Thursday, May 16, 2024
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'आप की अदालत' में धीरेंद्र शास्त्री ने सुनाए स्कूल के किस्से, बताया कैसे बच्चे पूछा करते थे पर्सेंटेज

'आप की अदालत' में रजत शर्मा ने उनके स्कूल के दौरान के किस्से पूछे। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री से जब पूछा कि आप जब स्कूल में पढ़ते थे, तो बाकी जैसे छात्र होते हैं वैसे ही थे। इस पर उन्होंने कहा कि लगभग।

IndiaTV Hindi Desk Edited By: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 11, 2023 23:33 IST
'आप की अदालत' में धीरेंद्र शास्त्री- India TV Hindi
'आप की अदालत' में धीरेंद्र शास्त्री

देश के सबसे लोकप्रिय शो 'आप की अदालत' में बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों का सामना किया। 'आप की अदालत' में रजत शर्मा ने उनके स्कूल के दौरान के किस्से पूछे। उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री से जब पूछा कि आप जब स्कूल में पढ़ते थे, तो बाकी जैसे छात्र होते हैं वैसे ही थे। इस पर उन्होंने कहा कि लगभग। 

धीरेंद्र शास्त्री ने 'आप की अदालत' में बताया कि वे स्कूल में थोड़ा उपद्रवी थे। उन्होंने बताया कि उनका स्कूल में बहुत कम जाना होता था, लेकिन जब जाते थे तो बहुत गंभीर और सौम्य भाव से जाते थे। उन्होंने बताया कि हमारे दादा गुरु का नाम बहुत मशहूर था, इसके कारण लोग हमें भी प्रेम, स्नेह और दुलार देते थे। 

'स्कूल में जाते तो बच्चे हमारे पास आ जाते थे'

'आप की अदालत' में  बागेश्वर धाम के प्रमुख ने बताया, "हम स्कूल में जाते थे तो बच्चे हमारे पास आ जाते थे। सबकी क्लास एक साथ हो जाती थी। आठवीं, नौवीं, दसवीं सबकी क्लास एक साथ हो जाती थी, जिसमें हम बैठते थे। बच्चे पूछते थे कि महाराज जी बताइए हमारी कितनी पर्सेंटेज बन रही है। फिर मैं कहता था कि प्यारे तेरे 56% बन रहे हैं और मेहनत कर 60 हो जाएगी।" इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उस समय बचपन में दिखाने का भाव रहता था। हालांकि, अब तो बहुत गंभीर हो गया हूं। लोगों ने कह-कहकर बहुत गंभीर बना दिया है। 

हनुमान जी बताते थे कि कितने पर्सेंटेज हैं?

जब रजत शर्मा ने पूछा कि ये हनुमान जी बताते थे कि कितने पर्सेंटेज हैं, इस सवाल पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि गुरु प्रेरणा। उन्होंने आगे कहा, "हम से कोई शक्ति बात नहीं करती थी। कोई सामने शक्ति नहीं है, जो हमारे पास बैठती है। अनुभव होता है, प्रेरणा होती है। जैसे ऋषि परंपरा में प्रेरणा है, हमारे भारत में अनेक-अनेक महापुरुष हैं तो हमें प्रेरणा होती है, ऐसा अनुभव होता है कि ऐसा होगा, जैसे हमें लग जाता है कि ऐसा होगा। वो हम लिख देते हैं और इष्ट कृपा से अपने इष्ट के प्रति आस्था से वो बात सत्य निकलती है।" 

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