त करता है और घटना की घोर निंदा करता है।’’ ईएनपीओ ने छह जनजातियों से राज्य की राजधानी के पास किसामा में हॉर्नबिल महोत्सव स्थल ‘नगा हेरिटेज विलेज’ में अपने-अपने ‘मोरुंग’ में घटना के खिलाफ काले झंडे लगाने को कहा। इसने कहा, ‘‘सभी संबंधित पक्षों को समझना चाहिए कि यह आदेश/कदम राज्य सरकार के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सुरक्षाबलों के खिलाफ नाराजगी जताने और छह जनजातीय समुदायों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए है।’’ मुख्यमंत्री के सलाहकार अबु मेहता ने कहा कि घटना में मारे गए लोगों के लिए किसामा में दो मिनट का मौन रखा जाएगा और प्रार्थना की जाएगी।

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